इसे चाटने से यह बीमारी दूर होती है | Lankadhipeshwar Ras

 

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यह जो औषधि है लंकाधिपेश्वर रस यह एक दुर्लभ आयुर्वेदिक ग्रन्थ रस हज़ारा में वर्णित है. वही ग्रन्थ जिसके बारे में इस वाले विडियो में बताया गया है. 

तो सबसे पहले जानते हैं लंकाधिपेश्वर रस के घटक या कम्पोजीशन के बारे में – 

इसके कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है- शुद्ध पारा, अभ्रक भस्म, सोंठ, शुद्ध गन्धक, शुद्ध हरताल, शुद्ध शिलाजीत और अम्लवेत का गुदा सभी बराबर मात्रा में. 

लंकाधिपेश्वर रस निर्माण विधी 

इसे बनाने के तरीका यह होता है कि सबसे पहले पारा और गंधक को खरल में डालकर पीसकर कज्जली बना लें और इसमें सोंठ का चूर्ण और दूसरी चीजें मिक्स कर कांजी में घोटकर दो-दो रत्ती यानि की 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. इसे ऐसे ही सुखाकर पाउडर फॉर्म में भी रख सकते हैं.

लंकाधिपेश्वर रस की मात्रा की सेवन विधि 

एक गोली या 250 mg की मात्रा में लेकर एक स्पून घी और दो स्पून शहद में मिक्स कर चाट लेना चाहिए सुबह-शाम 

लंकाधिपेश्वर रस के फ़ायदे

यह रसायन औषधि हर तरह के कोढ़ यानि की कुष्ठ व्याधि को दूर करती है. मूल ग्रन्थ में यही कहा गया है. 

वैसे इसे रक्तदोष और चर्म रोग या स्किन डिजीज में भी यूज़ कर सकते हैं. 

इसका सेवन करते हुए नमक और वैसे चीजों से परहेज़ रखना चाहिए जिसे कुष्ठ रोग में परहेज़ किया जाता है. 

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