फ़ाइलेरिया को आयुर्वेद में श्लीपद कहते हैं आम बोल चाल में इसे हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है. यह बहुत ही कष्टदायक रोग है जिसमे रोगी का पैर फूलकर मोटा हो जाता है जिस से चलने में बहुत परेशानी होती है. यह बीमारी शरीर में दूसरी जगह भी हो सकती है. फ़ाइलेरियल कैप्सूल इसमें बेहद असरदार है. फ़ाइलेरिया के कारन होने वाले अंडकोष की सुजन में भी लाभदायक है. सबसे पहले जानते हैं
फ़ाइलेरियल कैप्सूल के घटक कम्पोजीशन को –
इसके प्रत्येक कैप्सूल में शाखोटक घनसत्व 250mg, शुण्ठी घनसत्व 100mg, हरड घनसत्व 100mg और गौमूत्र क्षार 50mg मिला होता है.
फ़ाइलेरियल कैप्सूल के लाभ –
नए पुराने हर तरह के फ़ाइलेरिया में इसके लगातार सेवन से लाभ होता है और बीमारी दूर होती है.
फ़ाइलेरिया के कारन होने वाली अंडकोष की सुजन या शरीर के किसी दुसरे भाग की सुजन में भी इस से फ़ायदा होता है.
फ़ाइलेरियल कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि –
1-2 कैप्सूल सुबह-शाम पानी या महामंजिष्ठारिष्ट के साथ रोग निर्मूल होने तक सेवन करना चाहिए. या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार. इसे धैर्यपूर्वक लम्बे समय तक सेवन करने से ही बीमारी दूर होती है.
इसके साथ में १-१ गोली सुबह-शाम ‘नित्यानन्द रस‘ भी ले सकते हैं.
तुरन्त कोई चमत्कार नहीं होता, पर लगातार यूज़ करते रहने से रोगमुक्ति अवश्य होती है. रोगानुसार 3 से छह महिना या एक साल तक दवा खानी चाहिए. बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी भी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है.
परहेज़- गरिष्ठ भोजन का त्याग करें तथा सुपाच्य भोजन का ग्रहण करें.
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Posted inFilaria Treatment Filarial Capsule
Filarial Capsule | फ़ाइलेरियल कैप्सूल – फ़ाइलेरिया(हाथी पाँव) की असरदार औषधि
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