Basant Tilak Ras | बसन्त तिलक रस के फ़ायदे



यह भैषज्य रत्नावली का एक स्वर्णयुक्त योग है जिसे कई तरह के रोगों में  प्रयोग  करने का प्रावधान है परन्तु यह ज़्यादा प्रचलित योग नहीं है, तो आईये इसके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं – 


बसन्त तिलक रस के घटक या कम्पोजीशन – 


आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली के अनुसार इसके घटक कुछ इस प्रकार से हैं – लौह भस्म, बंग भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, स्वर्ण भस्म,रजत भस्म, अभ्रक भस्म, मोती पिष्टी और प्रवाल पिष्टी प्रत्येक 10-10 ग्राम.


जायफल, जावित्री, दालचीनी, छोटी इलायची के दाने, तेजपात और नागकेशर प्रत्येक 10-10 ग्राम का बारीक कपड़छन चूर्ण 


बसन्त तिलक रस निर्माण विधि – 


इसकी निर्माण विधि बड़ा ही सरल है. सभी भस्मो और दूसरी औषधि के कपड़छन चूर्ण को अच्छी तरह से मिक्स कर त्रिफला के क्वाथ में तीन घन्टे तक घोंटकर एक-एक रत्ती या 125mg की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखाकर रख लिया जाता है.


बसन्त तिलक रस के गुण 


इसके गुणों की बात करें तो यह त्रिदोष नाशक, उदर-वात शामक, बाजीकरण, बल-वीर्य वर्द्धक, ह्रदय को बल देना, प्रमेह नाशक और रसायन गुणों से भरपूर होता है. 


बसन्त तिलक रस के फ़ायदे 


प्रमेह, बहुमूत्र, मधुमेह इत्यादि में इसके सेवन से लाभ होता है. 


वात व्याधि, सन्निपात, अपस्मार, उन्माद या पागलपन और हैजा जैसा रोगों की उत्तम औषधि है. 


वीर्य विकार, शुक्रदोष और मूत्र रोगों में इसका अच्छा प्रभाव मिलता है. 
यह दिल और दिमाग को ताक़त देता है और टेंशन दूर कर अच्छी नींद लाने में मदद करता है. 


बसन्त तिलक रस की मात्रा और सेवन विधि 


एक से दो गोली तक सुबह-शाम शहद, गिलोय के रस या शतावर के रस के साथ. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की देख रेख में भी लेना चाहिए. 


बैद्यनाथ के 10 टेबलेट की क़ीमत क़रीब 400 रुपया है, जो आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से मिल सकता है. 







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