मदन कामदेव रस जो है प्राचीन ग्रन्थ सहस्र रस दर्पण - रस हज़ारा में वर्णित योग है. इसी का आज विश्लेषण करूँगा, बिल्कुल आसान भाषा में.
मदन कामदेव रस के घटक या Composition
इसे बनाने के लिए आपको चाहिए होगी सब चीजें जैसे-
स्वर्ण भस्म 1 ग्राम, चाँदी भस्म या रजत भस्म 2 ग्राम, हीरक भस्म 3 ग्राम, ताम्र भस्म 4 ग्राम, शुद्ध पारा 6 ग्राम, लौह भस्म 5 ग्राम और शुद्ध गन्धक 7 ग्राम.
भावना देने के लिए आपको चाहिए होगा
मदार का दूध मतलब वही सफ़ेद आक का दूध, असगंध, तालमखाना, शतावर, कसेरू, कुश और कमल की जड़. इन सब का काढ़ा बनाकर यूज़ कर सकते हैं.
मिलाने के लिए आपको चाहिए होगा
कस्तूरी, सोंठ, मिर्च, पीपल, कपूर, छोटी इलायची, शीतल चीनी, और लौंग सभी सभी 5-5 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना है. कस्तूरी नहीं मिले तो इसकी केशर मिला सकते हैं.
साथ ही आपको चाहिए होगा ताज़े एलोवेरा का रस, एक आतशी शीशी, एक मिट्टी की हांडी और दो-तीन किलो मोटा नमक
मदन कामदेव रस की निर्माण विधि
इसे बनाने के तरीका थोड़ा सा जटिल है, इसलिए आज के समय में इस तरह के रसायन विलुप्त हो गए हैं.
सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को मिलाकर खरल में डालकर ख़ूब पीसकर कज्जली बना लेना है. आप चाहें हो बनी-बनाई कज्जली भी यूज़ कर सकते हैं. बनी हुयी कज्जली हमारे स्टोर से मिल जाएगी, लिंक डिस्क्रिप्शन में मिल जायेगा.
कज्जली बनाने के बाद सोना, चाँदी, हीरा, ताम्र और लौह भस्म को मिलाकर इसे एलो वेरा कर मिक्स करते हुए घोटकर आतशी शीशी में भरना होता है और कपड़मिट्टी कर सुखाना होता है.
इसके बाद एक मिटटी के हांडी में आतिशी शीशी को बीच में रखकर मोटा नमक डालकर हांडी नमक से भर देना होता है. इतना ही भरना होता है कि बोतल का उपरी भाग दीखता रहे, बोतल की गर्दन तक ही नमक भरना है हांडी में.
अब आप सोच रहे होंगे कि ये आतिशी शीशी क्या है. आतिशी शीशी काँच के बोतल होती है, कोई साधारण काँच की बोतल नहीं बल्कि. बल्कि यह बहुत हाई टेम्पर काँच की बोतल होती है, जो बहुत ज्यादा तापमान में भी नहीं पिघलती है. इसे ही आयुर्वेदिक दवाएँ बनाने में यूज़ किया जाता है. और यही आतिशी शीशी के नाम से जानी जाती है.
तो अब इस हांडी के ऊपर इसका ढक्कन रख कर बंद कर चूल्हे की आंच पर चढ़ाना है. पुरे एक दिन के लिए मतलब कम से कम 8 घंटा आंच देना है. पहले मंद आँच, फिर तेज़ आंच.
इसके बाद जब पूरी तरह से ठंडा हो जाये तो आतिशी शीशी वाली दवा निकालकर खरल में डालकर इसमें इतना मदार का दूध डालें कि आटे जैसे गिला हो जाये, फिर इसे ख़ूब खरल कर लें.
इसके बाद असगंध, तालमखाना, शतावर, कसेरू, कुश और कमल की जड़ की तीन-तीन भावना दें और सुखा लें और पाउडर जैसा कर लेना है.
और इसके बाद कस्तूरी या केसर, त्रिकटू इत्यादि वाला जो बारीक चूर्ण बनाकर रखा है, उसे इसमें अच्छी तरह से मिक्स कर लें.
अब इस मिक्सचर का वज़न कर लें, इसके कुल वज़न के बराबर पीसी हुयी देसी खांड इसमें मिक्स कर लेना है और कांच के जार में एयर टाइट कर रख लेना है. बस मदन कामदेव रस तैयार है.
तो इतने प्रोसेस के बाद सोना, चाँदी और हीरा से बना हुआ बेशकीमती रसायन तैयार होता है. यह बना हुआ मार्केट में नहीं मिलता है, अगर आप वैद्य हैं तो इसका निर्माण कर सकते हैं.
मदन कामदेव रस की मात्रा और सेवन विधि
एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम एक ग्लास मिश्री मिले दूध से लेना चाहिए. भोजन के एक घंटे के बाद. इस रसायन का सेवन करते हुए प्रयाप्त मात्रा में घी, दूध और फलों का भी सेवन करना चाहिए.
मदन कामदेव रस के फ़ायदे
मूल ग्रन्थ में तो इसके फ़ायदे बड़े संक्षेप में कह दिया गया है. सभी तरह का प्रमेह रोग दूर होते हैं, हर तरह की पेशाब की प्रॉब्लम, धातु की समस्या, वीर्य विकार, पॉवर-स्टैमिना की कमी सब दूर होगी.
शरीर का बल बढ़ाता है, शरीर को पुष्ट करता है और शरीर को निरोग करता है.
नपुंसक भी इसके सेवन से थोड़े ही दिनों में अच्छा हो जाता है. तो यह सब तो हो गयी मूल ग्रन्थ की बात.
अगर आप इसके घटक पर एक नज़र डालें तो
स्वर्ण भस्म - शरीर को निरोगी करता है, शक्ति देता है, उत्तम रसायन है. नर्वस सिस्टम को ताक़त देता है, हार्ट, लीवर, ब्रेन सभी ओर्गंस के लिए टॉनिक की तरह काम करता है. तासीर में ठंडा है.
चाँदी भस्म - वात और कफ़ दोष को बैलेंस करता है. दिल-दीमाग को ताक़त देता है, स्किन ग्लो को बढ़ाता है और धातुओं को पुष्ट करता है.
हीरक भस्म - हीरा तो ख़ुद हीरा है. यह शरीर को वज्र के समान मज़बूत बनाता है. यह बॉडी को स्ट्रोंग बनाने वाली, पौष्टिक, ताक़त देनी वाली, कामोत्तेजना बढ़ाने वाली और नपुँसकता यानि कि नामर्दी को दूर करने में बेजोड़ होती है.
ताम्र भस्म - ताम्र भस्म की बात करूँ तो यह लीवर, गालब्लैडर पर अच्छा असर करता है, नया खून बनाने में सहायक है. पाचन शक्ति को ठीक करता है.
लौह भस्म - यह उत्तम रसायन और बाजीकरण होता है. बॉडी की कमज़ोरी को दूर कर भरपूर ताक़त देता है. नया खून बनाता है, धातुओ को पुष्ट करता है और मर्दाना ताक़त बढ़ाता है.
इसमें असगंध, शतावर, तालमखाना जैसी काष्टऔषधियों का मिश्रण बहुमूल्य भस्मों के गुणों को बढ़ा देता है और इस तरह से यह कामदेव जैसा असर करती है. कस्तूरी या केसर मिला होने से यह तेज़ी से असर दिखाती है.