Corona Virus Ayurvedic Treatment | कोरोना वायरस का आयुर्वेदिक उपचार



कोरोना वायरस के बारे में आपने न्यूज़ में सुना ही होगा, चीन से शुरू होने वाली यह  बीमारी दुनिया के कई मुल्कों तक फैल चुकी है. हमारे देश भारत में इसके कुछ मामले सामने आये हैं और यहाँ दुबई में भी इसकी एंट्री हो चुकी है. हजारों लोग इस से संक्रमित हो चुके हैं और सैंकड़ों लोगों की मौत भी हो चुकी है. विश्व स्वास्थ संगठन इसे वैश्विक संकट घोषित कर चूका है. एलोपैथ वालों का कहना है कि इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं है. आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? क्या आयुर्वेद में इसकी कोई दवा है? आईये यही सब के बारे में विस्तार से जानते हैं – 


चूँकि यह नए टाइप का वायरस है जो पहले कभी नहीं पाया गया, इसलिए वैज्ञानिक इसका इसका इलाज ढूंढने में दिन-रात लगे हैं. 


सबसे पहले समाज लीजिये इसके लक्षण –


इसका संक्रमण होने पर जुकाम, सर दर्द, खांसी, गले में खराश, बुखार, छिंक आना, थकान, न्युमोनिया, फेफड़े में सुजन, साँस लेने में तकलीफ़ जैसे लक्षण पाए जाते हैं. 


इस तरह की बीमारी के लिए आयुर्वेद क्या कहता है? 


हर साल कुछ न कुछ नयी बीमारी आती है और आने वाले समय में भी इस तरह का नया वायरस आयेगा इसमें कोई शक नहीं. पर आयुर्वेद में आज से हजारों साल पहले इस तरह की बीमारी का ईलाज बताया गया है. इसके लिए आयुर्वेद के मुख्य सिद्धांत को ध्यान में रखना होगा. 


इस तरह कि बीमारी का नाम आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में भले ही न मिले, पर इस तरह के संक्रमण का उपचार बताया ज़रूर गया है. 


तो सवाल यह उठता है कि इस तरह के संक्रमण और लक्षण में कौन सी दवा का प्रयोग किया जाये? 


तो जवाब बड़ा ही सिंपल है- लक्षण के अनुसार औषधि का सेवन कराना चाहिए 
आयुर्वेदिक औषधि की बात की जाये तो मेरे दिमाग में दो दवा का नाम आता है – त्रैलोक्य चिन्तामणि रस और त्रिभुवनकीर्ति रस 


दोनों में से एक-एक रत्ती शहद के साथ सेवन कर यष्टि मधु और वासा क्वाथ दिया जाये तो कोरोना वायरस के लक्षणों का शमन हो सकता है. 


कैसे?


त्रैलोक्य चिन्तामणि रस स्वर्ण युक्त बहुमूल्य औषधि है. इसके घटकों पर आप नज़र डालेंगे तो पाएंगे कि यह कीटाणु, वायरस नाशक, फेफड़ों और ह्रदय को बल देने वाला, और वात शामक जैसे अनेको गुणों से भरपूर है. स्वर्ण भस्म एक बेजोड़ एन्टी वायरल और एंटी बायोटिक है.


इसी तरह से त्रिभुवनकीर्ति रस बुखार, फ्लू और सांस की तकलीफ़ जैसे लक्षणों को दूर करने में बेजोड़ है. 


 तो ये है मेरी राय कोरोना वायरस के लक्षणों में प्रयोग करने लायक आयुर्वेदिक औषधि के बारे में. इसके बारे में आपके क्या विचार है, कमेन्ट कर ज़रूर बताएं. 


कोरोना वायरस के संक्रमण से कैसे बचें?


जैसा की सभी जानते हैं Prevention is better than Cure तो इसके संक्रमण से बचने के लिए 


अगर घर से बाहर कहीं पब्लिक एरिया में जाते हैं तो मास्क लगायें, बिना ज़रूरत के बाहर निकलने से बचें, हाथों की अच्छी तरह से साबुन और पानी से सफाई करें. 
छींकते समय नाक और मुँह ढकें. सर्दी जुकाम से पीड़ित लोगों के पास जाने से बचें. मेड इन चाइना वाले किसी भी सामान को न तो छुएँ और न ही घर लायें. 


आजकल यह बात तेज़ी से फैल रही है कि Chinese सामान को छूने से भी इसका इन्फेक्शन हो सकता है. हालाँकि अब तक इसका कोई पुख्ता सुबूत नहीं है पर संभव हो सकता है. 


तो यह सब उपाय हैं इस से बचने के, पर सबसे बड़ी बात आपको बता दूँ कि सारा उपाय एक तरफ़ और आपकी  रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरी तरफ़ है. अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं, कोई भी वायरस अटैक नहीं करेगा. इसके लिए तुलसी का पत्ता, गिलोय का रस और आँवला जैसी चीजों का सेवन किजिए. 


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