आज के इस जड़ी-बूटी ज्ञान में मैं केसर के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाला हूँ. केसर जिसे अंग्रेज़ी में Saffron के नाम से जाना जाता है आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है. केसर के बारे में ऐसी जानकारी आज देने वाला हूँ जो आपको कहीं और नहीं मिलेगी. तो आईये जानते हैं केसर के बारे में पूरी डिटेल –
सबसे पहले जानते हैं कि इसे किन नामों से जाना जाता है. अलग-अलग भाषाओँ में इसका अलग-अलग नाम है जैसे-
हिंदी में – केसर
संस्कृत में – कुंकुम, रक्त, कश्मीर, बाह्लिक, संकोच और पिशुन
मराठी और गुजराती में– केसर
बंगाली में – ज़ाफ़रान, कुमकुम
तमिल में – कुंकुमाप्पू
अरबी में – ज़ाफ़रान
फ़ारसी में – करकीमास
अंग्रेजी में – सैफ़रौन(Saffron)
लैटिन में – क्राकस सेटाइवस(Crocus Satives)
इसका मूल उत्पत्ति स्थान दक्षिणी यूरोप है. आजकल यह स्पेन, फ़्रांस, इटली, ग्रीस, तुर्की, ईरान, चीन और भारत में भी पैदा किया जाता है. भारत के कश्मीर घाटी में इसकी अच्छी पैदावार होती है.
रासायनिक संगठन – इसमें तीन कलर के पदार्थ पाए जाते हैं, एक तरह का उड़नशील तेल, स्थिर तेल, क्रोसिन नामक एक ग्लुकोसाइड, पिक्रोक्रोसिन नमक तिक्तसत्व और शर्करा भी होता है. इसके भस्म में पोटाशियम और फोस्फोरस होते हैं.
यह बहुवर्षीय पौधा है जिसमे ठण्ड के मौसम में फूल निकलते हैं. फूल के स्त्रीकेसर को निकाल कर सुखा लिया जाता है जो केसर कहलाता है.
महँगा होने की वजह से इसमें कई तरह की मिलावट होती है. मक्का के भुट्टों के बाल, पारिजात के फूलों के डंठल को असली केसर के रंग से रंगकर मिलावट कर बेचा जाता है.
असली केसर की पहचान कैसे करें?
(a) असली केसर बहुत हल्की होती है. चक्रपाणीदत्त ने चिकनी और पतली केसर को बेस्ट कहा है. असली केसर को थोड़ा से ज़बान पर रखने से गर्मी का अनुभव होता है.
(b) केसर को पानी में भिगोकर सफ़ेद कपड़े पर लगाने से तुरन्त पिला निशान हो तो असली माना जाता है. और यह अगर पहले लाल दिखकर पिला रंग हो जाये तो नकली समझना चाहिए.
(c) असली केसर को स्प्रिट में डालने से स्प्रिट के कलर आता है परन्तु केसर के तन्तु अपने रंग में ही रहते हैं. जबकि नकली केसर होगा तो केसर के तन्तु का रंग हल्का हो जायेगा.
(d) असली केसर को Sulphuric Acid में डालने से यह 4-5 सेकंड में ही नीले रंग का हो जाता है. और कुछ देर बाद केसर के तन्तु नीले और अंत में लाल बैंगनी रंग के हो जाते हैं.
(e) असली केसर को शोरे के तेज़ाब या Nitric Acid में डालकर हिलाने से एसिड हल्का पीलापन लिए हरे रंग का हो जाता है.
केसर के गुण(Properties)-
आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोषहर है. तासीर में गर्म होने से यह कफ़ और वात वाले रोगों में ज़्यादा उपयोगी होता है. नर्वस सिस्टम पर इसका अच्छा असर होता है. स्किन के लिए भी उपयोगी है.
यूनानी मतानुसार –
आयुर्वेद और यूनानी दोनों चिकित्सा पद्धति में इसका बहुत इस्तेमाल होता है. अग्निवर्धक और आक्षेप निवारक गुणों के कारन यूनानी में इसकी बहुत तारीफ़ है. उत्तेजक और कामोद्दीपक वस्तु की हैसियत से यह सर्वोत्तम है. यूनानी में इसे पेशाब बढ़ाने वाला, कब्ज़कुशा, भूख बढ़ाने वाला, दर्द कम करने वाला, मसाने की तकलीफ़ दूर करने वाला, जिगर, तिल्ली और दिमाग के लिए बेहतरीन माना गया है. आँखों की बीमारियों में भी यूनानी डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं. इसे खाना को रंगीन और खुशबूदार बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है.
आधुनिक मतानुसार – इसे कलरिंग एजेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है और कई सारे ब्यूटी प्रोडक्ट में इसका इस्तेमाल होता है.
मुख्य आयुर्वेदिक योग – कुमकुमादी तेल, कुमकुमादि चूर्ण, पुष्यानुग चूर्ण नंबर वन जैसी दवाओं का यह मुख्य घटक है. कई सारी दूसरी रसायन औषधियों में केसर मिलाया जाता है.
आयुर्वेद में केसर के कई सारे योग भरे पड़े हैं. केसर को खाने के अलावा लगाने में भी इस्तेमाल किया जाता है जिसे आंतरिक प्रयोग और बाह्य प्रयोग कहते हैं. तो आईये सबसे पहले जानते हैं केसर के कुछ बाह्य प्रयोग या एक्सटर्नल यूज़ के बारे में –
1. नेत्र रोग या आँखों की बीमारियों के लिए –
(a) केसर को शहद में घोटकर काजल की तरह आँखों में लगाने से आँखों की जलन मिट जाती है.
(b) केसर को ठन्डे पानी में घिसकर गुहेरी में लगाने से गुहेरी मिट जाती है.
(c) गुलाब जल में केसर को घिसकर लगाने से नज़र की कमज़ोरी दूर होती है.
2. अतिसार या दस्त होने पर –
केसर, लौंग और रूमी मस्तगी को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर बस्तीप्रदेश पर लेप करने से फ़ायदा होता है.
3. स्तन के दूध या ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए-
जिन महिलाओं को ब्रेस्ट मिल्क कम बनता हो उन्हें केसर को पीसकर स्तन पर इसका लेप करना चाहिए.
4. लिवर की सुजन होने पर – केसर का लेप करने से फ़ायदा होता है.
5. ज़ख्म के लिए- हर तरह के ज़ख्म में केसर को घी मिलाकर हल्का गर्म कर बांधने से ज़ख्म जल्दी ठीक होता है.
6. झाइयां, धब्बे और ब्लैक स्पॉट के लिए – केसर, हल्दी और चन्दन को भैंस के दूध में मिलाकर उबटन की तरह लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे और झाइयाँ दूर होती हैं.
7. सर दर्द के लिए – केसर को घी में मिक्स कर नाक में डालने से लाभ होता है.
8. कफ़ज्वर के लिए – केसर और जायफल को पानी के साथ घिसकर कपाल, नाक और छाती पर मलने से कफ़ज्वर में शीघ्र लाभ होता है. ख़ासकर बच्चों के लिए असरदार है. Buy Pure Saffron Online-
आईये अब जानते हैं केसर के आभ्यंतर प्रयोग या इंटरनल यूज़ के बारे में –
1. कमज़ोरी दूर करने के लिए –
(a) केसर को गाय के दूध में मिलाकर पियें या फिर दूध में उबालकर चीनी मिलाकर पिने से कमज़ोरी दूर होती है.
(b) आधा लीटर दूध में एक चम्मच शहद और 125mg केसर मिक्स कर पिने से शरीर पुष्ट होता है और बल बढ़ता है.
2. शीघ्रपतन और मर्दाना कमज़ोरी के लिए –
(a) केसर, जायफल और जावित्री को पान में रखकर खाना चाहिए.
(b) केसर, अकरकरा, भाँग, अहिफेन और जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाना चाहिए.
(c) केसर, कपूर, सोंठ, अकरकरा, लौंग और हरीतकी सभी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और चूर्ण के बराबर पीसी हुयी मिश्री मिलाकर रख लें. इस चूर्ण को दो ग्राम सुबह शाम शहद से खाकर ऊपर से दूध पिने से हर तरह की मर्दाना कमज़ोरी दूर होकर पॉवर-स्टैमिना बढ़ जाता है.
(d) केसर 125mg, भाँग के पत्ते 250mg, तोदरी ज़र्द 250mg और सालब मिश्री एक ग्राम मिक्स कर शहद से खाने से ज़बरदस्त पॉवर आता है.
3. शुक्रमेह, स्वप्नदोष और प्रमेह के लिए-
केसर 6 ग्राम, इलायची दाना 12 ग्राम और बंशलोचन 24 ग्राम को अर्क केवड़ा में खरलकर 500 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. एक-एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ लेने से शुक्रमह, स्वप्नदोष और प्रमेह दूर होता है.
4. गला बैठने पर –
केसर को पान के पत्ते के साथ चबाकर खाना चाहिये.
5. पेट दर्द में –
केसर को दालचीनी के साथ पीसकर खाने से फ़ायदा होता है.
6. कब्ज़ या विबन्ध में – केसर और त्रिवृत चूर्ण को चित्रक क्वाथ से लेने से कब्ज़ दूर हो जाता है.
7. गृध्रसी या साइटिका के लिए –
केसर, सनाय, मीठा सुरंजान और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. अब इस चूर्ण को एक-ग्राम सुबह शाम किसी वातरोग नाशक क्वाथ से लेने से साइटिका दूर होता है.
8. आमवात के लिए-
केसर, जायफल, सोंठ, अकरकरा और शुद्ध कुचला बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर गर्म पानी से लेने से कुछ दिनों में आमवात दूर होता है.
9. हिस्टीरिया के लिए –
(a) केसर, बच और पीपलामूल का चूर्ण सेवन करने से लाभ होता है.
(b) केसर, कपूर, हिंग और मुक्तापिष्टी को अदरक के रस में घोंटकर एक-एक रत्ती की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें. इसे एक-एक गोली सुबह शाम जटामांसी क्वाथ से लेने से हिस्टीरिया दूर होता है.
(c) केसर और कपूर एक-एक ग्राम, कूठ दो ग्राम, बच, सनाय पत्ती, ब्राह्मी और शंखपुष्पी प्रत्येक चार-चार ग्राम लेकर चूर्ण बनाकर बराबर मात्र में मिश्री मिलाकर रख लें. अब इस चूर्ण को तीन-तीन ग्राम सबह शाम दूध के साथ लेने से हिस्टीरिया दूर होता है.
10. दिमाग तेज़ करने और बुद्धि बढ़ाने के लिए –
केसर 125mg, मगज़ तरबूज़ और ब्राह्मी तीन-तीन ग्राम, बादाम 7 नग को पीसकर मिस्री मिलाकर पिने से दिमाग तेज़ होता है और बुद्धि बढ़ जाती है.
ये सब तो हो गए कुछ आसान से साधारण प्रयोग. इन सब के अलावा कई सारे दुसरे प्रयोग भी है जैसे – कुमकुमादी चूर्ण, कुंकुम फांट, कुंकुमादि वटी, कुंकुमादि तैलम, कुंकुमासव, कुंकुमादि अवलेह, कुंकुमादि पाक, कुंकुमादि घृत वगैरह. असली केसर ऑनलाइन खरीदें निचे दिए लिंक से –