मोती पिष्टी/मोती भस्म के चमत्कारी फ़ायदे | Moti Pishti/Moti Bhasma Benefits- Lakhaipur.com

मोती पिष्टी और मोती भस्म पर्ल या मोती से बनायी जाने वाली आयुर्वेदिक औषधि है जिसे आयुर्वेद के साथ यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी इस्तेमाल किया जाता है

मोती का आयुर्वेद में का बड़ा महत्त्व है इसके चमत्कारी गुणों के कारन. मोती एक बेहतरीन Antacid और नेचुरल कैल्शियम का बेस्ट सोर्स है, पित्त को शांत करना और कुलिंग एक्शन इसका मेन काम है

मुक्ता पिष्टी या मुक्त भस्म के इस्तेमाल से कई सारे रोग दूर होते हैं, इसके इस्तेमाल से कैल्शियम की कमी, हर तरह की कमज़ोरी, नर्वसनेस, पुराना बुखार, खाँसी, अस्थमा, हिस्टीरिया, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर, रक्तपित्त, पाचन की प्रॉब्लम, वीर्य विकार, रिकेट्स, डायबिटीज, प्रमेह, एसिडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, आँखों की प्रॉब्लम और शारीरिक कमज़ोरी जैसे कई तरह के रोग दूर होता है

आईये सबसे पहले जान लेते हैं कि मोती पिष्टी और मोती भस्म क्या चीज़ होती है और कैसे बनती है?

मोती पिष्टी और मोती भस्म दोनों फाइन क्लास की मोती से बनाया जाता है, मोती पिष्टी कैसे बनती है?

मोती पिष्टी बनाने के लिए मोती चूरे को गुलाब जल में रोज़ 21 दिनों तक घोटकर फाइन पाउडर बनाया जाता है, यही मोती पिष्टी या मुक्ता पिष्टी के नाम से जानी जाती है

मोती भस्म बनाने के  लिए मोती को शोधन-मारण जैसे प्रोसेस से गुज़ारने के बाद गुलाब जल में खरल कर टिकिया बनाकर सुखाने के बाद उपलों की तिव्र अग्नि देकर भस्म बनाया जाता है

मोती भस्म से ज़्यादा कूल मोती पिष्टी होती है इसीलिए मोती पिष्टी का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है

मोती पिष्टी या मोती भस्म के गुणों की बात करें तो यह दाह या शरीर के अन्दर-बाहर हर तरह की गर्मी और जलन को दूर करने वाली, पाचन शक्ति ठीक करने वाली, ज्वरनाशक, कफ़नाशक, खाँसी-अस्थमा दूर करने वाली, दीमाग को ताकत देने वाली, यादाश्त और बुद्धि बढ़ाने वाली, त्वचा में निखार लाने वाली, वीर्य वर्धक, वीर्य विकार नाशक, ज़हर का असर कम करने वाली और कैल्शियम का बेहतरीन सोर्स है

आईये अब जानते हैं मोती पिष्टी या मोती भस्म के फ़ायदे – 



शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए मोती पिष्टी या मोती भस्म आयुर्वेद की सबसे हाई क्लास मेडिसिन है, इसमें हाई क्लास कैल्शियम होता है जो हड्डियों, मसल्स और दांतों को मज़बूत बनता है. यह बॉडी में पूरी तरह से अब्ज़ोरब होती है. अगर आपको अंग्रेज़ी दवा का कैल्शियम बॉडी में अब्ज़ोरब नहीं होता तो मोती पिष्टी का इस्तेमाल करना चाहिए

शीतल प्रकृति या कुलिंग नेचर होने से यह बॉडी की हर तरह  की गर्मी और जलन को दूर करती है

पित्त की अधिकता को दूर करती है एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, गैस्ट्रिक, अधीक प्यास लगना, हाथ-पैर और आँख की जलन, नाक-मुंह से खून आना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है

इसके इस्तेमाल से नर्वस सिस्टम को ताक़त मिलती है सर दर्द, एपिलेप्सी, दिमागी दौरा पड़ना, स्ट्रेस, चिंता, तनाव, मानसिक विकार, दीमाग की ख़राबी, पागलपन इत्यादि में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है

मोती पिष्टी हार्ट को ताक़त देती है, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करती है, हार्ट की कमज़ोरी और ह्रदयरोगों में इसका इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए

पुरुष रोगों के लिए सफलतापूर्वक इसका इस्तेमाल होता है, यह वीर्य विकार को दूर करती है, सीमेन क्वालिटी और क्वांटिटी को बढ़ाती है, भरपूर जोश और तनाव लाती है, यौनेक्षा की कमी और Impotency को दूर करती है. इसके इस्तेमाल से मूत्र रोग भी दूर होते हैं

महिला रोगों के लिए भी यह बेहतरीन टॉनिक और दवा है हर तरह की पीरियड्स की प्रॉब्लम, ल्यूकोरिया, मेनोपौज़ और गर्भाशय की प्रॉब्लम को दूर करती है

बच्चों से लेकर बड़े-बूढों और प्रेग्नेंट महिलायें भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं



मोती पिष्टी या मोती भस्म का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका- 

60 mg से 125 mg तक शहद, घी या  गुलकंद के साथ लिया जा सकता है. या फिर रोगानुसार दूसरी सहायक औषधियों के साथ डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए. पूरी तरह से सुरक्षित दवा है किसी तरह कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 



 बैद्यनाथ, डाबर जैसी कई सारी कंपनियों की यह दवा आयुर्वेदिक दवा दुकान में मिल जाती है. तो दोस्तों ये थी आज की जानकारी मोती पिष्टी और मोती भस्म के फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *