यह एक औषधिय पौधा है, यानी कि बड़े कमाल की जड़ी-बूटी है. यह आपको सड़क किनारे, खेतों के किनारे खर-पतवार के रूप में नज़र आ जाएगी. इसे अक्सर लोग बेकार की चीज़ समझते हैं, पर असल में यह है बड़े काम की चीज़ तो आईये आपको इसके बारे में सबकुछ बता दूँ –
इसे ग्रंथि पर्णी, बड़ा गूमा, रक्त पुष्पि, डग्गा, क्लिप डग्गा और शेर का कान जैसे नामों से भी जाना जाता है. जबकि इसका वैज्ञानिक नाम लियोनोटिस नेपेटीफोलिया है.

इसके फल स्वाद में कड़वे, तासीर में गर्म और त्रिदोष को दूर करने वाले होते हैं.
इसकी छाल, भूख बढ़ाने वाली, पेट दर्द दूर करने वाली, दर्द सुजन दूर करने वाले गुणों से भरपूर होती है.
पेट दर्द होने पर इसके तने और पत्तों को पीसकर पेट के ऊपर लेप करने से पेट दर्द दूर होता है.
किसी कारन से भी भूख नहीं लगती हो तो इसके तीन पत्ते लेकर इसमें तीन दाना काली मिर्च और एक जौ लहसुन मिक्स कर पीसकर खाने से खुलकर भूख लगने लगती है.
ख़ूनी बवासीर में इसके पत्तों को पीसकर मस्सों पर लगाना चाहिए.
पांडु रोग या एनीमिया में इसे कांचनार की छाल के साथ काढ़ा बनाकर गुड़ मिलाकर पीना चाहिए.
इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पिने से सिफलिस और सुज़ाक रोग में लाभ होता है.
हर तरह की सुजन में इसके जड़ को पीसकर लेप करने से सुजन दूर होती है.
फ़ाइलेरिया में भी इसकी जड़ और सिहोड़ा की छाल को पीसकर लेप करने से लाभ होता है.
दाद या एक्जिमा की समस्या में इसके फूलों को जलाकर इसकी राख को लगाने से लाभ होता है. यह कैंसर रोधी और चर्मरोग नाशक गुणों से भी भरपूर होती है.