ठण्ड का मौसम आ गया है और अभी यानी नवम्बर-दिसम्बर से लेकर फरवरी मार्च तक मकरध्वज सेवन करने का सबसे बेस्ट समय है.
जी हाँ दोस्तों, आज मैं मकरध्वज के बारे में कुछ कमाल की जानकारी देने वाला हूँ.
मकरध्वज आयुर्वेद की एक ऐसी पॉपुलर दवा है जिसके बारे में सभी लोग कुछ न कुछ जानते ही हैं.
मकरध्वज अपने आप में एक बेजोड़ औषधि है जिसे बड़े-बड़े डॉक्टर भी मान चुके हैं. सिद्ध मकरध्वज टॉप क्लास का होता है और इसी के बारे में आज विशेष चर्चा करूँगा.
सिद्ध मकरध्वज पारा गंधक और स्वर्ण का विशेष योग है. यह त्रिदोष नाशक होता है, यानी इसके सेवन से सभी तरह के रोग दूर होते हैं. बस शर्त यह है कि रोगानुसार उचित अनुपान के साथ इसका सेवन किया जाये.
सिद्ध मकरध्वज के सेवन से ताक़त बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है. वैसे तो यह पुरे शरीर के लिए लाभकारी है पर हार्ट, ब्रेन और नर्वस सिस्टम पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है. बच्चे, बड़े, बूढ़े, जवान, महिला और पुरुष सभी के लिए यह फ़ायदेमंद है.
अनुपान भेद से इसे अनेकों रोगों में प्रयोग किया जाता है. किस बीमारी में इसे किस चीज़ के साथ लेना है, आगे सब बताऊंगा. पर उस से पहले ठण्ड के इस मौसम में इसका प्रयोग जान लिजिए-
चूँकि इंडिया में अभी जाड़े का मौसम आ गया है, कई लोगों को ठण्ड बहुत ज़्यादा महसूस होती है उनके लिए सिद्ध मकरध्वज बड़े काम की चीज़ है.
तो भईया, अगर आपको ठण्ड ज़्यादा लगती है और गर्म कपड़ों से दबे रहते हैं तो अभी से सिद्ध मकरध्वज का विधि पूर्वक सेवन शुरू कीजिये और फिर देखिये इसका चमत्कार.
ठण्ड को दूर करने के लिए मकरध्वज का मैं प्रत्यक्ष अनुभव कर देख चूका हूँ. आप भी एक बार ट्राई ज़रूर कीजिये. सिद्ध मकरध्वज ओरिजिनल होना चाहिय तभी पूरा लाभ मिलेगा.
ओरिजिनल सिद्ध मकरध्वज का लिंक दे रहा हूँ, जहाँ से आप ऑनलाइन आर्डर कर सकते हैं.
सिद्ध मकरध्वज नम्बर-1 के 1 ग्राम की प्राइस है 300 रुपया. यह सबसे चीप एंड बेस्ट है, क्यूंकि यह सभी के बजट में भी है.
इस एक ग्राम की 8 मात्रा बनाकर शहद के साथ खरल कर सेवन कीजिये और फिर इसका असर देखिये, इसका चमत्कार देखिये.
इसके विकल्प के रूप में मकरध्वज वटी का भी सेवन कर सकते हैं.
सिद्ध मकरध्वज की मात्रा और सेवन विधि
मकरध्वज को एक विशेष विधि से सेवन करने का विधान है. सही विधि से सेवन करने पर ही इसके सारे गुणों की प्राप्ति होती है.
तो अब सवाल यह उठता है कि इसके सेवन की सही विधि क्या है?
सिद्ध मकरध्वज को शहद के साथ अच्छी तरह से खरल कर सेवन से इसका पूरा लाभ मिलता है. जैसा कि शास्त्रों में भी कहा गया है - 'मर्दनम गुणवर्धनम'
अथार्त- मर्दन करने से इसके गुणों में वृद्धि हो जाती है. जितना पॉसिबल हो इसे शहद के साथ खरल या पेश्टर में डालकर मर्दन कर ही यूज़ करना चाहिए.
125 mg से 375 mg तक आयु के अनुसार इसकी मात्रा लेकर एक स्पून शहद के साथ दस से 15 मिनट तक खरल कर रोज़ दो से तीन बार तक इसका सेवन करें और फिर चमत्कार देखें. अगर किसी ख़ास बीमारी के लिए इसे लेना है तो उस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवा के साथ इसे मिक्स कर लेना चाहिए.
सिद्ध मकरध्वज के गुण या प्रॉपर्टीज
अगर मैं कहूँ कि सिद्ध मकरध्वज गुणों की खान है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. मकरध्वज के जैसी दवा दुनिया की किसी भी पैथी में नहीं है. यह मरणासन्न रोगी को भी बचा देती है.
आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष नाशक है जिस से यह हर तरह की बीमारी में लाभकारी है.
सिद्ध मकरध्वज के फ़ायदे
इसके फ़ायदों की बात करें तो यह ताक़त बढ़ाने वाली बेजोड़ दवा है. यह हार्ट और नर्वस सिस्टम को ताक़त देती है. खून की कमी और कमज़ोरी दूर कर वज़न बढ़ाती है.
शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन,नपुँसकता और वीर्य विकारों के लिए बेजोड़ है. न्युमोनिया, खांसी, दमा, टी. बी., हृदय रोग, हर तरह की बुखार, हर तरह की कमज़ोरी, चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ना इत्यादि अनेकों रोगों में इसका प्रयोग करना चाहिए.
यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. बहुत सारे लोग ठण्ड के मौसम में इसका सेवन कर पुरे साल उर्जावान बने रहते हैं. अभी का मौसम इसके इस्तेमाल के लिए सबसे बेस्ट है.
हाल के दिनों में कई लोगों की मौत हो रही है अचानक से हार्ट फ़ेल होने से, जिनमे अधिकतर संख्या कोरोना वैक्सीन लिए हुए लोगों की है,ऐसा लोगों का कहना है. आपने भी ख़बरों में ऐसा सुना होगा. मकरध्वज के सेवन से हार्ट फ़ेल नहीं होता है और हार्ट फ़ेल होने से यह बचाव करती है.
चूँकि सिद्ध मकरध्वज योगवाही भी है, मतलब जिस किसी भी दवा के साथ मिक्स कर यूज़ करेंगे यह उसके गुणों को बढ़ा देता है. अनुपान भेद से यह अनेकों रोगों में प्रयोग किया जाता है.
तो आईये यह भी जान लेते हैं कि किस बीमारी में इसे किस चीज़ के साथ सेवन करना चाहिएय -
सर्दी खाँसी में - पान के रस, अदरक के रस, मुलेठी चूर्ण, पीपल चूर्ण के साथ इसे लेना चाहिए
साधारण बुखार में - पीपल और अदरक के रस के साथ
मलेरिया में - करंज बीज या सुदर्शन चूर्ण के साथ
टाइफाइड में - मोती पिष्टी के साथ
जीर्ण ज्वर या पुरानी बुखार में - पीपल चूर्ण के साथ
कब्ज़ में - त्रिफला चूर्ण या त्रिफला क्वाथ के साथ
एसिडिटी में - आँवला चूर्ण या गिलोय सत्व के साथ
आँव वाले दस्त में - बेलगिरी चूर्ण या आमपाचक चूर्ण के साथ
बवासीर में - सुरण चूर्ण या कंकायण वटी के साथ
संग्रहणी या आई बी एस में - भुने हुवे जीरा के चूर्ण, शहद और छाछ के साथ
हृदय रोगों में - मोती पिष्टी और अर्जुन की छाल के चूर्ण के साथ
पागलपन में - सर्पगंधा चूर्ण के साथ
मृगी में - बच के चूर्ण के साथ
गैस में - भुनी हींग के साथ
पथरी में - गोक्षुर और कुल्थी के क्वाथ के साथ
धात रोग में - गिलोय के रस के साथ
स्वप्नदोष में - कबाब चीनी चूर्ण के साथ
शीघ्रपतन में - कौंच बीज चूर्ण, बाजीकरण चूर्ण या दिर्घायु चूर्ण के साथ
डायबिटीज में - गुडमार और जामुन गुठली चूर्ण के साथ
एनीमिया या खून की कमी में - लौह भस्म के साथ
ल्यूकोरिया में - तण्डूलोदक के साथ
मकरध्वज के साइड इफेक्ट्स
जेनेरली इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. बस किडनी के रोगियों को लम्बे समय तक इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए. और रोगानुसार उचित अनुपान से ही इसका सेवन करना चाहिए. किसी रोग विशेष के लिए लेना है तो स्थानीय वैद्य जी की सलाह से ही सेवन करना चाहिए.
होम्योपैथिक दवा लेते हुए भी इसका सेवन कर सकते हैं. विटामिन्स और हेल्थ सप्लीमेंट का सेवन करते हुए भी इसका यूज़ कर सकते हैं.
अगर आपकी कोई अंग्रेज़ी दवा चलती है तो इसका सेवन अपने डॉक्टर की सलाह से ही करें.
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