आज की जानकारी है रुद्राक्ष के औषधीय प्रयोग के बारे में. रुद्राक्ष धारण किये हुए या इसकी माला पहने लोगों को देखा होगा. परन्तु क्या आप जानते हैं कि यह एक औषधि भी है? क्या आप जानते हैं कि इसके सेवन से कौन-कौन से रोगों से मुक्ति मिलती है? आईये सबकुछ विस्तार से जानते हैं –
रुद्राक्ष
इसका संधि विच्छेद करने पर दो शब्द मिलते हैं –
रूद्र = शिव या शंकर जी और अक्ष = आँख
कहा जाता है कि भोले शंकर जी ने हज़ारों वर्षों की तपस्या के बाद जब आँख खोली तो स्नेहवश नेत्र जल की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी जिस से वृक्ष उगा उसे ही आगे चलकर रुद्राक्ष के नाम से जाना गया.
रुद्राक्ष का पेड़ हमारे देश भारत के कुछ राज्यों में पाया जाता है, भारत के अलावा यह नेपाल और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी मिलता है.
इसके फल के अन्दर से निकलने वाली गुठली ही रुद्राक्ष है. इस गुठली में जितनी गहरी लाइनें होती हैं उसे ही इसके मुख के नाम से जाना जाता है. सामान्यतः रुद्राक्ष के पाँच मुख होते हैं, जिसे पंचमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है. वैसे रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक हो सकता है. इसकी क़ीमत भी इसके मुख के अनुसार कम/अधीक होती है. इसकी गुठली में प्राकृतिक रूप से छेद होता है, जिस कारण इसकी माला बनायी जाती है.
बाज़ार में नकली रुद्राक्ष की भरमार है. आज के समय में नकली रुद्राक्ष की पहचान करना मुश्किल है. कहा जाता है कि रुद्राक्ष का दाना फोड़ने पर वह जितने मुख वाला होगा वह उतने ही टुकड़े में बिखर जाता है. औषधीय प्रयोग के लिए ओरिजिनल रुद्राक्ष होना चाहिए, चाहे वह कितने भी मुख का हो कोई फ़र्क नहीं पड़ता.
रुद्राक्ष के औषधीय गुण
इसके गुणों की बात करें तो यह वात-नाशक, उष्ण यानि तासीर में गर्म, कफ निवारक, सर दर्द दूर करने वाला, भूतबाधा और गृहबाधा नाशक है.
मधुर, बुद्धिवर्धक, रक्तचाप नाशक, दाह, ज्वर, उन्माद, विस्फोट और चेचक के ज़ख्मों को दूर करता है.
रुद्राक्ष के रोगानुसार प्रयोग
अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि रुद्राक्ष सिर्फ़ माला पहनने की चीज़ नहीं है बल्कि इसका सेवन कर या खाकर भी कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं, तो आईये जानते हैं.
दिमागी रोगों में
ब्रेन या दिमाग के सभी रोगों में इसके सेवन से लाभ होता है. इसके लिए रुद्राक्ष के दाने को पानी के साथ पत्थर पर घिसकर तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ख़ाली पेट मिश्री मिलाकर चाटने से दिमाग को शान्ति मिलती है, गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, नीन्द नहीं आना और मिर्गी के दौरे में भी लाभ होता है.
चेचक में
चेचक भी यह बहुत असरदार है. इसे चन्दन की तरह घिसकर रोज़ तीन बार शहद के साथ चटाना चाहिए. चेचक के मौसम में दो दिन तक इसका यूज़ कर लिया जाये तो वैक्सीन की तरह चेचक से बचाव होता है. चेचक के ज़ख्म पर इसे घिसकर लगाने से जलन कम होती है और ज़ख्म दूर होता है.
हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर में
रुद्राक्ष का बारीक चूर्ण 20 ग्राम और सारस्वत चूर्ण 50 ग्राम मिलाकर रख लें. इस चूर्ण को पाँच-पाँच ग्राम सुबह-शाम ताज़ा पानी से लेने से हाई BP, नींद नहीं आना, ह्रदय रोग, घबराहट, तनाव और मानसिक दुर्बलता दूर होती है.
लिवर की बीमारीओं में
रुद्राक्ष का बारीक चूर्ण 3-3 ग्राम सुबह-शाम आरोग्यवर्धिनी वटी के साथ सेवन करने से लिवर बढ़ जाना, जौंडिस, कामला, लिवर की कमजोरी, खाना हज़म नहीं होना इत्यादि समस्त यकृत विकार दूर होते हैं. पित्ताशय कैंसर भी असरदार है.
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रुद्राक्ष की माला पहनने से हृदय रोगों से बचाव होता है, इसके लिए मा ला ऐसी होनी चाहिए जिस से रुद्राक्ष हार्ट के एरिया को टच करता रहे.
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तो यह थी आज की जानकारी रुद्राक्ष के बारे में. क्या आपको यह जानकारी पहले पता थी? कमेंट कर ज़रूर बताएं.