यह स्वप्न दोष, प्रमेह, धात गिरना, वीर्य विकार, मर्दाना कमज़ोरी जैसे समस्त मूत्र रोगों और पुरुष यौन रोगों में असरदार है. तो आईये इन सब के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं -
बंगेश्वर रस
बंग भस्म इसका एक घटक होता है इसलिए ही इसका नाम बंगेश्वर रस रखा गया है. आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली और रसेन्द्र सार संग्रह में इसका वर्णन मिलता है.
वृहत बंगेश्वर रस में स्वर्ण भस्म भी मिला होता है जबकि बंगेश्वर रस में स्वर्ण भस्म नहीं होता और इसका कम्पोजीशन भी थोड़ा अलग होता है. आपकी जानकारी के लिए दोनों के घटक या कम्पोजीशन बता रहा हूँ, सबसे पहले जानते हैं
बंगेश्वर रस के घटक या कम्पोजीशन
बंग भस्म, कान्त लौह भस्म, अभ्रक भस्म और नागकेशर का बारीक चूर्ण सभी बराबर मात्रा में लेकर घृतकुमारी की सात भावना देकर बहुत अच्छे से खरल कर एक-एक रत्ती की गोलियाँ बना ली जाती हैं. यही बंगेश्वर रस है, इसे बंगेश्वर रस साधारण भी कहा जाता है.
वृहत बंगेश्वर रस के घटक या कम्पोजीशन
जैसा कि इसके नाम में वृहत लगने से ही पता चलता है कि इसका नुस्खा बड़ा है. वृहत बंगेश्वर रस के घटक या कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है बंग भस्म, शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, अभ्रक भस्म, चाँदी भस्म और कपूर प्रत्येक एक-एक तोला और स्वर्ण भस्म और मोती भस्म प्रत्येक 3-3 माशा
निर्माण विधि यह होती है कि सबसे पहले पारा-गंधक को खरल कर कज्जली बनाकर दुसरे सभी घटक मिलाकर भाँगरे के रस में खरलकर एक-एक रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुखा लिया जाता है. यही वृहत बंगेश्वर रस कहलाता है. यह बना हुआ मिलता है, ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक विडियो की डिस्क्रिप्शन में दिया गया है.
वृहत बंगेश्वर रस की मात्रा और सेवन विधि क्या है? किस अनुपान से इसका सेवन करने से पूरा लाभ मिलता है?
इसकी मात्रा या डोज़ की बात करूँ तो एक से दो गोली सुबह-शाम शहद लेना चाहिए.
इसका पूरा फ़ायदा पाने के लिए शहद के साथ इसे चाटकर ऊपर से एक ग्लास गाय का दूध या फिर बकरी का दूध पीना चाहिए.
वृहत बंगेश्वर रस के गुण और उपयोग
यह त्रिदोष पर असर करता है यानी कि वात, पित्त और कफ़ तीनों को बैलेंस करता है. यह रसायन और बाजीकरण होता है. आयु, बल, वीर्यवर्धक, कान्तिवर्धक और दुर्बलतानाशक जैसे गुणों से भरपूर होता है.
वृहत बंगेश्वर रस के फ़ायदे
आयुर्वेदिक ग्रन्थ के अनुसार वृहत बंगेश्वर रस के सेवन से नए पुराने सभी प्रकार के प्रमेह अच्छे होते हैं.
सभी तरह मूत्र रोग और मूत्र संक्रमण जैसे पेशाब की जलन, बहुमूत्र, UTI इत्यादि रोग दूर होते हैं.
पुरुषों के यौन रोग जैसे सोते हुए नींद में वीर्य निकल जाना, वीर्यवाहिनी नाड़ियों की कमज़ोरी, मल-मूत्र त्यागते हुए वीर्य निकल जाना इत्यादि रोग दूर होते हैं.
ग्रन्थ के अनुसार शुक्रक्षय से उत्पन्न मन्दाग्नि, आमदोष, अरुचि, हलिमक, रक्तपित्त, ग्रहणीदोष, मूत्र और वीर्यदोष आदि सभी विकार नष्ट होते हैं.
आसान भाषा में अगर कहा जाये तो यह पुरुष यौन अंग के रोग और मूत्र रोगों की असरदार औषधि है. यह धातुओं को पुष्ट कर शरीर को स्वस्थ और निरोगी बना देती है.
क्या इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं?
यह एक सुरक्षित औषधि है, इसका कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. सही डोज़ में उचित अनुपान के साथ वैद्य जी की सलाह से इसका सेवन करना चाहिए.
क्या दूसरी दवाओं का सेवन करते हुए भी इसका यूज़ कर सकते हैं?
जी हाँ, होमियोपैथिक या दूसरी कोई अंग्रेज़ी दवा आपकी चलती है तो भी इसका यूज़ कर सकते हैं. बस दूसरी दवा और इसके बीच में आधा से एक घंटा का अन्तर रखना चाहिए. पहले अंग्रेज़ी दवा खाएं, उसके आधा से एक घंटा बाद ही इसका सेवन करें, और अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें.
यदि आप पहले से कोई विटामिन या सप्लीमेंट यूज़ करते हैं तो भी इसका सेवन कर सकते हैं. लगातार एक महिना तक इसका सेवन कर सकते हैं.
वृहत बंगेश्वर रस और बंगेश्वर रस में कौन सा बेस्ट होता है? कौन सा यूज़ करना चाहिए और कहाँ से ख़रीदें?
वृहत बंगेश्वर रस जो स्वर्णयुक्त होती है, इसका ही यूज़ करें क्यूंकि यही बेस्ट है. यह आयुर्वेदिक दवा दुकान में मिल जाती है. अलग-अलग कम्पनी का अलग-अलग प्राइस होता है. ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक निचे दिया गया है.
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