लक्ष्मीनारायण रस क्या है?
यह एक रसायन औषधि है जो वात, पित्त और कफ़ वाले रोगों पर असर करती है.
लक्ष्मीनारायण रस के घटक या कम्पोजीशन
इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है- शुद्ध हिंगुल, शुद्ध गंधक, शुद्ध बच्छनाग, सुहागे की खील, कुटकी, अतीस, पीपल, इन्द्रजौ, अभ्रक भस्म और सेंधा नमक प्रत्येक समान भाग
इसके निर्माण विधि की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए सभी चीज़ों को बारीक चूर्ण कर दन्तीमूल और त्रिफला क्वाथ में अलग-अलग तीन-तीन दिनों तक घोटने के बाद दो-दो रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. बस यही लक्ष्मीनारायण रस कहलाता है.
लक्ष्मीनारायण रस की मात्रा और सेवन विधि
एक से दो गोली सुबह-शाम अदरक का रस और शहद मिक्स कर लेना चाहिए.
वात, पित्त और कफ़ तीनो दोषों पर इसका असर होता है.
लक्ष्मीनारायण रस के फ़ायदे
आयुर्वेदिक ग्रंथानुसार लक्ष्मीनारायण रस के सेवन से वात, पित्त और कफात्मक ज्वर, हैजा, विषम ज्वर, अतिसार, संग्रहणी, रक्तातिसार, आम-शूल और वात व्याधि का नाश होता है.
आईये अब आसान भाषा में इसके फ़ायदे जानते हैं -
यह बच्चों के टेटनस रोग की एक असरदार आयुर्वेदिक औषधि है.
यह हर तरह के बुखार को पसीना लाकर उतार देती है.
महिलाओं की डिलीवरी के बाद होने वाली बुखार और दूसरी समस्याओं में भी प्रयोग की जाती है.
संग्रहणी और आँव वाले दस्त में भी यह उपयोगी है.
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