Agastya Haritaki Avleh | अगस्त्य हरीतकी अवलेह खाँसी, अस्थमा, साइनस और एलर्जी जैसे रोगों की आयुर्वेदिक औषधि



अगस्त्य हरीतकी एक बेजोड़ क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो फेफड़ों को शक्ति देती है और Upper Respiratory Tract के रोगों को दूर करती है. तो आईये जानते हैं अगस्त्य हरीतकी अवलेह के बारे में पूरी डिटेल – 


अगस्त्य हरीतकी अवलेह को हरीतकी अवलेह, अगस्त्य रसायन और अगस्त्य रसायनम जैसे नामों से जाना जाता है. यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ शारंगधर संहिता का योग है, यह अवलेह है यानि हलवे की तरह की दवा है ठीक वैसा ही जैसा च्यवनप्राश होता है. 


इसका मेन इनग्रीडेंट हरीतकी या हर्रे है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है जैसे- 


हरीतकी- 1200 ग्राम 
बिल्व या बेल 
अरणी 
श्योनका 
पटाला 
गंभारी 
बृहती 
कंटकारी 
शालपर्णी 
प्रिश्नपर्णी 
गोक्षुर 
कौंच बीज 
शंखपुष्पी 
कपूर कचरी 
बला 
गजपीपल 
अपामार्ग 
पिपरामूल 
चित्रकमूल 
भारंगी 
पुष्करमूल प्रत्येक 96 ग्राम 
जौ – 3 किलो 73 ग्राम 
पानी – 15.36 लीटर 
गाय का घी – 192 ग्राम 
तिल तेल – 192 ग्राम 
पिप्पली – 192 ग्राम 
शहद – 192 ग्राम 
गुड़ – 4 किलो 800 ग्राम 


इसे आयुर्वेदिक अवलेह पाक निर्माण विधि से अवलेह बनाया जाता है. 


अगस्त्य हरीतकी अवलेह के गुण – 


यह कफ़ और वात दोष पर असर करती है, तासीर में थोड़ा गर्म है. यह कफ़-श्वास नाशक(Antitussive, Mucolytic), आम पाचक(Detoxifier), एंटी एलर्जिक, सुजन नाशक(Anti-inflammatory), एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट और पाचन शक्ति ठीक करने वाले(Digestive Stimulant) गुणों से भरपूर है. 





अगस्त्य हरीतकी अवलेह के फ़ायदे – 


फेफड़े और साँस के रोगों के लिए यह बेहद असरदार है. यह एक आयुर्वेदिक रसायन है, शरीर को ताक़त देता है, पाचन ठीक करता है और बल बढ़ाता है. इसके इस्तेमाल से कई तरह के रोग दूर होते हैं जैसे – 


सर्दी-खाँसी, अस्थमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस, अंदरूनी बुखार, साँस की तकलीफ़ 
पुराना साइनस(Sinusitis), Allergic Rhinitis, तपेदिक या T.B. के बाद की कमज़ोरी 


भूख की कमी, हिचकी, मुंह का स्वाद पता नहीं चलना, IBS, कब्ज़, पाचन शक्ति की कमज़ोरी वगैरह 


गाढ़ा, जमा हुवा कफ़ को निकालता है चाहे खाँसी में हो या ब्रोंकाइटिस में. 





अगस्त्य हरीतकी अवलेह की मात्रा और सेवन विधि – 


दस से बीस ग्राम तक गर्म पानी के साथ सुबह शाम लेना भोजन के बाद लेना चाहिए, यह व्यस्क व्यक्ति का डोज़ है. बच्चे, युवा और बुजुर्गों में उनकी उम्र के अनुसार डोज़ देना चाहिए. 


ब्रोंकाइटिस में इसके साथ सितोपलादि चूर्ण, प्रवाल पिष्टी और टंकण भस्म के साथ लेने से पुरानी से पुरानी ब्रोंकाइटिस में लाभ होता है. 


इसे एक साल के बच्चे से लेकर साठ साल तक के बुज़ुर्ग में यूज़ कर सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. वात और कफ़ दोष में असरदार है, पित्त दोष में इसे सावधानी से लेना चाहिए. जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ हो वो भी इसे यूज़ कर सकते हैं, इस से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है. 





अगस्त्य हरीतकी अवलेह का साइड इफ़ेक्ट – 


वैसे तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है पर इसे लेने से मोशन थोड़ा लूज़ हो सकता है, हरीतकी मिला होने से. पित्त प्रकृति वालों को सिने में जलन हो सकती है. 


परहेज़- 


अगस्त्य हरीतकी का इस्तेमाल करते हुवे दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं पर दही, आइसक्रीम, फ़ास्ट फ़ूड और तेल मसाले वाले भोजन नहीं करना चाहिए. 


डाबर, बैद्यनाथ जैसी कई तरह की कंपनियों का यह मिल जाता है. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर निचे दिए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं- 


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