डायबिटीज के कारण और इस से कैसे बचें?

डायबिटीज
की बीमारी ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। एक दौर था जब वृद्धावस्था में लोग
इसके बारे में सोचते थे
, मगर आज डायबिटीज हर उम्र के लोगों को
गिरफ्त में ले रही है। बच्चे और युवा सबसे अधिक इसके शिकार हो रहे हैं।
 



विशेषज्ञों के मुताबिक मां-बाप की डायबिटीज का खतरा सर्वाधिक
संतान को है। ऐसी संतान में
80 से 90 फीसदी तक डायबिटीज होने की आशंका रहती है।
हालात यह है कि देश को डायबिटीज की कैपिटल कहा जाने लगा है
, वहीं
ताजनगरी में भी डायबिटीज पीड़ितों का आंकड़ा चार लाख से ऊपर पहुंच चुका है।
डॉक्टरों के मुताबिक वर्क प्रेशर
, स्ट्रेस और खानपान की बदलती आदतें इसके
लिए जिम्मेदार हैं
, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखकर खुद को फिट
और फाइन रखा जा सकता है। प्री डायबिटीज स्टेज पर भी सतर्क रहकर जिंदगी को संभाल
सकते हैं।
 




क्या होती है डायबिटीज?

डायबिटीज एक दीर्घकालिक रोग है, जो शरीर द्वारा ग्लूकोज के ठीक से
इस्तेमाल न करने पर रक्त में शर्करा की उच्च मात्रा के कारण होती है।




डायबिटीज के कारण

मोटापा, सुस्त जीवन शैली, शारीरिक
गतिविधियों में कमी।


मानसिक तनाव में रहना।

आनुवांशिकता सबसे बड़ा कारण है।

अत्यधिक बाहरी खाद्य पदार्थों का प्रयोग।



डायबिटीज के लक्षण

अत्यधिक प्यास लगना। 


जल्दी जल्दी पेशाब का आना।

अत्यधिक भूख लगना।

थकान, घावों का देर से भरना।

जननेन्द्रियों में खुजली होना।



प्री-डायबिटीज का स्वरूप

प्री डायबिटीज अक्सर सामान्य ब्लड शुगर और डायबिटीज के स्तर
के बीच की अवस्था मानी जाती है। शरीर में ब्लड ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से
ज्यादा होती है
, लेकिन इतनी भी अधिक नहीं होती कि इसे
डायबिटीज ही कहा जाए। प्री डायबिटीज में व्यक्ति का शरीर इंसुलिन का प्रयोग सही
प्रकार से नहीं कर पाता। इस वजह से रक्त शर्करा शरीर की कोशिकाओं या सेल्स में
ऊर्जा की तरह इस्तेमाल होने की जगह खून में ही रह जाती हैं। इस स्थिति को इंसुलिन
रेजिस्टेंस कहते हैं।




प्री-डायबिटीज पहचानने को ये बातें जरूरी

सामान्य से अधिक वजन डायबिटीज के लिए खतरे की घंटी है। 

शारीरिक व्यायाम वजन को भी नियंत्रण में रखता है और ऊर्जा के
रूप में ग्लूकोज का उपयोग भी करता है।
 


अगर परिवार में माता-पिता को डायबिटीज हो तो डायबिटीज का खतरा
बढ़ जाता है।


महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओडी) नामक रोग
होना
, अनियमित
माहवारी
, अतिरिक्त
अनचाहे बाल और मोटापा डायबिटीज का जोखिम बढ़ते हैं।




डायबिटीज के संदेह पर ये जांचें जरूरी

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज –

100 से कम हो, तो-शुगर सामान्य है।


100 से 125 हो तो प्री डायबिटीज है।


126 या इससे ज्यादा हो तो डायबिटीज है।




ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट

140 से कम हो, तो ब्लड शुगर सामान्य है।


140-199 हो, तो प्री डायबिटीज है।


200 या इससे ज्यादा हो तो डायबिटीज है।




डायबिटीज होने पर ये जांचें जरूरी

1. सामान्य मापदंड/भौतिक मापदंड


2. ब्लड शुगर


3. ग्लाय कोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (एचवीएआईसी)


4. मूत्र में माइक्रो एल्ब्यूमिन की जांच।


5. लिपिड प्रोफाइल (रक्त में चिकनाई/वसा की
जांच)


6. डायबिटीज न्यूरोपैथी या नसों की जांच
(बॉयोकेमिस्ट्री)




इन बातों का रखें ध्यान

शारीरिक व्यायाम स्वस्थ-सकारात्मक जीवनशैली का सबसे आवश्यक
अंग है
, जो
इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है। इस प्रकार इंसुलिन की कार्य क्षमता बढम्ती है।
लोगों को एरोबिक एक्सरसाइज करनी चाहिए।
 




आहार में वसा (फैट) युक्त खाद्य पदार्थ सैचुरेटेड फैट ज्यादा
है
, तो
प्री डायबिटीज से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है। आहार में फैट कैलोरी
30 प्रतिशत
से कम होनी चाहिए और सैचुरेटेड फैट
10 प्रतिशत से कम। अधिक वसा वाले खाद्य
पदार्थ हैं- फास्ट फूड्स जैसे-बर्गर
, पिज्जा, समोसे, पकोड़े और नमकीन आदि। सैचुरेटेड फैट वाले
पदार्थ हैं-मक्खन
, मटन, आइसक्रीम और घी आदि।




प्री डायबिटीज की स्थिति में डॉक्टर स्वस्थ जीवनशैली पर अमल
करने की सलाह देते हैं
, लेकिन ब्लड शुगर के नियंत्रित न होने की
स्थिति में विशेषज्ञ डॉक्टर के परामर्श से दवा लें। केमिस्ट या किसी के कहने पर
कोई दवा न लें।
 




डायबिटीज के लिए ये बातें जरूरी 

डायबिटीज में पेनक्रियाज में जो बीटा सेल होती हैं, वह
इंसुलिन कम बनाती हैं। इसके अलावा इंसुलिन के विपरीत प्रोटीन बनने लगता है
, जिस
कारण डायबिटीज होती है। डायबिटीज आनुवांशिक भी होती है।
 




बहुत अधिक जंकफूड का सेवन करना, वजन ज्यादा होना, रक्तचाप
और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित न होना
, बहुत अधिक मीठा खाना, लगातार
बाहर का खाना
, पानी कम पीना, व्यायाम
ना करना
, शारीरिक
काम कम करना
, खाने के बाद तुरंत सो जाने आदि से भी
डायबिटीज की आशंका बढ जाती है। डायबिटीज के मरीज को भूख
, प्यास
और यूरीन बहुत लगता है। घाव देर से भरते हैं।


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