स्वर्णभूपति रस के गुण और प्रयोग | Swarnbhupati Ras Benefits & Use



स्वर्णभूपति रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो कई तरह के रोगों को दूर करता है. इसके इस्तेमाल से क्षय रोग, सन्निपात, आम वात, धनुर्वात, कफवात, कमर दर्द, प्रमेह, पत्थरी, कुष्ठ, भगंदर जैसे कई सारे रोग नष्ट होते हैं, तो आईये जानते हैं स्वर्णभूपति रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


स्वर्णभूपति रस का घटक या कम्पोजीशन- 


इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक एक-एक भाग, ताम्र भस्म दो भाग, अभ्रक भस्म, लौह भस्म, कान्त लौह भस्म, स्वर्ण भस्म या सोने का वर्क, चाँदी भस्म या चाँदी का वर्क और शुद्ध बच्छनाग प्रत्येक एक-एक भाग. 


स्वर्णभूपति रस निर्माण विधि-


यह कुपिपक्व रसायन औषधि है जिसे हर किसी के लिए बनाना आसान नहीं होता. इसे बनाने के लिए सबसे पहले पारा-गंधक को खरलकर कज्जली बना लें उसके बाद दूसरी चीज़ों को मिक्स कर ‘हँसराज’ के रस में एक दिन खरलकर छोटी-छोटी गोलियाँ बनाकर सुखाकर, इसको आतशी शीशी में डालकर बालुका यंत्र में तीन प्रहर तक मंद अग्नि देने के बाद पूरी तरह से ठंडा होने पर निकालकर पीसकर रख लें. यही स्वर्णभूपति रस है. 


स्वर्णभूपति रस के गुण – 


आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष नाशक है जिसकी वजह से हर तरह की बीमारियों को दूर करने की शक्ति है इसमें. 


स्वर्णभूपति रस के फ़ायदे- 


यह सन्निपात और क्षय रोग या T.B. में बेहद असरदार है. टी. बी. की सेकंड स्टेज में भी इसका इस्तेमाल करने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं. 


आयुर्वेदिक डॉक्टर हर तरह के वात रोगों में इसका इस्तेमाल करते हैं, इसके इस्तेमाल से आमवात, धनुर्वात, शृंखलावात, आढ्य्वात, पंगुता, कफवात, कमर दर्द, अग्निमान्ध, पेट दर्द, पेट में गोले बनना, प्रमेह, पाचन विकार, पत्थरी, एक्जिमा, कुष्ठ, खाँसी, अस्थमा, बुखार जैसी कई तरह की बीमारियों में अनुपान भेद से इसका प्रयोग किया जाता है. 


ताम्र भस्म की मात्रा मिला होने से यह लीवर-स्प्लीन और किडनी के फंक्शन को सही करता है और विषाक्त तत्वों या Toxins को बाहर निकालता है. 


चाँदी भस्म मिला होने से शरीर को ताक़त देता है, दिमाग को पोषण देता है, यादाश्त बढ़ाता है और त्वचा को नर्म मुलायम बनाता है. 


वात वाहिनी नाड़ियों पर इसका असर होने से झटके पड़ना, लंगड़ाना और बॉडी के हर तरह के दर्द को दूर करता है. 


कुल मिलाकर देखा जाये तो त्रिदोषनाशक होने से यह दवा कई तरह की बीमारियों को दूर कर देती है. 


स्वर्णभूपति रस की मात्रा और सेवन विधि – 


60 से 125 mg तक शहद, अदरक के रस, पिप्पली चूर्ण या फिर रोगानुसार उचित अनुपान से आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए. इसे डॉक्टर की सलाह से सही डोज़ में ही लेना चाहिए, नहीं तो सीरियस नुकसान भी हो सकता है. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीदा जा सकता है. बैद्यनाथ के 10 टेबलेट की क़ीमत क़रीब 700 रुपया है. 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *