जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है अतुल शक्तिदाता योग अर्थात अतुलनिय शक्ति देने वाला नुस्खा
अतुल शक्तिदाता योग क्या है?
अतुल शक्तिदाता योग लौह भस्म का एक स्पेशल फॉर्म है. इसे तीक्ष्ण लौह भस्म में कुछ स्पेशल चीज़ों के मिश्रण से एक बहुत ही स्पेशल विधि से इसकी पावरफुल भस्म बनाई जाती है.
आसान भाषा में कहूँ तो अतुल शक्तिदाता योग एक स्पेशल फ़ौलाद भस्म या लौह भस्म है. फ़ौलाद बुरादा, सफ़ेद संखिया, घृतकुमारी, भीमसेनी कपूर, आँवलासार गन्धक और बीर बहूटी इत्यादि के मिश्रण से इसे बनाया जाता है.
अतुल शक्तिदाता योग निर्माण विधि
शुद्ध किया हुआ असली फ़ौलाद बुरादा 200 ग्राम, सफ़ेद संखिया 10 ग्राम, भीमसेनी कपूर डेढ़ ग्राम सबको मिलाकर घृतकुमारी के रस में 12 घन्टे खरलकर छोटी-छोटी टिकिया बनाकर सुखाकर मिटटी के बर्तन में डालकर कपड़मिट्टी कर पाँच किलो कंडों की अग्नि में फूक दें. ठण्डी होने के बाद भस्म को निकाल कर इसमें 10 ग्राम हरताल और डेढ़ ग्राम भीमसेनी कपूर मिलाकर फिर से घृतकुमारी के रस में घोटकर छोटी-छोटी टिकिया बनाकर सुखाकर सराब सम्पुट में रखकर गजपुट की अग्नि दें.
इसके बाद फिर से निकालकर तीसरी बार में 10 ग्राम आँवलासार गंधक और डेढ़ ग्राम भीमसेनी कपूर मिलाकर उसी तरह से गजपुट की अग्नि दें.
अब चौथी बार इसमें 10 ग्राम शुद्ध पारा और डेढ़ ग्राम भीमसेनी कपूर मिलाकर घृतकुमारी में घोटकर टिकिया बना सुखाकर गजपुट की अग्नि दें. इसी तरह से उपरोक्त दवाओं के साथ पुनः उपरोक्त क्रम से प्रत्येक की 3-3 पुट अग्नि देने से टोटल 16 पुट हो जायेगा.
इसके बाद इस मिश्रण को लोहे की कड़ाही में डालकर समान मात्रा में बीर बहूटी मिलाकर मन्द आंच में जलाएं, जब बीर बहूटी जल जाये तब लोहे के तवे से ढँक कर तीन घंटे तक खूब तेज़ अग्नि दें. इसके बाद ठंडा होने पर भस्म को निकालकर पीसकर रख लें. बस यही अतुल शक्तिदाता योग है.
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अतुल शक्तिदाता योग की मात्रा और सेवन विधि
इसकी मूल मात्रा चार चावल से 1 रत्ती बताई गयी है. यानी कि 30 mg से 125 mg तक. बहुत ही कम मात्रा में इसे लेना होता है. मेडियम डोज़ में लेना है तो इसके एक पैक से 80 ख़ुराक बन जायेगा, 40 दिन का डोज़. इसे किसी चूर्ण में मिलाकर ले सकते हैं. इसे मक्खन या मलाई में मिलाकर ऊपर से मिश्री मिला गर्म दूध पीना चाहिए. इसे लगातार दो से तीन महिना तक यूज़ कर सकते हैं.
अतुल शक्तिदाता योग के फ़ायदे
सामान्य कमज़ोरी से लेकर मर्दाना कमजोरी तक दूर करने में यह बेजोड़ है.
इसके इस्तेमाल से शरीर में नया खून बनता है. 21 दिनों तक खाने से चेहरा लाल सुर्ख हो जाता है बिल्कुल सेब की तरह.
यह अत्यन्त कामोद्दीपक है, यौनेक्षा को बढ़ा देता है, जगा देता है. लगातार चालीस दिनों तक सेवन करने से बेजोड़ लाभ हो जाता है.
खून की कमी, जौंडिस और लीवर बढ़ जाने, या लीवर की बीमारियों में लाभकारी है.
मूत्रमेह, प्रमेह में भी इसके सेवन से लाभ होता है. इसके सेवन से कमज़ोर लोगों का वज़न भी बढ़ जाता है.
अब जान लेते हैं-
अतुल शक्तिदाता योग का सेवन करते हुए क्या खाना चाहिए और क्या परहेज़ करना चाहिए?
इसका सेवन करते हुए अनार,अंगूर, सेब, घी, शक्कर, हलवा, दूध, मक्खन- मलाई, रबड़ी इत्यादि तरावट वाले और पौष्टिक भोजन करते रहना चाहिए.
परहेज़
जहाँ तक परहेज़ की बात है तो लाल मिर्च, तेल, फ्राइड फ़ूड, खटाई या आचार और स्त्री प्रसंग से परहेज़ करना होगा तभी इसका पूरा लाभ मिलेगा.
अतुल शक्तिदाता योग के साइड इफेक्ट्स
वैसे तो इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है, कुछ लोगों को आयरन, फोलिक एसिड या लौह भस्म वाली दवा सूट नहीं करती हैं, उन्हें इसे यूज़ नहीं करना चाहिए. याद रखें इसे बहुत कम मात्रा में सेवन करना होता है, इसलिए सही डोज़ में अपने बल के अनुसार या स्थानीय वैद्य जी की सलाह से ही इसका सेवन करें.
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