Ras Manikya Benefits & How to Make | रस माणिक्य के गुण, उपयोग और निर्माण विधि – Lakhaipur.com



रस माणिक्य क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है हर तरह के चर्मरोग या स्किन डिजीज, कुष्ठव्याधि और वातरक्त जैसी बीमारियों को दूर करती है. खाँसी, अस्थमा और बुखार में भी असरदार है. स्किन डिजीज के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टरों की यह फ़ेवरेट मेडिसिन होती है तो आईये जानते हैं रस माणिक्य क्या है? बनाने का तरीका, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


माणिक्य की तरह दिखने की वजह से इसका नाम रस माणिक्य रखा गया है, यह रसायन औषधि तो है पर असली माणिक्य से इसका कोई लेना देना नहीं होता. 


रस माणिक्य का कम्पोजीशन – 


इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसका मुख्य घटक शुद्ध वंशपत्री हरताल होता है. 


रस माणिक्य निर्माण विधि – 


बनाने का तरीका यह होता है की शुद्ध हरताल को चूर्ण कर पाउडर बना लें और सफ़ेद अभ्रक के प्लेट में चूर्ण को फैला दें, अब इसके ऊपर दूसरा अभ्रक का प्लेट लगा दें. अब चरों तरफ बेर के पत्तों की चटनी या फिर मुल्तानी मिटटी और कपड़ा लगाकर सील कर दें और सूखने दें. इसके बाद बेर के लकड़ी के कोयले की अग्नि देना होता है. कोयले की तेज़ अग्नि इतना दें की अभ्रक की प्लेट लाल हो जाये. इसके बाद ठंढा होने पर अभ्रक की प्लेट को अलग कर माणिक्य की तरह दिखने वाले चमकदार चीज़ को निकालकर अच्छी तरह से खरल कर रख लें. यही रस माणिक्य है. 


ज्यादा अग्नि देने पर खरपाक हो जाता है और इसका गुण भी कम जाता है, इसलिए जब तक बनाने का अनुभव न हो ट्राई नहीं करें. 


कुछ वैध लोग फिलामेंट वाले बल्ब का पिछला हिस्सा तोड़कर उसमे शुद्ध हरताल भरकर गैस या स्टोव की अग्नि देकर भी बनाते हैं. सही आंच देने पर इसमें भी अच्छा बनता है, अभ्रक की प्लेट में बनाया गया सबसे बेस्ट होता है. 


रस माणिक्य के गुण – 


आयुर्वेदानुसार वात और कफ़ दोष पर इसका असर होता है. यह Anti Leprosy, Anti biotic, Anti Gout और Blood Purifier जैसे गुणों से भरपूर होता है. 


रस माणिक्य के फ़ायदे – 


  • यह हर तरह के चर्मरोग और कुष्ठरोग को दूर करने वाली औषधि  है. इसका प्रयोग करने से फोड़े-फुंसी, एक्जिमा, सोरायसिस, कारबंकल, हर तरह की कुष्ठव्याधि जिसमे हाथ-पैर की अंगुलियाँ गलने लगती हों दूर होती है. 



  • इन सब के अलावा सिफलिस, दुष्ट व्रण, नाड़ी व्रण या नासूर जैसी जैसी बीमारियाँ दूर होती हैं. 



  • खाँसी, अस्थमा, हार्ट ब्लॉकेज, इन्फ्लुएंजा, मलेरिया और सन्निपात जैसे बुखार भी दूर होते हैं. 



  • श्वेत कुष्ठ जिसे आमबोलचाल में सफ़ेद दाग कहते हैं, अंग्रेज़ी में इसे ल्यूकोडर्मा कहा जाता है. सफ़ेद दाग़ में भी यह बेहद असरदार है. सफ़ेद दाग़ में इसे खाने और लगाने दोनों काम में लिया जाता है. 



  • विपादिका या बिवाई यानी क्रैक हिल्स में भी इस से फ़ायदा होता है.



कुल मिलाकर यह समझ लीजिये कि हर तरह के स्किन डिजीज की यह एक बेहतरीन दवा है जिसे वैध समाज ब्रह्मास्त्र की तरह प्रयोग करते हैं. इसके साथ गंधक रसायन लेने से बेहतरीन रिजल्ट मिलता है. 


रस माणिक्य की मात्रा और सेवन विधि – 


60 से 125mg तक एक स्पून घी और दो स्पून शहद में मिक्स कर लेना चाहिए. या फिर इसे मक्खन और मिश्री के साथ भी ले सकते हैं. इसे तीन से छह महीने तक भी लगातार लिया जा सकता है. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से – 

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