असमय या युवावस्था में ही बालों का सफ़ेद होना बहुत दुखदायी होता है. हमारे बालों का काला रंग मेलानिन नामक पिगमेंट की वजह से होता है, इसकी कमी से ही बाल सफ़ेद होने लगते हैं. आयुर्वेद में यह कार्य पित्त के कारन होना बताया गया है. सफ़ेद बालों को काला बनाने वाली जड़ी बूटियों में भृंगराज का नाम सबसे पहले लिया जाता है. इसे कई तरह के नामों से जाना जाता है जैसे –
संस्कृत में – भृंगराज, मार्कव, केशराज, केशरंजन
हिंदी – भाँगरा, भंगरैया
गुजराती- भाँगरो
मराठी– माका
बंगला – केसुरिया, केसूटी, केसुत्ते, भीमराज
पंजाबी– भंगरा
राजस्थानी – जलभांगरो
तमिल – कारकेशी
तेलगू – गलगरा
अरबी – कदीमुलबिन्त
लैटिन- Eclipta Alba(एक्लिपटा अल्बा) जैसे नामों से जाना जाता है.
कहाँ पाया जाता है? यह पुरे भारत में गीली मिट्टी वाली जगहों जैसे तालाब और नदी किनारे पाया जाता है.
रासायनिक संगठन – इसमें प्रचुर मात्रा में राल और एक्लिपटीन नामक क्षाराभ पाया जाता है.
वानस्पतिक परिचय – इसका क्षुप छोटा दस अंगुल तक ऊँचा होता है जिसमे कई सारे तने होते हैं और इसके पत्ते एक से चार इंच तक लम्बे और आधा इंच तक चौड़े होते हैं. इसका चित्र देखकर आप समझ सकते हैं. पुष्प भेद से यह तीन तरह का होता है. सफ़ेद, काला और नीले फूल वाला भृंगराज
रस- कटु, तिक्त गुण- रुक्ष, लघु, वीर्य– उष्ण, विपाक– कटु आयुर्वेदानुसार यह वात और कफ़ दोष को दूर करता है. इसका पञ्चांग छाया में सुखा हुवा, इसका रस, पत्तों का चूर्ण और बीज का इस्तेमाल किया जाता है.
उबालने से इसका गुण नष्ट हो जाता है, इसलिए इसका रस या फिर चूर्ण ही यूज़ किया जाता है.
हानि या साइड इफेक्ट्स – उष्ण प्रकृति या गर्म तासीर वालों के लिए यह नुकसानदायक है. काली मिर्च, अदरक और शहद का इस्तेमाल करने से इसका साइड इफ़ेक्ट दूर होता है.
भृंगराज के औषधीय गुण – यह दीपन पाचन और यकृतदुत्तेजक है. इसका सबसे ज़्यादा इफ़ेक्ट लिवर पर होता है जिस से पित्तस्राव ठीक होता है और आम दोष का पाचन करता है. यह अजीर्ण, अग्निमान्ध, अम्लपित्त, अर्श या बवासीर, उदरशूल, लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना और कामला जैसे रोगों में असरदार है.
यूनानी चिकित्सा पद्धति – यूनानी मतानुसार यह दुसरे दर्जे का गर्म और खुश्क है. इसके पत्तों का रस बीनाई और बाँह को कुवत देता है यानी आँख की रौशनी और ओज को बढ़ाने वाला होता है. यह तिल्ली का कड़ापन, कुष्ठव्याधि और गुल्म में गुणकारी है. इसके काढ़े से कुल्ली करने से दांत और मुंह की बीमारियाँ दूर होती हैं.
भृंगराज के औषधिय प्रयोग –
सबसे पहले जानते हैं बाह्य प्रयोग यानी एक्सटर्नल यूज़ के बारे में –
1. आग से जल जाने पर – भृंगराज, मेहदी और घृतकुमारी तीनों को पीसकर जली हुयी जगह पर लगाने से जलन मिट जाती है और ज़ख्म भी जल्दी ठीक हो जाता है.
इसके पत्तो को पीसकर शहद के साथ लगाने से जलन दूर होती है और फफोले नहीं होते, अगर फफोले हो भी जाएँ तो ज़ख्म जल्दी ठीक होता है.
2. माईग्रेन और सर दर्द में – भृंगराज के रस में गुंजा, करंज बीज और काली मिर्च पीसकर लेप करने से सर दर्द और माईग्रेन दूर होता है.
भृंगराज के रस में बकरी का दूध मिक्स कर धुप में रख दें और गर्म हो जाने पर इसे ड्रॉपर से नाक में डालने से सर दर्द और माईग्रेन दूर होता है.
3. नेत्र रोग या आँखों की बीमारियों में – भृंगराज के रस को फ़िल्टर कर सूर्योदय और सूर्यास्त के पहले आँखों में डालने से रतौंधी और आँखों की दूसरी बीमारियाँ ठीक होती हैं.
4. व्रण या ज़ख्म के लिए – इसके ताज़ा रस को कॉटन में भीगाकर बांधने से ज़ख्म जल्दी भर जाते हैं. इस से दुष्ट व्रण भी ठीक हो जाता है.
5. सफ़ेद बालों को काला बनाने के लिए- ताज़े भृंगराज पञ्चांग को साफ़ कर रस निकाल लें और इस रस को बालों में दो घंटा तक लगा रहने दें, इसके बाद पानी से धो लें. ऐसा करने से सफ़ेद बाल काले हो जाते हैं और लम्बे और घने भी.
भृंगराज के रस में चौथाई भाग त्रिफला चूर्ण मिक्स कर चार घंटा तक रहने दें और इसके बाद मसलकर छानकर बालों को धोने से डेढ़ महिना में सफ़ेद बाल काले हो जाते हैं.
भृंगराज का रस, आँवला, हर्रे, आम की गुठली और छाल का चूर्ण, नील और लोहे का बुरादा सभी को बराबर मात्रा में लेकर आठ गुने पानी में उबालें, जब एक चौथाई पानी शेष बचे तो ठंडा होने पर मसलकर मेहंदी की तरह बालों में लगा लें. ऐसा लगातार कुछ दिन तक करते रहने से बाल काले हो जाते हैं.
भृंगराज, आँवला और मुलेठी को लोहे के बर्तन में भीगाकर रखने के बाद पीसकर मेहदी की तरह बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं.
भृंगराज का रस, नील के पत्ते, कसीस और लोहे के बुरादा को दही में मिक्स कर लगाने से बाल काले हो जाते हैं.
6. श्लीपद या फ़ाइलेरिया में – भृंगराज पञ्चांग को तिल तेल में पीसकर लेप करने से लाभ होता है.
7. भगन्दर – भृंगराज को पीसकर पुल्टिस जैसा बाँधने से फ़ायदा होता है. ऐनल फिशर में इसके साथ हल्दी पीसकर पुल्टिस बंधना चाहिए.
8. हाथ-पैर की जलन में – इसके रस की मालिश करने से हाथ-पैर की जलन दूर होती है.
9. सफ़ेद दाग़ में- भृंगराज के पत्तों का रस और तुलसी के पत्तों का रस दोनों बराबर मात्रा में मिक्स कर लगाने से सफ़ेद दाग या ल्यूकोडर्मा मिट जाता है.
भृंगराज के रस में बकुची, रसौत और आँवला का चूर्ण बराबर मात्रा में मिक्स कर लेप करने से सफ़ेद दाग मिट जाता है.
10. कंठमाला में – भृंगराज के पत्तों को पीसकर टिकिया बना लें और घी में तलकर गाँठ पर बाँधने से फ़ायदा होता है.
11. कान के रोग – भृंगराज और काली तुलसी के पत्तों का रस मिक्स कर कान में डालने से कान बहना, पकना बंद हो जाता है.
भृंगराज, मूली और अदरक का रस गर्म कर कान में डालने से कान का दर्द और कान बहना दूर होता है.
भृंगराज के पत्तों के रस को हल्का गर्म कर कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है.
12. एड़ी फटने या क्रैक हिल्स में – इसके पत्तों के रस में तिल तेल में मिक्स कर लगाने से लाभ होता है.
13. अंडकोष की सुजन में – इसके पञ्चांग को पीसकर अंडकोष पर लेप करने से सुजन दूर होती है.
ये सब तो हो गए बाहरी प्रयोग, आईये अब जानते हैं भृंगराज के आभ्यंतरीय प्रयोग यानि इंटरनल प्रयोग या खाने में इस्तेमाल करने वाले प्रयोग –
1. अम्लपित्त या एसिडिटी में – भृंगराज और हरीतकी का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर उसमे थोड़ा गुड़ मिलाकर रोज़ तीन बार खाने से एसिडिटी और इस से रिलेटेड प्रॉब्लम दूर होती है.
भृंगराज, गिलोय, आँवला, पित्तपापड़ा और चिरायता सभी का चूर्ण बनाकर शहद के साथ लेने से एसिडिटी में फ़ायदा होता है.
भृंगराज का रस और आँवला का रस मिलाकर खाने से एसिडिटी दूर होती है.
2. अजीर्ण में – भृंगराज और अनार के रस में पिप्पली का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण दूर होता है.
3. खाँसी में – भृंगराज के रस को शहद में मिलाकर चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है.
4. अस्थमा में – भृंगराज, सोंठ, पुष्करमूल और छोटी पीपल का चूर्ण दशमूल क्वाथ के साथ लेने से लाभ होता है.
5. अर्श या बवासीर में – भृंगराज के पत्ते 50 ग्राम और काली मिर्च 6 मिर्च पीसकर थोड़ा पानी मिक्स कर बेर के सामान गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. इसे एक-दो गोली सुबह शाम पानी से लेने से वातज अर्श दूर होता है.
6. उदरशूल या पेट दर्द में – भृंगराज के रस में काला नमक मिलाकर लेने से पेट दर्द दूर होता है.
7. लिवर बढ़ने पर – भृंगराज के रस में अजवाइन मिलाकर लेने से फ़ायदा होता है.
8. स्प्लीन बढ़ने पर – भृंगराज का रस और शर्पुन्खा का रस मिलाकर पिने से फ़ायदा होता है.
9. प्रदर या ल्यूकोरिया में – भृंगराज और शतावर के रस में चिरौंजी और मुनक्का पीसकर सेवन करने से लाभ होता है.
10. गर्भस्राव– जिस महिला को बार-बार गर्भस्राव हो जाता हो उसे भृंगराज का रस 10 ग्राम गाय के दूध के साथ सुबह शाम लेने से गर्भस्राव नहीं होता और भूख बढ़ती है और खाना सही से डाइजेस्ट होता है.
11. पेशाब की जलन में – भृंगराज का चूर्ण, यवक्षार और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पिस लें और तीन-तीन ग्राम इस चूर्ण को सुबह शाम पानी के साथ लेने से पेशाब की जलन या मूत्रदाह दूर होती है.
12. कम्पवात – भृंगराज के बीज का चूर्ण तीन ग्राम एक स्पून घी के साथ मिक्स कर खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पिने से फ़ायदा होता है.
13. जौंडिस या कामला में – भृंगराज के 10ML रस में एक ग्राम काली मिर्च और तीन ग्राम मिश्री मिलाकर पिने और खाने में दही चावल सेवन करने से चार-पांच दिनों में जौंडिस ठीक हो जाता है.
14. रक्त विकार या ब्लड इम्पुरिटी में- भृंगराज के 10ML जूस में दो दाना काली मिर्च मिक्स कर सुबह शाम तीन हफ्ते तक पिने से हर तरह के रक्तविकार दूर होते हैं. इसके प्रयोग करते हुवे गाय का दूध, रोटी और शक्कर का ही इस्तेमाल करें. नमक वाली कोई भी चीज़ अवॉयड करना चाहिए.
14. हाई ब्लड प्रेशर में – भृंगराज, सर्पगंधा, अर्जुन छाल एक-एक सौ ग्राम, बच और कुठ 50-50 ग्राम लेकर चूर्ण कर लें. इस चूर्ण को तीन-तीन ग्राम सुबह शाम पानी से लेने से उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर दूर होता है.
भृंगराज और आँवला का जूस पिने से भी लाभ होता है.
15. आमाशय व्रण या पेप्टिक अल्सर में – भृंगराज और शतावर के रस में थोड़ा सा गाय का घी मिलाकर खाने से फ़ायदा होता है.
16. सफ़ेद बालों के लिए – त्रिफला चूर्ण को भृंगराज के रस की तीन भावना देकर सुखाकर रख लें, अब इस डेढ़ ग्राम इस चूर्ण को सुबह ख़ाली पेट लेने से सफ़ेद बाल काले हो जाते हैं.
आँवला के मोटे चूर्ण में भृंगराज के रस की भावना देकर पत्थर के खरल में पीसकर सुखाकर रख लें. 3-3 ग्राम इस चूर्ण को सुबह-शाम लेने से बाल काले हो जाते हैं.
भृंगराज, आँवला और मुलेठी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इनसबके बराबर पीसी मिश्री मिक्स कर रख लें. इस चूर्ण को सुबह-शाम लेने से बाल काले हो जाते हैं.
17. कृमि रोग में – भृंगराज के रस में एरण्ड तेल मिलाकर देने से बच्चों के पेट के कीड़े निकल जाते हैं.
इंद्रलुप्त या गंजापन दूर करने वाला प्रयोग –
भृंगराज, त्रिफला और काले तिल सभी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और सबके बराबर पीसी हुयी मिश्री मिलाकर रख लें. अब इस चूर्ण को 10 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेना है खाना के बाद. इस चूर्ण का इस्तेमाल करने से गंजापन, बालों का झड़ना और सफ़ेद होना जैसी बालों की हर तरह की प्रॉब्लम दूर हो जाती है. साथ ही साथ आँखों की रौशनी भी बढ़ जाती है और चश्मा उतर जाता है. इस योग को लगातार कम से कम छह महिना तक यूज़ करना चाहिए. 100% इफेक्टिव और टेस्टेड योग है.
कयी सारी शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवाओं में भृंगराज का प्रयोग होता है जैसे भृंगराजासव, भृंगराज वटी, गंधक रसायन इत्यादि. अब आप समझ गए होंगे की भृंगराज कितनी महान औषधि है. असली भृंगराज पाउडर ऑनलाइन ख़रीदें अमेज़न से –