कॉफ़ी को सभी लोग जानते हैं, यह किसी परिचय का मोहताज नहीं है, आप भी अक्सर काफी पीते होंगे. काफ़ी पीने के कुछ फ़ायदे और नुकसान आप जानते ही होंगे. पर क्या आप इसके कुछ औषधिय प्रयोग भी जानते हैं? आईये जानते हैं कॉफ़ी का संक्षिप्त परिचय और इसके औषधिय प्रयोग के बारे में विस्तार से –
सबसे कॉफ़ी का परिचय
जैसा कि सभी लोग जानते हैं कि यह एक तरह के पौधे का बीज है जिसे भुनकर प्रयोग किया जाता है.
भाषा भेद से कॉफ़ी के नाम
आपको यह जानकर हैरानी होगी की कॉफ़ी को संस्कृत में म्लेच्छफल, राजपीलु और कॉफ़ी जैसे नामों से जाना जाता है
हिन्दी में – कॉफ़ी
बंगाली में – काफी
अरबी में – क़हवा, क़ावा
फ़ारसी में – तोकैमकेवह
मराठी में – बुंद
गुजराती में – बुंद, बुंददाना
तमिल में – काप्पीकोत्टाई, कप्पी, सिलापकम
मलयालम में – बन्नू
तेलगु में – काप्पीवित्तालू जैसे नामों से जाना जाता है, अंग्रेज़ी में इसे कॉफ़ी ही कहते हैं जबकि इसका लैटिन नाम Coffea Arabica है.
आईये अब जानते हैं कॉफ़ी के गुण
कॉफ़ी तिक्त, कटु, हृद्य, उष्ण तथा कफ और वात को दूर करती है. यह स्फूर्तिदायक, श्वास-कास को हरने वाली और नींद उड़ाने या अनिद्रा लाने में सहायक है.
कॉफ़ी का शरीर पर प्रभाव
शरीर के कई अंगों पर इसका असर होता है, नस-नाड़ी, पाचन तंत्र, फेफड़े, ब्लड और किडनी पर इसका प्रभाव होता है.
नाड़ी मण्डल को यह उत्तेजना देती है जिस से कॉफ़ी पीने के बाद लोगों फ्रेशनेस और Activeness महसूस होता है.
यह मूत्रल है जिस से किडनी पर असर होता है और पेशाब लाने में मदद मिलती है.
इसके सेवन से हृदय और फेफड़ों को बल मिलता है और सुजन भी कम होती है.
यह सब तो हो गए इसके जनरल फ़ायदे, आईये अब जानते हैं रोगानुसार कॉफ़ी के औषधिय प्रयोग जो आज आप पहली बार जानेंगे –
सर दर्द और अधकपारी में – कॉफ़ी के कच्चे बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्द दर्द और माइग्रेन में लाभ होता है.
हृदय रोगों में – कॉफ़ी के बीज और अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर पीने से ह्रदय की दुर्बलता दूर होती है और हृदय रोगों में लाभ होता है.
दांत के कीड़े और मुँह की बदबू में – कॉफ़ी के बीजों का काढ़ा बनाकर कुल्ली करने से लाभ होता है.
दस्त और अरुचि होने पर – कॉफ़ी के बीज और पत्तों का काढ़ा पीने से अरुचि, दस्त और अधीक प्यास लगने जैसी समस्या में लाभ होता है.
जोड़ों के दर्द और हड्डियों के रोग में –
कॉफ़ी के कच्चे बीजों का काढ़ा 20 ML सुबह-शाम पीने से गठिया, आमवात, संधिवात जैसे वात रोगों में फ़ायदा मिलता है.
बुखार में – कॉफ़ी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से हर तरह की बुखार दूर होती है.
थकान में – जैसा कि सभी जानते हैं कॉफ़ी पीने से थकान दूर होती है और चुस्ती-फुर्ती आती है.
नाड़ी शिथिलता में – कॉफ़ी के बीजों घी में भुनकर चूर्ण बनाकर दूध और चीनी मिक्स कर कॉफ़ी की तरह बनाकर पीने से नाड़ी की शिथिलता दूर होती है, शक्ति मिलती है और हृदय को बल मिलता है.
तो दोस्तों, ये थे कॉफ़ी के कुछ औषधिय प्रयोग. अब आप समझ गए होंगे की कॉफ़ी सिर्फ कॉफ़ी ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक औषधि भी है.
अब अंत में यह भी बता दूँ कि कॉफ़ी किसे नहीं पीनी चाहिए–
पित्त दोष में, जिनका पित्त बढ़ा हो, एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, जौंडिस, हेपेटाइटिस जैसे लीवर-स्प्लीन के रोगी को कॉफ़ी का सेवन नहीं करना चाहिए.