Marichyadi Tail | मरिच्यादी तेल

मरिच्यादी तेल आयुर्वेदिक तेल है जो हर तरह की स्किन प्रॉब्लम में असरदार है. यह खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी से लेकर, दाद-एक्जिमा, सफ़ेद दाग, सोरायसिस से लेकर  कुष्ठ व्याधि तक में असरदार है. तो आईये जानते हैं मरिच्यादी तेल का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


मरिच्यादी तेल के घटक या कम्पोजीशन –


इसे पीले सरसों के तेल बेस पर कई तरह की जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है. इसमें सरसों तेल के अलावा वत्सनाभ, काली मिर्च, हरताल, मैन्शील, मोथा, कनेर, अर्क क्षीर, जटामांसी, त्रिवृत, विशाला, कुष्ठ, हल्दी, दारूहल्दी, देवदार, सफ़ेद चन्दन, गोमय और गोमूत्र जैसी चीज़ों का मिश्रण होता है. 


एक दूसरी दवा महा मरिच्यादी तेल भी है जिसका कम्पोजीशन थोड़ा अलग है, उसमे इन सभी चीज़ों के अलावा दूसरी कई और चीज़े मिली होती हैं, उसका फ़ायदा भी इस से कहीं ज़्यादा होता है. उसकी जानकारी भी जल्द दी जाएगी. 






मरिच्यादी तेल के गुण – 


आयुर्वेदानुसार यह चर्मरोग नाशक है. इसमें एन्टी सेप्टिक, एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इचिंग जैसे गुण पाए जाते हैं. 


मरिच्यादी तेल फ़ायदे – 


चर्मरोगों या स्किन डिजीज में एक्सटर्नल यूज़ करने वाली यह जानी-मानी दवा है. 
खुजली, फंगल इन्फेक्शन, दाद-दिनाय या एक्जिमा और सोरायसिस में इसे लगाया जाता है. 


सफ़ेद दाग या ल्यूकोडर्मा में भी असरदार है. रस माणिक्य और गंधक रसायन के साथ इसे लगाने से सफ़ेद दाग दूर होता है. 


फोड़े-फुंसी और ज़ख्म में इस तेल की ड्रेसिंग करने से अच्छा फायदा होता है.
बस कुल मिलाकर समझ लीजिये हर तरह की स्किन प्रॉब्लम के लिए यह एक असरदार दवा है. 






इसे लगाने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोना चाहिए क्यूंकि यह वत्सनाभ, मैन्शील और हरताल जैसी ज़हरीले चीजों से बनी दवा है. इसे आँखों में लगने से बचाएं और मुंह में नहीं जानी चाहिए. आयुर्वेदिक कंपनियों की यह मिल जाती है इसे आप ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं, निचे दिए लिंक से- 







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