Kalmegh( Andrographis Peniculata) कालमेघ

 

kalmegh benefits in hindi

यह एक बहुत ही उपयोगी बूटी है जिसे आयुर्वेद, यूनानी के अलावा होमियोपैथी में यूज़ किया जाता है तो आईये कालमेघ के बारे में कुछ विशेष जानते हैं- 

कहते हैं कि बंगाल में घरेलु चिकित्सा के लिए इसे प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है. इसे कटु चिरायता भी कहा जाता है. 

सबसे पहले भाषा भेद से इसका नाम जानते हैं – 

हिन्दी में – कालमेघ, कल्पनाथ 

संस्कृत में – यवतिक्ता, कल्पनाथ 

बांग्ला में- कालमेघ 

गुजराती में – लीलूं करियातुं 

मराठी में – पाले किराईत 

अंग्रेज़ी में – एंडीग्रेफिस, किरयात, क्रियेत और 

लैटिन में – Andrographis Peniculata कहा जाता है. 

इसका पूरा पौधा या पञ्चांग ही औषधि में प्रयोग किया जाता है. 

कालमेघ के गुण – 

रस में तिक्त(यह पूरा कड़वा होता है), लघु, तासीर में गर्म, ज्वरघ्न – बुखार को दूर करने वाला, दीपन, यकृत या लिवर को एक्टिव करने वाला और रक्तशोधक या ब्लड प्योरीफायर जैसे गुणों से भरपूर होता है. हर तरह की मलेरिया के लिए यह बेजोड़ है. 

कालमेघ के फ़ायदे 

  • मलेरिया या हर तरह की बुखार में इसके ताज़े पत्तों को थोड़ी सी काली मिर्च मिलाकर पीसकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से हर तरह की बुखार दूर होती है. इसका काढ़ा बनाकर भी ले सकते हैं. 
  • मलेरिया पुराना हो जाने लिवर और स्प्लीन भी बढ़ जाती है, वैसी स्थिति में में भी इसके सेवन से बेजोड़ लाभ होता है. प्रसुत ज्वर में इसका प्रयोग हितकर है.
  • लिवर-स्प्लीन को मज़बूत कर पाचन शक्ति को ठीक करता है. 
  • रक्त विकार में इसके रस को शहद के साथ लेने से लाभ हो जाता है. 
  • बच्चों के लिवर-स्प्लीन बढ़ने पर इसका प्रयोग किया जाता है, जिस से यह साबित होता है कि यह सभी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित है. 

हर तरह की बुखार के लिए एक परीक्षित योग आप सभी के लिए बता रहा हूँ – 

कालमेघादि क्वाथ 

कालमेघ, द्रोणपुष्पी, नीम की छाल प्रत्येक एक-एक ग्राम, सहदेवी पंचांग दो ग्राम, गिलोय तीन ग्राम, करंज बीज मज्जा 500mg, तुलसी के पत्ते 250mg और अर्कमूल छाल 60 मिलीग्राम लेकर चार कप पानी में क्वाथ बनायें और जब एक कप शेष बचे तो गुनगुना पीने से सभी प्रकार के ज्वरों का नाश होता है. 

कुल मिलाकर यह समझ लीजिये कि मलेरिया, लिवर-स्प्लीन और रक्तविकार में निशंकोच होकर आप इसे किसी भी रूप में प्रयोग कर लाभ उठा सकते हैं. 

इस बूटी का महत्त्व आप इसी से समझ सकते हैं कि कालमेघ नवायस चूर्ण, मलेरिया संहार वटी और कालमेघासव जैसी शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों का यह मुख्य घटक है. 

कालमेघ को ही अक्सर लोग चिरायता समझ लेते हैं, पर दोनों अलग चीज़ है. धूर्त लोग कालमेघ को चिरायता बताकर बेचते हैं. इनका अंतर आप आसानी से समझ सकते हैं. कालमेघ का काण्ड या तना चौकोर की तरह होता है जबकि चिरायता गोलाकार. 

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