कांचनार गुग्गुल क्या है?
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कांचनार से बनी गुग्गुल वाली औषधि, जो काले रंग की गोली या टेबलेट के रूप में मिलती है.
कांचनार की छाल और शुद्ध गुग्गुल इसका मुख्य घटक है. इसका कम्पोजीशन और निर्माण विधि की पूरी डिटेल आगे बताऊंगा.
उस से पहले जान लेते हैं कि कांचनार क्या है?
कांचनार एक बहुत ही चमत्कारी औषधि है, इसका मेडियम साइज़ का पेड़ होता है. इसके फूल बड़े ही सुन्दर दीखते हैं, जैसा कि आप देख सकते हैं. कई जगह इसके पत्तों को साग की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है, जबकि इसके फूलों की सब्ज़ी भी बनाई जाती है.
कांचनार गुग्गुल के फ़ायदे
हर तरह की गाँठ, ग्रंथि, रसौली, सिस्ट और थाइरोइड में यह प्रमुखता से यूज़ की जाती है.
कांचनार गुगुल शरीर की ग्रंथियों में होने वाली असामान्य वृद्धि को दूर करने में बहुत ही असरदार है.
शरीर में कहीं भी ग्लैंड या ट्यूमर हो, या दूसरी किसी भी ग्लैंड का साइज़ बढ़ जाये, थायराइड, शरीर में कहीं भी गिल्टी या ग्रंथि हो, लिम्फ नोड्स सुजन, साइनस, Fibroid, गर्भाशय में ट्यूमर होना, Ovarian Cyst, PCOD, फैलोपियन ट्यूब की ब्लॉकेज इत्यादि में कांचनार गुगुल के इस्तेमाल से लाभ होता है.
कंठमाला, गण्डमाला, फाइलेरिया, अंडकोष वृद्धि, गर्दन के आस पास होने वाली ग्रंथियों की वृद्धि, प्रोस्टेट ग्लैंड वृद्धि जैसे रोगों के लिए असरदार दवा है.
पेट में कहीं भी गाँठ या ट्यूमर होना, नाक के अन्दर गाँठ होना, नाक के अन्दर का मांस बढ़ जाना, भगन्दर या फिस्टुला, अल्सर और त्वचा रोगों में भी इसका इस्तेमाल होता है.
चर्मरोग को दूर करने और ज़ख्म को भरने में भी यह असरदार है. लिपोमा इत्यादि में भी इसका सेवन कर सकते हैं.
कांचनार गुगुल के इस्तेमाल से शरीर के विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं जिस से बीमारी जड़ से ठीक हो जाती है.
खाँसी, सर्दी, नज़ला, साइनस, अस्थमा जैसे रोगों में भी यह लाभकारी है.
कुल मिलाकर देखा जाये तो यह एक बहुत ही इफेक्टिव मेडिसिन है, अगर उत्तम क्वालिटी की हो और शास्त्रोक्त विधि से बनी हो तो पूरा लाभ मिलता है.
कांचनार गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि
दो गोली सुबह-शाम लेना ताज़ा पानी या कांचनार की छाल के क्वाथ के साथ सेवन करना चाहिए. इसका अधिकतम डोज़ चार-चार गोली तीन बार तक है, यानी रोज़ पांच-छह ग्राम तक यूज़ कर सकते हैं.
कांचनार गुग्गुल के साइड इफेक्ट्स
सही डोज़ में लॉन्ग टाइम तक इसका सेवन कर सकते हैं, कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता.
इसके सेवन से किन्ही-किन्ही को शुरू में लूज़ मोशन हो सकता है. गुग्गुल होने से पेट की गर्मी और सर दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं ख़ासकर पित्त प्रकृति वाले लोगों को. इसलिए गर्म तासीर वाले लोग इसे कम डोज़ में और वैद्य जी की देख रेख में ही यूज़ करें.
प्रेगनेंसी में इसका सेवन नहीं करना चाहिए, प्रेगनेंसी से पहले कंसीव करने के लिए, सिस्ट, Fibroid इत्यादि दूर करने के लिए इसका सेवन करना ही चाहिए.
कांचनार गुग्गुल के घटक या कम्पोजीशन और निर्माण विधि
आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली और शारंगधर संहिता में इसका वर्णन मिलता है.
इसके कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है कांचनार की छाल 40 तोला, त्रिफला 24 तोला, त्रिकुटा 12 तोला, वरुण की छाल 4 तोला, छोटी इलायची, दालचीनी और तेजपात प्रत्येक एक-एक तोला लेकर कूट-पीसकर कपड़छन चूर्ण बना लें. इसके बाद इस चूर्ण के वज़न के बराबर शुद्ध गुग्गुल मिलाकर घी या एरण्ड तेल मिलाते हुए इमामदस्ते में कूटकर 500 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें.
कांचनार गुग्गुल कहाँ से ख़रीदें?
वैसे तो यह कई तरह की कंपनियों का मार्केट में मिल जाता है, यह हमारे स्टोर पर भी अवेलेबल है 100 ग्राम के पैक की कीमत है 430 रुपया, ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक दिया गया है. अगर आप वैद्य हैं और अपनी प्रैक्टिस के लिए किलो भाव में इसे लेना चाहते हैं तो भी मिल जायेगा.