अभ्रक भस्म आयुर्वेद की प्रचलित औषधि है जो अभ्रक नाम के खनिज से बनाई जाती है, जो अनेकों रोगों में रामबाण है, यह तीन तरह से बनाया जाता है अभ्रक भस्म साधारण, अभ्रक भस्म शतपुटी, अभ्रक भस्म सहस्रपुटी. अभ्रक भस्म सहस्रपुटी ही सबसे ज़्यादा असरदार होता है, तो आईये इसी के बारे सबकुछ विस्तार से जानते हैं.
सहस्र पुटी का मतलब होता है एक हज़ार बार पुट देकर इसकी भस्म बनाना.
आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष नाशक है जिस से हर तरह की बीमारियाँ दूर होती हैं. इसका सबसे ज़्यादा असर फेफड़े और श्वसनतंत्र पर होता है. इसके इस्तेमाल से खाँसी, टी.बी., अस्थमा, प्रमेह, कुष्ठ, वातरोग, पाचन तंत्र के रोग, ह्रदय रोग और मानसिक रोग भी दूर होते हैं. यह बल बढ़ाने वाला रसायन है.

👉अभ्रक भस्म की मात्रा और सेवन विधि – 125mg से 250mg तक सुबह-शाम शहद से या फिर रोगानुसार उचित अनुपान से लेना चाहिए.
👉अम्लपित्त या एसिडिटी/हाइपर एसिडिटी में – अभ्रक भस्म 5 gram + सूतशेखर रस 5 ग्राम + शंख भस्म 10 ग्राम + कपर्दक भस्म 10 ग्राम सभी को अच्छी तरह से खरलकर 40 ख़ुराक बना लें. एक-एक ख़ुराक सुबह शाम एक स्पून अविपत्तिकर चूर्ण या आँवले के मुरब्बे के साथ देना चाहिए.
👉ह्रदय रोग(हार्ट की कमज़ोरी में)– अभ्रक भस्म 5 ग्राम + मुक्तापिष्टी 5 ग्राम + अकीक पिष्टी 5 ग्राम + मृगश्रिंग भस्म 2.5 ग्राम + जवाहर मोहरा 5 ग्राम + अर्जुन की छाल का चूर्ण 20 ग्राम. सभी को अच्छी तरह से खरलकर 40 ख़ुराक बना लें. अब इसे एक-एक पुड़िया शहद से खाकर ऊपर से ख़मीरा गावज़बाँ एक स्पून लेना चाहिए या फिर शर्बत बनफ्शा पीना चाहिए.
बताया गया योग हार्ट की कमज़ोरी, थोड़ा सा चलने से थकावट होना, दिल का दर्द जैसे ह्रदय रोगों में बेजोड़ है.
अलग-अलग बीमारियों में इसे यूज़ करने का तरीका जो मैं आपको बता रहा हूँ यह मेरी किताब ‘आधुनिक आयुर्वेदिक चिकित्सा’ से लिया गया है.
👉संग्रहणी(IBS) में – अभ्रक भस्म 125mg + कुटजावलेह 1 स्पून में मिक्स कर सुबह-शाम लेना चाहिए.
शुष्क कास(सुखी खाँसी) में – अभ्रक भस्म 125mg + प्रवाल पिष्टी 125mg + गिलोय सत्व 125mg + सितोपलादि चूर्ण 3 ग्राम सभी को मिक्स कर एक मात्रा. ऐसी एक-एक मात्रा सुबह-दोपहर-शाम वासा के रस या वासारिष्ट के साथ लेने से बहुत जल्दी फ़ायदा हो जाता है.
👉क्षयज कास(टी.बी. वाली खाँसी) में – अभ्रक भस्म 5 ग्राम + स्वर्णवसन्त मालती 1.25 ग्राम + सितोपलादि चूर्ण 10 ग्राम + रुदन्ती चूर्ण 10 ग्राम मिक्स कर 40 ख़ुराक बना लें. एक-एक ख़ुराक सुबह-दोपहर-शाम आधा स्पून वासावलेह + आधा स्पून च्यवनप्राश के साथ देना चाहिए और उपर से बकरी का दूध पीना चाहिए.
👉जीर्ण कास(पुरानी खाँसी) में – ऐसी खाँसी के रोगी जो ईलाज कराकर थक गए हों, उनके लिए यह योग असरदार है. अभ्रक भस्म 2.5 ग्राम + स्वर्ण भस्म ½ ग्राम(500mg) + रुदन्ती चूर्ण 10 ग्राम. सभी को मिक्स कर 20 ख़ुराक बना लें. अब एक-एक ख़ुराक सुबह-शाम एक स्पून च्यवनप्राश में मिक्स कर खाकर ऊपर से बकरी का दूध पीना चाहिए.
श्वास रोग(दमा, अस्थमा) में – अभ्रक भस्म शतपुटी 5 ग्राम + श्रृंग भस्म 5 ग्राम + श्वासकासचिंतामणि रस 5 ग्राम + श्वासकुठार रस 5 ग्राम सभी को मिक्स कर 60 पुड़िया बना लें. अब इसे एक-एक पुड़िया सुबह-दोपहर-शाम एक स्पून चित्रक हरीतकी + एक स्पून च्यवनप्राश के साथ देना चाहिए. नए-पुराने हर तरह के अस्थमा में यह बहुत ही असरदार है.
ईसिनोफीलिया में – अभ्रक भस्म 5 ग्राम + श्वासकुठार रस 5 ग्राम + लौह भस्म 5 ग्राम + समीरपन्नग रस स्वर्ण युक्त 2.5 ग्राम + बंशलोचन 5 ग्राम. सभी को अच्छी तरह से खरलकर 40 मात्रा बना लें. एक-एक मात्रा सुबह-शाम शहद और अदरक के रस के साथ लेने से कुछ ही दिनों में बीमारी दूर हो जाती है.
इस तरह से अभ्रक भस्म के सैंकड़ों प्रयोग हैं, सभी की डिटेल जानकारी के लिए आप ‘आधुनिक आयुर्वेदिक चिकित्सा’ पढ़ सकते हैं.
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