कुक्कुटाण्डत्वक भस्म(कुश्ता बैज़ा-ए-मुर्ग) के फ़ायदे | Kukkutandatvak Bhasma Benefits & Usage



कैल्शियम की कमी और इसकी वजह से होने वाले रोगों के लिए यह एक असरदार दवा है, इसके इस्तेमाल से हड्डी और जॉइंट के रोग जैसे लो मिनरल डेंसिटी, ऑस्टियोपोरोसिस, Osteoarthritis महिलाओं के रोग जैसे कमर दर्द, ल्यूकोरिया, कमज़ोरी, बार-बार पेशाब होना और नाईट फॉल, कमज़ोरी जैसे पुरुष रोग दूर होते हैं, तो आईये जानते हैं कि कुक्कुटाण्डत्वक भस्म क्या है, कैसे बनता है और इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


कुक्कुटाण्डत्वक भस्म जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कुक्कुट यानि मुर्गी अंडत्वक मतलब अंडे के छिल्के की भस्म. मतलब यह मुर्गी के अंडे के छिल्के की भस्म होती है. अंडे के शेल या छिल्के को अक्सर फ़ेंक दिया जाता है, पर इसके गुणों को देखते हुवे आयुर्वेद के साथ-साथ यूनानी में इसका इस्तेमाल किया जाता है. यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसे ‘कुश्ता बैज़ा मुर्ग’ के नाम से जाना जाता है. 


कुक्कुटाण्डत्वक भस्म कैसे बनाया जाता है?


देशी मुर्गी के अंडे के छिल्के को चंगेरी के रस या काढे में शोधित करने के बाद गजपुट की अग्नि देकर इसकी भस्म बनाई जाती है. इसकी भस्म सफ़ेद रंग की फाइन पाउडर होती है. 





कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के गुण – 


यह लघु, उष्ण और मृदु होता है, टेस्ट में मधुर या स्वीट होता है. कफ़ और वात दोष को बैलेंस करता है. हड्डियाँ, जॉइंट और स्त्री पुरुष के प्रजनन अंग यानि reproductive system पर असर करता है. रसायन, बल्य, शक्तिवर्धक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है. 


कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के फ़ायदे – 


कैल्शियम की कमी में इसका इस्तेमाल करना चाहिए. हड्डियों की कमज़ोरी, लो मिनरल डेंसिटी, ऑस्टियोपोरोसिस, Osteoarthritis, जोड़ों का दर्द, रिकेट्स और कमर दर्द जैसे रोगों में असरदार है. 


पुरुषों के वीर्य विकार जैसे स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, मर्दाना कमज़ोरी जैसे रोगों में सहायक औषधियों के साथ लेना चाहिए. 


महिला रोगों जैसे श्वेत प्रदर या ल्युकोरिया, पीरियड्स की प्रॉब्लम में भी असरदार है. 
शरीर की ताक़त को बढ़ाता है, पाचन शक्ति ठीक कर यौनेक्षा बढ़ाने में भी मदद करता है. 





कुक्कुटाण्डत्वक भस्म की मात्रा और सेवन विधि – 


125 mg से 250 mg तक रोज़ दो बार सुबह शाम शहद में मिक्स कर लेना चाहिए. 


ल्यूकोरिया जैसे रोगों में इसे पुष्यानुग चूर्ण के साथ ले सकते हैं, स्वप्नदोष और वीर्य विकार में अश्वागंधादी चूर्ण के साथ, बार-बार पेशाब आने की प्रॉब्लम में चंद्रप्रभा वटी के साथ. या फिर इसी तरह दूसरी दवाओं के साथ आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं. 


यह पूरी तरह से सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. 5-6 महिना या अधीक समय तक भी प्रयोग किया जा सकता है. बैद्यनाथ, डाबर जैसी कई आयुर्वेदिक कम्पनियां इसे बनाती हैं.


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