तेजपत्ता को तेजपत्र, तेजपान, तमालका, तमालपत्र, तेजपात, इन्डियन केसिया आदि आदि नामों से जाना जाता है, हमारे यहाँ इसे तिस पत्ता कहा जाता है.
तेजपत्ता की खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू- कश्मीर, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में की जाती है।
ये हमेशा हरा रहने वाले तमाल वृक्ष के पत्ते हैं जो कई सालों तक लगातार उपज देता रहता है।
इस पेड़ को यदि एक बार लगाया गया तो यह 50 से 100 सालों तक उपज देकर सेवा करता रहता है।
रोपण करने के 6 साल बाद जब इसका पेड़ पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो इसकी पत्तियों को इक्कठा कर लिया जाता है।
पत्तियों को इक्कठा करने के बाद इन्हें छाया में सुखाया जाता है।
तब ये पत्तियां उपयोग करने के लिए तैयार हो जाती है। फसल की कटाई करने का बाद, इसकी पत्तियों को छाया में सुखाया जाता है।
तेज पत्ते का तेल निकालने के लिए आसवन यंत्र का प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों से हमे 0.6% खुशबूदार तेल की प्राप्ति होती है। इसका तेल भी एक बहुआयामी बहुकीमती औषधि है।
आईये अब जानते हैं तेजपात के औषधिय गुण
आयुर्वेद के अनुसार तेजपात कफ़-वात शामक होता है और पित्त वर्धक होता है.
तेजपत्ता में दर्दनाशक और एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। अनेकों रोगों को दूर करने वाली अनेको औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है.
तेजपत्ता मधुमेह, अल्ज़ाइमर्स, बांझपन, गर्भस्त्राव, स्तनवर्धक, खांसी जुकाम, जोड़ो का दर्द, रक्तपित्त, रक्तस्त्राव, दाँतो की सफाई, सर्दी जैसे अनेक रोगो में अत्यंत उपयोगी है।
आईये अब जान लेते हैं तेजपत्ता के कुछ आसान से घरेलु प्रयोग
चाय-पत्ती की जगह तेजपात के चूर्ण की चाय पीने से सर्दी-जुकाम, छींकें आना, बुखार, नाक बहना, जलन, सिरदर्द आदि में शीघ्र लाभ मिलता है।
तेजपात के पत्तों का बारीक चूर्ण सुबह शाम दांतों पर मलने से दांतों पर चमक आ जाती है।
तेजपात में मूत्रल यानी Di Uretic गुण भी होते हैं, यह लिवर और स्प्लीन के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है.
तेजपात के पत्रों को नियमित रूप से चूंसते रहने से हकलाहट में लाभ होता है।
एक चम्मच तेजपात चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।
तेजपात के पत्तों का क्वाथ (काढ़ा) बनाकर पीने से पेट का फूलना व अतिसार आदि में लाभ होता है।
कपड़ों के बीच में तेजपात के पत्ते रख दीजिये, ऊनी, सूती, रेशमी कपडे कीड़ों से बचे रहेंगे।
अनाजों के बीच में 4-5 पत्ते डाल दीजिए तो अनाज में भी कीड़े नहीं लगेंगे लेकिन उनमें एक दिव्य सुगंध जरूर बस जायेगी।
अनेक लोगों के मोजों से दुर्गन्ध आती है, वे लोग तेजपात का चूर्ण पैर के तलुवों में मल कर मोज़े पहना करें, ऐसा करने से दुर्गन्ध कम जाती है.
तेजपात का अपने भोजन में लगातार प्रयोग कीजिए, आपका ह्रदय मजबूत बना रहेगा, कभी हृदय रोग नहीं होंगे।
इसके पत्ते को जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसके पत्तों पर थोड़ा सा घी या सरसों तेल लगाकर घर में जलाना चाहिए.
इसका धुँआ मिर्गी रोगी के लिए काफी लाभदायक होता है।
अधीक मात्रा में इसका सेवन कर लेने से आपको एसिडिटी या हाइपर एसिडिटी और माउथ अल्सर जैसी समस्या हो सकती है. क्यूंकि यह पित्त वर्धक होता है, जैसे कि मैंने शुरू में ही बताया. वैसे इसे बच्चे बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं को प्रॉब्लम नहीं होती.