गुलकंद के इन फ़ायदों को जानते हैं आप? Gulkand Benefits in Hindi



गुलकंद को आयुर्वेद के साथ साथ यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी इस्तेमाल किया जाता है. ताज़े गुलाब की पंखुड़ीयों को शक्कर के साथ मसलकर काँच के जार में कुछ दिन धुप में रखने से गुलकंद तैयार हो जाता है. यहाँ मैं बता देना चाहूँगा कि गुलाब के फूलों के अलावा गुड़हल और दुसरे फूलों से भी गुलकंद बनाया जाता है. पर गुलाब के फूल वाला ही सबसे ज़्यादा यूज़ किया जाता है. 


गुलकंद को गर्मी के दिनों में ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है, पर कई सारी आयुर्वेदिक दवाओं के अनुपान के रूप में इसे सालों भर प्रयोग कर सकते हैं. 


गुलकंद के फ़ायदे – 


गुलकंद से कब्ज़ दूर होता है, कब्ज़ की प्रॉब्लम हो तो इसे एक-एक चम्मच सुबह शाम ले सकते हैं. यह कब्ज़ तो दूर करेगा ही साथ में पेट की गर्मी, जलन, एसिडिटी, पेशाब की जलन वगैरह को भी दूर करेगा. साधारण कब्ज़ को दूर करने के लिए इसे रात में सोने से पहले पानी या दूध से ले सकते हैं. 



गुलकंद के इस्तेमाल से हाथ पैर या हथेली-तलवों की जलन, आँख की जलन, अधीक प्यास लगना, बहुत ज्यादा गर्मी लगना, बहुत ज़्यादा पसीना आना, पसीने की बदबू  जैसे रोग दूर होते हैं. 


हाई ब्लड प्रेशर में गुलकंद के इस्तेमाल से फ़ायदा होता है, इसे एक-एक चम्मच सुबह शाम लेना चाहिए.


इसे पढ़ें – गुलाब के फ़ायदे और घरेलु प्रयोग 


ह्रदय रोगों में भी गुलकंद फ़ायदेमंद है, घबराहट, बेचैनी जैसी प्रॉब्लम दूर होती है. 
पेट की गैस दूर करने के लिए गुलकंद को दूध में डालकर पीना चाहिए. 
गुलकंद में रक्तशोधक या Blood Purifier गुण भी होते हैं, इसके प्रयोग से चर्मरोगों में भी लाभ होता है. 


गुलकंद के इस्तेमाल से पाचन शक्ति ठीक होती है, भूख बढ़ती है और कमज़ोरी दूर होती है. कुल मिलाकर देखा जाये तो कब्ज़ और पित्त या गर्मी की वजह से होने वाले रोगों के लिए यह एक अच्छी दवा है. शुगर के रोगी गुलाब के फूलों का चूर्ण यूज़ कर सकते हैं इसकी जगह पर. 





गुलकंद की मात्रा और सेवन विधि- 


एक चम्मच सुबह शाम दूध या पानी से, रोग और आयु के अनुसार इसकी मात्रा कम या अधीक कर सकते हैं. बच्चे-बड़े सभी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. कई सारी कंपनियां इसे बनाती है, यहाँ निचे दिए गए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं-  


इसे भी जानिए – 
Watch here in Hindi/Urdu

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *