Prameh Gajkeshri Ras | प्रमेहगजकेशरी रस



प्रमेहगजकेशरी रस शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो प्रमेह, धात की समस्या, मधुमेह या डायबिटीज, पेशाब की जलन, पत्थरी और बॉडी की गर्मी जैसी कई तरह की बीमारियों में बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं प्रमेहगजकेशरी रस का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से – 


प्रमेहगजकेशरी रस के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में दो तरह का योग बताया गया है. पहला है स्वर्णभस्म वाला और दूसरा है बिना स्वर्ण भस्म का साधारण वाला. स्वर्णयुक्त ही सबसे ज़्यादा इफेक्टिव होता है. सबसे पहले स्वर्णभस्म वाले का कम्पोजीशन जानते हैं –


प्रमेहगजकेशरी रस स्वर्णयुक्त –


स्वर्ण भस्म, वंग भस्म, कान्त लौह भस्म, रस सिन्दूर, मोती पिष्टी या भस्म, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपात और नागकेशर का चूर्ण सभी को बराबर वज़न में लेकर घृतकुमारी के रस में खरल कर 125 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यह रसेन्द्र सार संग्रह का योग है.


प्रमेहगजकेशरी रस साधारण –


इसके लिए चाहिए होता है लौह भस्म, नाग भस्म और बंग भस्म प्रत्येक एक-एक भाग, अभ्रक भस्म चार भाग, शुद्ध शिलाजीत पांच भाग और गोखरू का चूर्ण छह भाग लेकर अच्छी तरह से मिक्स कर निम्बू के रस में सात दिनों तक खरलकर एक-एक रत्ती या 125 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें. 


प्रमेहगजकेशरी रस के फ़ायदे- 


प्रमेह और मधुमेह यानि शुक्रस्राव या धात की समस्या और डायबिटीज के लिए यह आयुर्वेद की महान औषधियों में से एक है. 


स्वर्णयुक्त प्रमेहगजकेशरी रस डायबिटीज में इन्सुलिन की तरह तेज़ी से असर करता है. इसी तरह प्रमेह और धतुस्राव या धात गिरने को या तीन दिनों में रोक देता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है. 


ज्यादा प्यास लगना, मुंह सुखना, ज़्यादा पेशाब होना, भूख की कमी जैसी डायबिटीज से रिलेटेड प्रॉब्लम इस से दूर होती है.


पेशाब की जलन, खुलकर पेशाब नहीं होना, पेशाब की नली में रुकावट होने में असरदार है.


प्रमेहगजकेशरी रस की मात्रा और सेवन विधि –


एक-एक गोली सुबह शाम पानी या गुडमार के क्वाथ से लेना चाहिए. ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से –


Pramehagaj Kesari (50 Tablets)




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