Chandrakala Ras Benefits, Use & Ingredients | चन्द्रकला रस के फ़ायदे



चन्द्रकला रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के पित्त रोगों को दूर करती है. इसके इस्तेमाल से बॉडी की गर्मी, हाथ-पैर की जलन, नकसीर, चक्कर, बेहोशी और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारीयों में फ़ायदे होता है. तो आईये जानते हैं चन्द्रकला रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


चन्द्रकला रस आयुर्वेदिक रसायन औषधि है जिसमे पारा-गंधक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं. 


इसका घटक या कम्पोजीशन बताने से पहले एक हैरान करने वाली बात बताना चाहूँगा कि आज की डेट में इन्टरनेट पर इसकी जो भी जानकारी है वो बिल्कुल ग़लत है ख़ासकर इसके कम्पोजीशन के बारे में. ख़ुद को BAMS और MD कहने वाले तथाकथित डॉक्टर लोग भी इसकी ग़लत जानकारी दे रहे हैं. ऐसे ही लोगों से आयुर्वेद का नाम बदनाम होता है. भाई अगर मालूम नहीं है तो ग़लत कम्पोजीशन क्यूँ बता रहे हैं? जिनको आयुर्वेद का ABC भी मालूम नहीं है वो लोग भी आजकल यु ट्यूब पर डॉक्टर बन बैठे हैं.  


चलिए अब मैं बताता हूँ सिद्ध योग संग्रह में बताया गया इसका सही कम्पोजीशन और निर्माण विधि-


चन्द्रकला रस का कम्पोजीशन – 


शुद्ध पारा, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म, कुटकी, गिलोय सत्व, पित्तपापड़ा, खस, छोटी पीपल, सफ़ेद चन्दन, अनन्तमूल, बंशलोचन, कपूर प्रत्येक 10-10 ग्राम, शुद्ध गंधक और मोती पिष्टी 20-20 ग्राम


निर्माण विधि – 


सबसे पहले पारा और गंधक की कज्जली बना लें. उसके बाद भस्म और जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स करें. 


इसके बाद नागर मोथा, मीठा अनार, दूध, केवड़ा, कमल, सहदेई, शतावर और पित्तपापड़ा की रोज़ एक-एक भावना देना है. उसके बाद मुनक्का के काढ़े की सात भावना देकर सबसे आखिर में 10 ग्राम कपूर मिक्स कर चने के बराबर की गोलियाँ बना कर सुखाकर रख लें. 


चन्द्रकला रस के गुण –


यह मुख्यतः पित्तनाशक है और वात-पित्त को भी दूर करता है. तासीर में ठंडा, खून के थक्के जमाकर ब्लीडिंग रोकने वाला और मूत्रल या Diuretic जैसे गुणों से भरपूर होता है. यह बॉडी के अन्दर और बाहर की गर्मी को दूर करता है. ठंडी और गर्मी के मौसम में बेहद असरदार है. 


चन्द्रकला रस के फ़ायदे- 


चन्द्रकला रस जो है हर तरह के पित्तज और वात-पित्तज रोगों की बेहतरीन दवा है. बॉडी के अन्दर और बाहर होने वाली जलन और गर्मी को दूर कर देती है. 


बॉडी का तापमान बहुत ज़्यादा होना, बहुत ज़्यादा प्यास लगना, बहुत ज़्यादा पसीना आना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, पेशाब की जलन होना जैसी प्रॉब्लम में इसका प्रयोग करना चाहिए.


गर्मी की वजह से चक्कर आना, बेहोश हो जाना, आँखों के आगे अँधेरा छाना जैसी प्रॉब्लम में असरदार है. 


नाक-मुँह से ब्लीडिंग होना और रक्त प्रदर में भी असरदार है. 


कुल मिलाकर पित्त और गर्मी वाली बीमारियों के लिए यह एक बेहद असरदार औषधि है जिसे उचित अनुपान और रोगानुसार दूसरी सहायक औषधियों के साथ लेने से कई तरह की बीमारियाँ दूर होती हैं. 


चन्द्रकला रस की मात्रा और सेवनविधि- 


एक-एक गोली सुबह शाम ठंडा पानी, अनार का जूस, उशिरासव, दाड़ीमाअवलेह या फिर पेठे के रस के साथ लेना चाहिए. चूँकि यह रसायन औषधि है इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें.

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