बवासीर से परेशान हैं तो यह ज़रूर पियें !!!

 

home remedy for piles

बवासीर बड़ा ही कष्टदायक रोग है, इसे आयुर्वेद में अर्श कहा गया है जबकि अंग्रेजी में पाइल्स और हेमोराइड जैसे नामो से जाना जाता है. पाइल्स के रोगी के लिए छाछ बहुत फ़ायदेमंद होती है, तो आईये इसके बारे में सबकुछ जानते हैं – 

छाछ को आयुर्वेद में तक्र कहते हैं, इसे मट्ठा, बटर मिल्क और यहाँ दुबई और गल्फ कंट्री में लबन जैसे नामों से भी जाना जाता है. 

विधिपूर्वक बना हुआ छाछ बवासीर के रोगियों के लिए दवा की तरह काम करता है चाहे बवासीर कैसी भी हो, ख़ूनी हो या बादी.

तो सवाल यह उठता है कि तक्र या छाछ है क्या और इसे बनाने की सही विधि क्या है?

अच्छी तरह से पके हुए गाय के दूध से जमे हुए दही में इसकी  आधी मात्रा में पानी मिलाकर मथकर मक्खन अलग कर रख लें, यही तक्र या छाछ है. 

ताज़े छाछ के सेवन से न सिर्फ़ बवासीर बल्कि पेट की बीमारियों में भी फ़ायदा होता है. बवासीर के रोगी जितना हो सके छाछ का सेवन करना चाहिए. पेट की बीमारियों और बवासीर को बिना दवा के दूर करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सक ‘मट्ठा कल्प’ कराते हैं. मट्ठा कल्प के बारे में फिर कभी विस्तार से बताऊंगा.

तक्र या छाछ के सेवन से ठीक हुआ बवासीर दुबारा नहीं होता है, ऐसा चरक संहिता में है.

आचार्य चरक के अनुसार – 

हतानि न विरोहन्ति तक्रेण गुदजानि तू |

भूमावपि निषिक्तं तद्दहेत्तक्रं तृणोलुपम |

कि पुनर्दीप्त कायाग्नने: शुष्कान्यर्शासि देहिन: ||

अर्थात– तक्र द्वारा नष्ट हुए अर्श पुनः उत्पन्न नहीं होते हैं. इसका उदाहरण देते हुए आचार्य चरक कहते हैं कि जब भूमि पर सिंचा हुआ तक्र वहां के त्रिन समूह को जलाता है, तब प्रदीप्ति जठराग्नि वाले मनुष्य शुष्कार्श का क्या कहना. अर्थात तक्र के सेवन से अर्श समूल नष्ट हो जाता है. 

तो इस तरह से आयुर्वेदिक ग्रन्थों से भी यह साबित हो जाता है कि तक्र या छाछ बवासीर के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है. 

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