नाग भस्म के गुण, उपयोग एवम प्रयोग विधि | Nag Bhasma Benefit and Use – Lakhaipur



नाग भस्म क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है, जो सीसे या लेड से बनाया जाता है. लेड को आयुर्वेद में नाग भी कहते हैं, साँप वाला नाग नहीं. इसे प्रमेह, ख़ासकर मधुमेह या डायबिटीज, बार-बार पेशाब आने, पेशाब कण्ट्रोल नहीं कर पाना, आँखों के रोग, गुल्म, एसिडिटी, लीवर स्प्लीन की बीमारी, ल्यूकोरिया, गण्डमाला, हर्निया और नपुंसकता जैसे रोगों में प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं नाग भस्म के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


नाग भस्म बनाने के लिए उत्तम क्वालिटी के लेड को कई तरह के प्रोसेस से शुद्ध करने के बाद भस्म बनाया जाता है जो की एक जटिल प्रक्रिया होती है. आम आदमी के लिए इसकी भस्म बनाना आसान नहीं है इसीलिए इसकी चर्चा न कर जानते हैं इसके फ़ायदों के बारे में. 


नाग भस्म के औषधिय गुण – 


कफ़, पित्त और वात तीनों दोषों पर इसका असर होता है. यह पाचक, बल-वीर्य बढ़ाने वाली, शक्तिवर्धक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी डायबिटिक जैसे कई तरह के गुणों से भरपूर होती है. 


नाग भस्म में दोनों तरह के चमत्कारी गुण होते हैं जैसे बढे हुवे धातुओं को घटाना और घटे हुवे धातुओं को बढ़ाना.


नाग भस्म के फ़ायदे- 


पेट के रोग, भूख की कमी एसिडिटी में – 


यह जठराग्नि को तेज़ कर भूख को बढ़ाती है. एसिडिटी में जब पेट में गर्मी और जलन हो, प्यास ज्यादा लगती हो, बार-बार उल्टी करने की इच्छा हो तो ऐसी कंडीशन में नाग भस्म बेहद असरदार है.


मधुमेह या डायबिटीज में – 


डायबिटीज और इस से रिलेटेड प्रॉब्लम में नाग भस्म बेहद असरदार है. इसे शिलाजीत के साथ लेने से तेज़ी से फ़ायदा होता है, कमज़ोरी दूर कर शारीरिक शक्ति को भी बढ़ाती है. 


डायबिटीज वाले मोटे-थुलथुले व्यक्तियों के लिए यह बेहद असरदार है. पर डायबिटीज के दुबले-पतले रोगीयों को इसके साथ में यशद भस्म लेना चाहिए. 


हड्डी के रोगों में –


बोन मैरो कमज़ोर होने से जब हड्डी टेढ़ी होने लगती है और जोड़ों में दर्द होता हो तो नाग भस्म के इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. 


बवासीर में –


बादी बवासीर में नाग भस्म को दूसरी सहायक औषधियों के साथ लेने से फ़ायदा होता है. 


मसल्स की कमज़ोरी में – 


नाग भस्म मसल्स के लिए भी इफेक्टिव है. अगर बहुत-खाने पिने पर भी सेहत नहीं लगती और मसल्स कमज़ोर हों तो इसके इस्तेमाल से मसल्स में ब्लड फ्लो बढ़ता है और मसल्स मज़बूत होते हैं. 


नपुंसकता या Impotency में – 


नसों की कमजोरी, नर्व के बेजान होने से होने वाली नामर्दी या फिर अंडकोष की ग्रंथियों की कमज़ोरी से होने वाली नामर्दी इस से दूर होती है. इसके लिए नाग भस्म 125mg, शुद्ध शिलाजीत 125mg और स्वर्ण भस्म 30mg मिक्स कर शहद से लेना चाहिए. 


पुरुष यौन रोग और वीर्य विकारों में – 


अधीक वीर्यस्राव होने से जब दिमाग कमज़ोर हो, कोई भी काम करने का मन नहीं करे और माइंड में तरह-तरह के विचार आते हों तो इसे से चमत्कारी लाभ मिलता है. ऐसी कंडीशन में नाग भस्म 125mg, शुद्ध शिलाजीत 125mg और प्रवाल पिष्टी 60mg मिक्स कर सुबह शाम लेना चाहिए शहद से. 


आँखों की बीमारीयों के लिए- 


आँख की हर तरह की प्रॉब्लम में नाग भस्म को त्रिफला घृत के साथ लेने से फ़ायदा होता है. 


गण्डमाला में – 


गण्डमाला और ग्लैंड में भी नाग भस्म लेने से फ़ायदा होता है. इसके साथ में कांचनार गुग्गुल भी लेना चाहिए. 


सुखी खांसी और फेफड़ों के रोग में –


सुखी खाँसी में नाग भस्म लेने से फ़ायदा होता है. 125mg नाग भस्म को सितोपलादि चूर्ण में मिक्स शहद के साथ लें और वासारिष्ट पीना चाहिए. तपेदिक या ट्यूबरक्लोसिस होने पर नाग भस्म असरदार है. टी.बी. में इसे मुक्त पिष्टी और च्यवनप्राश के साथ लेना चाहिए. 


जोड़ों का दर्द और आमवात में – 


आमवात और जोड़ों के दर्द में इसे सोंठ के चूर्ण के साथ लेने से फ़ायदा होता है. 


नाग भस्म की मात्रा और सेवन विधि- 


125mg सुबह शाम शहद या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. इसे डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. गलत डोज़ होने पर नुकसान भी हो सकता है. 


डाबर बैद्यनाथ जैसी आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं. 


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