अरहर की दाल तो आप अक्सर खाते होंगे पर अरहर के औषधीय प्रयोग के बारे में अधीकतर लोग नहीं जानते हैं. यह सिर्फ दाल वगैरह बनाकर भोजन में प्रयोग करने वाली चीज़ नहीं है, बल्कि कुछ बीमारी भी दूर की जा सकती है, तो आईये अरहर के औषधीय प्रयोग के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं –
अरहर के बारे में मुझे ज़्यादा परिचय देने की ज़रूरत नहीं है, प्रायः सभी इसे जानते हैं. इसे अरहर, तूर, तुवर इत्यादि नामों से जाना जाता है, अंग्रेजी में इसे पिजन पि कहा जाता है.
अरहर के गुण
अरहर जो है कषाय, मधुररस युक्त, शीतवीर्य, कफ़पित्त शामक, वातवर्द्धक, ग्राही और रक्त शोधक जैसे गुणों से भरपूर होती है.
अरहर के औषधीय प्रयोग
खुजली होने पर – अरहर की दाल को जलाकर कोयले की तरह होने पर दही में मिलाकर खाज वाली जगह पर लगाना चाहिए. इसके बारे में एक दोहा भी कहा गया है कि-
“अरहर दाल जलाय के दधि में देई मिलाय, पकी खाज पर लेपिय देवे रोग मिटाय”
विषरोग में – अरहर की दाल को पानी के साथ पीसकर पिलाने से भांग का नशा दूर होता है. इसके पत्तों का रस भी पिने से विषरोग दूर होता है.
नाड़ीव्रण या नासूर होने पर– इस की दाल को उबाल कर पानी निचोड़कर पीसकर टिकिया बनाकर नासूर पर बांधना चाहिए. या फिर इसकी दाल को जलाकर राख बनाकर घी में मिलाकर लगाने से नासूर नष्ट होता है.
हिक्का या हिचकी होने पर– इसके पत्तों को जलाकर धुंवा लेना चाहिए
रक्तपित्त में– इसके पत्तों का रस पीने से लाभ होता है.
अतिसार या दस्त में – इसके हरे पत्तों का चूर्ण सेवन करना चाहिए. मवेशी को पतले दस्त होने पर अरहर की हरी पत्तियाँ खिलाई जाती हैं.
रक्तप्रदर में – इसके पत्तों को पानी के साथ पीसकर छानकर पीने से रक्तप्रदर मिट जाता है.
स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध की कमी होने पर पर इसकी दाल का सूप घी मिलाकर पीना चाहिए.
और अंत में एक कमाल का नुस्खा
अंजननामिका या गुहेरी होने पर – अरहर की दाल को साफ़ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से विशेष लाभ होता है. इसे रोज़ दो-तीन बार लगाना चाहिए. गुहेरी होने पर शुरू में लगाने से यह बैठा देती है और पकने की अवस्था में लगाने से तुरंत पाक कर फोड़ देती है.
तो यह थी आज की जानकारी अरहर के औषधीय प्रयोग के बारे में.