Medohar Vidangadi Lauh | मेदोहर विडंगादि लौह

 

medohar vidangadi lauh


यह एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो मेदरोग के अलावा कई दुसरे रोगों को दूर करती है, तो आईये मेदोहर विडंगादि लौह के बारे में सब कुछ जानते हैं – 

मेदोहर विडंगादि लौह 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है मेद का हरण करने वाली विडंग इत्यादि द्रव्यों से बनी लौह युक्त औषधि. यहाँ पर मेद का मतलब फैट या मोटापा से है. 

जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि यह एक शास्त्रीय औषधि है जो आयुर्वेदिक शास्त्र ‘भैषज्य रत्नावली’ में वर्णित है. 

मेदोहर विडंगादि लौह के घटक या कम्पोजीशन 

इसका कम्पोजीशन बड़ा ही उत्तम है, इसे वायविडंग, हर्रे, बहेड़ा, आंवला, नागरमोथा, सोंठ, पीपल, बेल-गिरी, सफ़ेद चन्दन, सुगंधवाला, पाठा, खस, बला मूल और लौह भस्म के संयोग से बनाया जाता है. 

मेदोहर विडंगादि लौह की निर्माण विधि 

आपकी जानकारी के लिए इसे बनाने की विधि बता दे रहा हूँ. इसे बनाने के लिए बताई गयी सभी जड़ी-बूटियाँ बराबर वज़न में लेकर बारीक चूर्ण बना लिया जाता है. इसके बाद इस चूर्ण के कुल वज़न के बराबर उत्तम लौह भस्म मिलाकर खरलकर पानी मिक्स कर 250 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. कुछ वैद्य लोग इसे गोली न बनाकर ऐसे ही पाउडर फॉर्म ही रखते हैं. 

मेदोहर विडंगादि लौह की मात्रा और सेवन विधि 

एक से दो गोली या 250 से 500 mg तक सुबह-शाम गर्म पानी, शहद या जौ के पानी से. या फिर वैद्य जी की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए. 

मेदोहर विडंगादि लौह के फ़ायदे 

शरीर की अतिरिक्त वसा, चर्बी या मोटापा को दूर करता है. 

आलस को दूर कर बल और कान्ति की वृद्धि करता है 

जठराग्नि को तेज़ करता है, शरीर में खून की कमी को दूर करता है 

यह उत्तम बाजीकरण भी है, प्रमेह रोगों में भी लाभकारी है

इन सब के अलावा यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ के अनुसार सोमरोग, कृमि रोग, पांडू, कामला में भी प्रभाशाली है. 

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