सिद्ध मकरध्वज स्वर्ण, मुक्ता युक्त |Siddha Makardhwaj

आयुर्वेद की प्रसिद्ध, चमत्कारी और सर्वोत्तम औषधि है मकरध्वज. और आज मैं आपको यह वाली स्वर्ण मुक्ता युक्त सिद्ध मकरध्वज की जानकारी देने वाला हूँ. आयुर्वेदानुसार यह हर तरह रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है. यह हार्ट और नर्वस सिस्टम को ताक़त देकर बल, ओज और कान्ति की वृद्धि कर शरीर के वज़न को बढ़ाता है. शीघ्रपतन और नपुंसकता या नामर्दी के लिए यह बेहतरीन औषधि है, तो आइये इसके बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं –

प्रयोगों से यह सिद्ध हो चूका है और बड़े-बड़े डॉक्टर भी यह मान चुके हैं कि इसके टक्कर की कोई दूसरी औषधि नहीं है. यह बात सभी लोग जानते हैं कि शरीर में बल या शक्ति बढ़ने से हर बीमारी में फ़ायदा होता है और मकरध्वज के सेवन से शरीर की शक्ति बढ़ जाती है.

मकरध्वज बेजोड़ गुणों वाली औषधि है इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि मरते हुवे रोगी को भी किसी दवा से फ़ायदा नहीं हो तो मकरध्वज और कस्तूरी देने से प्राण रक्षा होती है. किसी भी कारण से अगर शरीर में कमज़ोरी हो, खून की कमी हो तो इसके सेवन से अच्छा लाभ मिलता है. बच्चे, बड़े, बूढ़े, युवा, महिला और पुरुष सभी लोग इसका सेवन कर लाभ ले सकते हैं.


यह बुढ़ापे को आने से रोकता है और अनुपान भेद से अनेक रोगों को नष्ट करता है. यह वात और कफज रोगों में तेज़ी से फ़ायदा करता है और उतम रसायन, बाजीकरण और योगवाही है. साधारण मकरध्वज से ज़्यादा गुणकारी सिद्ध मकरध्वज होता है जिसे सिद्ध मकरध्वज न. 1 भी कहते हैं. इसे अच्छी तरह से खरल में घुटाई करने के बाद ही प्रयोग करना चाहिए. इसमें दूसरी दवाओं को मिक्स कर भी ख़ूब घुटाई करनी चाहिए, जितना ज़्यादा घुटाई होगी योग उतना ज़्यादा प्रभावी होगा. इसीलिए कहा भी गया है – मर्दनम गुण वर्धनम


सिद्ध मकरध्वज की मात्रा और सेवन विधि – 125mg से 250mg तक शहद, मक्खन, मलाई-मिश्री, दूध, पान के स्वरस या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ देना चाहिए.


मकरध्वज के प्रकार और इसकी निर्माण विधि


हार्ट की कमज़ोरी में – ह्रदय दुर्बलता में इस से अच्छा लाभ मिलता है. इसके लिए मकरध्वज 125mg + मुक्तापिष्टी 125mg + अभ्रक भस्म 125mg + अर्जुन की छाल का चूर्ण 500mg. सभी मिलाकर एक मात्रा, ऐसी एक-एक मात्रा सुबह-शाम एक स्पून खमीरा गाओज़बाँ के साथ देना चाहिए.


कमज़ोरी में – सामान्य शारीरिक कमज़ोरी में मकरध्वज 2.5 ग्राम + लौह भस्म शतपुटी 2.5 ग्राम + गिलोय सत्व 5 ग्राम. सभी को मिलाकर 20 मात्रा बना लें. एक-एक मात्रा सुबह-शाम शहद से चाटकर ऊपर से दूध पीना चाहिए.


बल वीर्य वृद्धि, शीघ्रपतन और नपुंसकता के लिए – मकरध्वज 5 ग्राम + भीमसेनी कपूर 5 ग्राम + लौंग, काली मिर्च, जायफल का चूर्ण प्रत्येक 10-10 ग्राम + कस्तूरी 1 ग्राम. सभी को अच्छी तरह मिक्स कर शतावर के रस की तीन भावना देने के बाद 250mg की गोलियाँ बनाकर रख लें. एक-एक गोली सुबह-शाम शहद से खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पीने से वीर्य विकार दूर होता है, वीर्य गाढ़ा होता है, बलवीर्य की वृद्धि होकर शीघ्रपतन, प्रमेह और नामर्दी दूर होती है. स्तम्भन शक्ति बेहद बढ़ जाती है.


अलग-अलग बीमारियों में इसे यूज़ करने का तरीका जो मैं आपको बता रहा हूँ यह मेरी किताब ‘आधुनिक आयुर्वेदिक चिकित्सा’ से लिया गया है. इस किताब का लिंक

स्वप्नदोष और धातुस्राव में – मकरध्वज 2.5 ग्राम + प्रवाल पिष्टी 2.5 ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म 5 ग्राम + गिलोय सत्व 5 ग्राम + आमलकी रसायन 20 ग्राम. सभी को मिलाकर 20 मात्रा बना लें. एक-एक मात्रा सुबह-शाम शहद से चाटकर आधे घन्टे बाद दो गोली चन्द्रप्रभा वटी खाना चाहिए. इसके सेवन से पुराना स्वप्नदोष और धात गिरना दूर होता है.


श्वेत प्रदर(ल्यूकोरिया) में – मकरध्वज 5 ग्राम + त्रिवंग भस्म 5 ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म 10 ग्राम + गिलोय सत्व 15 ग्राम. सभी को मिलाकर 40 मात्रा बना लें. एक-एक मात्रा सुबह-शाम शहद से चाटकर ऊपर से एक कप चावल का धोवन पीना चाहिए. एक घंटा बाद चन्द्रप्रभा वटी एक गोली + चन्द्रकला रस एक गोली खाना चाहिए. भोजन के बाद पत्रांगासव 4 स्पून रोज़ दो बार पीना चाहिए. ल्यूकोरिया को जड़ से दूर करने वाला प्रभावी योग है.


प्रसुत ज्वर में – जब बच्चे के जन्म के बाद महिला को बुखार हो तो मकरध्वज 125mg + प्रतापलंकेश्वर रस 125 मिलाकर ऐसी एक-एक मात्रा हर छह घन्टे में शहद से चटाकर ऊपर से चार स्पून दशमूलारिष्ट देना चाहिए.


वात ज्वर में – मकरध्वज 125mg + त्रिभुवनकीर्ति रस 250mg + गोदन्ती भस्म 375mg + पिप्पली चूर्ण 250mg सभी को मिलाकर एक डोज़. ऐसा एक-एक डोज़ सुबह-शाम शहद से खाकर ऊपर से दशमूल क्वाथ पीना चाहिए.


कफ़ ज्वर में – मकरध्वज 125mg + अभ्रक भस्म 125mg + लक्ष्मीविलास रस नारदीय 250mg + चौसठ प्रहरी पिप्पली 250mg सभी मिलाकर एक मात्रा हुयी. ऐसी एक-एक मात्रा सुबह-शाम शहद और अदरक के रस के साथ देना चाहिए.


पित्त ज्वर में – मकरध्वज 125mg + प्रवाल पिष्टी 125mg + गिलोय सत्व 250mg सभी को मिलाकर एक मात्रा. ऐसी एक-एक मात्रा सुबह-शाम शहद से खाकर ऊपर से 50ML सुदर्शन अर्क पीना चाहिए.


मोतीझारा में – मकरध्वज 125mg + मोती पिष्टी 125mg मिलाकर एक मात्रा. ऐसी एक-एक मात्रा सुबह-शाम शहद से देना चाहिए.


सन्निपात में – जब शरीर का तापमान गिरने लगे और नब्ज़ भी बैठने लगे, कफ़ और वात बढ़ा हुआ हो तो सिद्ध मकरध्वज और अभ्रक भस्म शतपुटी दोनों 125-125mg मिलाकर शहद से हर तीन-चार घन्टे में देना चाहिए.
बदन दर्द(वात वृद्धि) में – वात वृद्धि के कारण जब शरीर में दर्द और सुस्ती हो तो मकरध्वज 125mg + गोदन्ती भस्म 500mg + सोंठ चूर्ण 250mg + शुद्ध कुचला 250mg सभी मिलाकर एक मात्रा. ऐसी एक-एक मात्रा हर छह घन्टे पर शहद से देना चाहिए.


चेचक में – मकरध्वज 125mg + रुद्राक्ष का चूर्ण 125mg को मिक्स कर करेले के पते और तुलसी के पत्तों के रस और शहद के साथ देना चाहिए.

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