Mrit Sanjeevani Sura | मृत संजीवनी सूरा के फ़ायदे और नुकसान



मृत संजीवनी सूरा जो है क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो सूरा या शराब की तरह तो है पर शराब की तरह नुकसान देने वाली नहीं बल्कि कई बीमारियों को दूर कर जान बचाने वाली होती है. तो आईये जानते हैं मृत संजीवनी सूरा का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


मृत संजीवनी सूरा जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है मरे हुवे को जीवन या संजीवनी देने वाली शराब. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि मरते हुवे आदमी को भी इसे पिलाने से कुछ टाइम तक ज़िन्दा रहता है इसीलिए इसे मृत संजीवनी नाम दिया गया है. सूरा या शराब इसलिए कहा गया है कि इसमें सेल्फ़ जनरेटेड अल्कोहल 15% से ज्यादा रहता है जबकि दुसरे आसव और आरिष्ट में 5% तक ही होता है. 


मृत संजीवनी सूरा का कम्पोजीशन- 


इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें पुराना गुड़ और पानी के अलावा कई तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है. इसमें बबूल की छाल, अनार, वसाका, मोचरस, लज्जालु, अतीस, अश्वगंधा, देवदार, बिल्व, श्योनका, पटाला, शालपर्णी, प्रिश्नपर्णी, वृहती, कंटकारी, गोक्षुर, इन्द्रवरुणी, कोला, एरण्ड, पुनर्नवा, धतुरा, लौंग, इलायची, दालचीनी, पद्माख, उशीर, लाल चन्दन, सफ़ेद चन्दन, सौंफ़, यमानी, सोंठ, मिर्च, पीपल, साठी, जायफल, नागरमोथा, मेथी जैसी चीज़ों का मिश्रण होता है. 


मृत संजीवनी सूरा के फ़ायदे- 


मृत संजीवनी सूरा को कई तरह के लक्षणों में इस्तेमाल किया जाता है जैसे- 


  • शारीरिक कमज़ोरी और ताक़त की कमी में, यह पॉवर और स्टैमिना को बढ़ाती है.
  • ठंडे के मौसम में बॉडी को गर्मी देने के लिए.
  • पुरुषों में यौन शक्ति की कमी और स्वप्नदोष में.
  • तेज़ बुखार में, तेज़ बुखार की वजह से होने वाली बेचैनी में.
  • डायरीया और कॉलरा में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
  • पाचन शक्ति की कमज़ोरी, बुख़ार के बाद वाली कमज़ोरी में इसका इस्तेमाल किया जाता है. 
  • खाँसी में और अस्थमा के अटैक के बाद भी इसे यूज़ किया जाता है.

मृत संजीवनी सूरा की मात्रा और सेवन विधि- 


15 से 20 ड्रॉप्स तक रोज़ तीन बार तक पानी मिलाकर लेना चाहिए. ज़्यादा डोज़ में शराब की तरह लेने से नुकसान हो सकता है. 


मृत संजीवनी सूरा के साइड इफेक्ट्स- 


सही डोज़ नहीं होने से इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे पतले दस्त, चक्कर, पेट की खराबी और सर दर्द वगैरह. इसीलिए डॉक्टर की सलाह से ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए. डाबर, बैद्यनाथ जैसी आयुर्वेदिक कम्पनियों का यह मिल जाता है. 


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