कुछ लोग सोचते हैं कि आयुर्वेद में थायराइड का प्रॉपर ईलाज नहीं है, जो की ग़लत है. भईया आयुर्वेद में थायराइड का सफ़ल उपचार है.
सबसे पहले जानते हैं थायोकेयर कैप्सूल के कम्पोजीशन के बारे में
इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करूँ तो यह शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी बूटियों का एक बेहतरीन योग है. इसे कांचनार गुग्गुल, पुनर्नवादि मंडूर, आरोग्यवर्धिनी वटी, त्र्युषनाध लौह, कुटकी घनसत्व और विडंग घनसत्व के मिश्रण से बनाया गया है.
थायोकेयर कैप्सूल का डोज़ यानि कि मात्रा और सेवन विधि
एक से दो कैप्सूल रात में सोने से पहले गर्म पानी से लें. या फिर बढ़ी हुयी अवस्था में दो-दो कैप्सूल सुबह-शाम गर्म पानी से. जब थायराइड का लेवल नार्मल हो जाये उसके बाद भी कुछ महीने तक एक कैप्सूल रोज़ सेवन करना चाहिए. 15 साल से कम उम्र के रोगी को कैप्सूल तोड़कर आधी मात्रा में देना चाहिए.
थायोकेयर कैप्सूल के फ़ायदे
इसके फायदों की बात करूँ तो यह अबनोर्मल थायराइड लेवल को नार्मल करता है और इस कारन से शरीर में उत्पन्न हुयी विकृतियों को दूर करता है.
थायराइड ग्रंथि की विकृति से उत्पन्न सभी समस्याओं की दूर करने में असरदार है.
लॉन्ग टाइम तक इसका सेवन कर सकते हैं, किसी भी तरह का कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है.
इसका सेवन करते हुए सफ़ेद नमक, चावल और चिकनाई वाले आहार से परहेज़ करना चाहिए.
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