माजून अलकली का नुस्खा या कम्पोजीशन और बनाने का तरीका
इसे बनाने के लिए चाहिए होता है मगज़ बादाम, मगज़ फिन्दक, पीपल, मगज़ चिलगोज़ा, चिरोंजी, सफ़ेद तिल, पोस्तु दाना, मगज़ कुल्थी, हब्बुल खिज़रा का मगज़, कुलंजन और मोचरस प्रत्येक तीन-तीन तोला
खोपरा या नारियल गिरी, बहमन सफ़ेद, बहमन सुर्ख, तोदरी सफ़ेद, तोदरी सुर्ख, छोटी इलायची दाना और बड़ी इलायची दाना प्रत्येक चार माशा
किशमिश और बीज निकाला हुआ मुनक्का प्रत्येक 6 माशा, छुहारा एक तोला
शकाकुल, करफ्स-बीज, मीठा इन्द्रजौ, दरुनज अकरबी, सुखा पुदीना, मस्तगी, बंशलोचन, ताल मखाना, कबाबचीनी, जावित्री, बिजौरे का छिल्का, सोंठ, गोखरू(तीन बार दूध में तर कर सुखा हुआ), लौंग, गाजर के बीज, कौंच के बीज, नरकचूर और मैदा लकड़ी प्रत्येक दो माशा
बालछड़ और अम्बर अशहब प्रत्येक एक माशा, चोबचिनी दो तोला चार माशा, मंजीठ दो माशा, चीनी 16 तोला चार माशा, सफ़ेद तुरंजबीन 8 तोला, शुद्ध सफ़ेद मधु 16 तोला चार माशा, केसर एक माशा
इतनी सारी जड़ी-बूटियाँ चाहिए होती हैं इसे बनाने के लिए, इसे बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले तुरंजबीन को पानी में उबालकर छानकर उसमे चीनी और शहद मिलाकर पाक करें, पाक सिद्ध होने पर सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण मिक्स करें. केसर और अम्बर को सबसे लास्ट में अर्क बेदमुश्क में घोंटकर मिलाएं. बस माजून अलकली तैयार है.
माजून अलकली की मात्रा और सेवन विधि
एक तोला तक रोज़ एक से दो बार तक दूध के साथ लेना चाहिए
माजून अलकली के फ़ायदे
यह बस्ती और वृक्क की दुर्बलता को दूर करता है. यानी किडनी और इसके आसपास के अंगों के रोगों को दूर करता है और इन अंगों को शक्ति देता है.
बाजीकारक गुणों से भी भरपूर है. हेल्थ टॉनिक की तरह भी काम करता है.