आज मैं जिस यूनानी दवा की जानकारी देने वाला हूँ उसका नाम है ख़मीरा मरवारीद बनुस्ख़ा कलाँ
जी हाँ दोस्तों, यह ख़मीर केटेगरी वाली असरदार दवा है जो दिल और दिमाग की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है, तो आईये इसके कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में तफ़सील से जानते हैं –
ख़मीरा मरवारीद बनुस्ख़ा कलाँ का नुस्खा या कम्पोजीशन
यह सोना और चाँदी जैसे कीमती चीज़ों से मिलाकर बनाई जाने वाली दवा है. इसके नुस्खे या कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है मोती पिष्टी 12 ग्राम, संगेयशव पिष्टी, कहरवा पिष्टी, सफ़ेद चन्दन और बंशलोचन प्रत्येक 6-6 ग्राम, अनार, सेब और बिही का सत्त प्रत्येक 60-60 ग्राम, सफ़ेद चीनी, 250 ग्राम, शहद 250 ग्राम, वर्क चाँदी 6 ग्राम, वर्क सोना 1.5 ग्राम और अर्क केवड़ा अंदाज़ से. इसे ख़मीरा बनाने के तरीका के मुताबिक़ क़ायदे से ख़मीरा बनाकर काँच के जार में रख लिया जाता है.
ख़मीरा मरवारीद बनुस्ख़ा कलाँ के गुण या प्रॉपर्टीज
यह तासीर में गर्म नहीं बल्कि मातदिल है. दिल-दिमाग को ताक़त देने वाला, हार्ट टॉनिक, ब्रेन टॉनिक, जनरल टॉनिक और खून की कमी को दूर करने वाले कई तरह के गुणों से भरपूर होता है.
ख़मीरा मरवारीद बनुस्ख़ा कलाँ के फ़ायदे
दिल की कमज़ोरी, दिल का ज़्यादा धड़कना, घबराहट और बेचैनी जैसी बीमारियों में असरदार है.
दिमाग की कमजोरी, चिन्ता, तनाव, डिप्रेशन, नर्वस सिस्टम की कमज़ोरी जैसी प्रॉब्लम में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
खून की कमी, ज़्यादा खून बहने से आई कमज़ोरी, जनरल विकनेस में भी दूसरी दवाओं के साथ लेने से अछा फ़ायदा होता है.
मोतीझारा और चेचक में भी हकीम लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.
ख़मीरा मरवारीद बनुस्ख़ा कलाँ का डोज़
दो से तीन ग्राम तक सुबह-शाम रोगानुसार उचित अनुपान से देना चाहिए.