आपके लिए मैं आयुर्वेदिक दवाओं का सटीक विश्लेषण लेकर आते रहता हूँ और आज आयुर्वेद के एक ज़बरदस्त दवा आरोग्यवर्धिनी वटी के सम्पूर्ण जानकारी दूंगा और इसके बारे में कुछ ऐसी जानकारी भी दूंगा जिसे आपको जानना बहुत ज़रुरी है.
आरोग्यवर्धिनी वटी एक ऐसी औषधि है जो लगभग सभी बीमारियों को दूर करती है और आपको आरोग्यता प्रदान करती है. कैसे वह सब आगे बताऊंगा.
आज आप जानेंगे कि आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है?
आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक या कम्पोजीशन क्या हैं?
इसकी निर्माण विधि क्या है?
इसकी मात्रा और सेवन विधि क्या है?
इसके गुण या प्रॉपर्टीज क्या हैं?
आरोग्यवर्धिनी वटी के क्या क्या फ़ायदे हैं?
क्या आरोग्यवर्धिनी वटी का कुछ साइड इफेक्ट्स भी है ?
तो आईये इन सभी के बारे में पॉइंट तो पॉइंट पूरा डिटेल में जानते हैं-
आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है?
आरोग्य और वर्धिनी यह दो शब्दों की संधि है.
आरोग्य का मतलब होता है - स्वास्थ प्रदान करने वाला, हेल्थ देने वाला, सेहत देने वाला और वर्धिनी का मतलब होता है - बढ़ाने वाली
इस तरह से इसका अर्थ होता है स्वास्थ्य बढ़ाने वाली गोली
इसके सेवन से आपके शरीर की जो भी बीमारी हो दूर होकर शरीर स्वस्थ होता है.
इसे ही आरोग्यवर्धिनी वटक और आरोग्यवर्धिनी रस के नाम से भी जाना जाता है.
आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक या कम्पोजीशन क्या हैं? इसकी निर्माण विधि क्या है?
आरोग्यवर्धिनी वटी की मात्रा और सेवन विधि
1 से 2 गोली तक दिन में दो बार सुबह-शाम, पानी, पुनर्नवारिष्ट, पुनर्नवा क्वाथ, कुमार्यासव या त्रिफला हिम के साथ या फिर स्थानीय वैद्य जी की सलाह के अनुसार उचित अनुपान से लेना चाहिए
आरोग्यवर्धिनी वटी के गुण या प्रॉपर्टीज
आरोग्यवर्धिनी वटी के गुणों की बात करें तो यह वात-पित्त-कफ़ तीनो दोषों को बैलेंस करने वाली, दीपन-पाचन, हृदय को बल देने वाली, शरीर के स्रोतों का शोधन करने वाली, बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट, शरीर के विषाक्त तत्वों या टोक्सिंस को बाहर निकालने वाली, हार्ट की कमज़ोरी को दूर करने वाली और भूख बढ़ाने वाली है. यहाँ तासीर में न गर्म है न ठण्डी, बल्कि नार्मल होती है.
आरोग्यवर्धिनी वटी के फ़ायदे
यह लीवर, स्प्लीन, हार्ट, किडनी, लंग्स, पेट, छोटी आंत, बड़ी आंत, गर्भाशय, त्वचा इत्यादि सभी पर असर करती है, जिस से हर तरह की बीमारी दूर होती है. मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, थाइरायड, पित्ताशय की सुजन, पित्त की पत्थरी, बुखार इत्यादि रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
लीवर-स्प्लीन हेल्थ के लिए
लीवर की कोई भी समस्या हो, लीवर बढ़ गया हो, फैटी लीवर हो, जौंडिस हो, स्प्लीन बढ़ गया हो तो इसका सेवन करना चाहिए.
पेट, बड़ी आंत और छोटी आंत के लिए
पाचन की समस्या हो, भूख की कमी, अरुचि, अग्निमान्ध, छोटी-बड़ी आंत की ख़राबी हो तो यह सभी समस्या को दूर कर देती है. यह पाचन विकृति और पाचन कमज़ोरी को दूर कर देती है.
सुजन के लिए
शरीर में कहीं भी सुजन हो, किसी भी अंग की सुजन हो तो इसके सेवन से सुजन दूर होता है.
हार्ट हेल्थ के लिए
यह आपके हृदय की कमज़ोरी दूर कर हार्ट को मज़बूत बनाती है.
कब्ज़ के लिए
क़ब्ज़ या Constipation की पुरानी से पुरानी समस्या में इसके सेवन से लाभ हो जाता है. आँतों में चिपका हुआ मल, जो साधारण रेचक औषधियों से नहीं निकलता हो, उसमे भी यह असरदार है. आँतों में जमे-चिपके पुराने सूखे मल का भेदन कर यह निकाल देती है.
त्वचा विकारों या स्किन डिजीज के लिए
स्किन की कोई भी समस्या क्यूँ न हो? फोडा-फुंसी से लेकर, एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्ठव्याधि तक में इसका सेवन कराया जाता है. सभी तरह के स्किन डिजीज का मेरा अनुभूत योग 'चर्मरोगान्तक योग' जो स्किन डिजीज के लिए 'ब्रह्मास्त्र' की तरह है, इसमें भी 'आरोग्यवर्धिनी वटी' मिली होती है.
मोटापा के लिए
मोटापा की दवाओं के साथ इसे सहायक औषधि के रूप में लेना चाहिए, यह बॉडी के एक्स्ट्रा फैट को कम करती है.
तो इस तरह से आरोग्यवर्धिनी वटी एक ऐसी दवा है सभी रोगों में यूज़ कर सकते हैं, चाहे रोग किसी भी दोष की विकृति से क्यूँ न हो.
आरोग्यवर्धिनी वटी का पूरा लाभ मिले इसके लिए पुरे विधी-विधान से बेहतरीन क्वालिटी की बनी होनी चाहिए.
मैं जो यूज़ करता हूँ और यूज़ करवाता हूँ उसका दिया गया है. जिसके 60 गोली की क़ीमत सिर्फ 90 रुपया है.
मार्केट में एक कंपनी है जहाँ इस तरह दवा सस्ती मिलती है, और क्वालिटी एकदम घटिया गोबर वाली. उसका नाम मैं नहीं लूँगा.
आरोग्यवर्धिनी वटी के बारे में के राज़ की बात
इसे खरलकर या पीसकर खाने से पूरा लाभ मिलता है, पीस नहीं सकते तो चबाकर खाना चाहिए. यह बात आपको कोई नहीं बताएगा, यह अनुभव की बात है.
क्या आरोग्यवर्धिनी वटी का कुछ साइड इफेक्ट्स भी है ?
नहीं, इसे सही डोज़ में उचित अनुपान के साथ स्थानीय वैद्य जी की सलाह के अनुसार लीजिये, साइड इफ़ेक्ट क्यूँ होगा? यह कोई अंग्रेज़ी दवा थोड़े ही है जो एक तरफ़ फ़ायदा करे और दूसरी तरफ़ नुकसान
इसे कितने समय तक यूज़ कर सकते हैं?
इसे आप लगातार चार से छह महिना तक यूज़ कर सकते हैं.
होमियो, अंग्रेजी दवा और कोई हेल्थ सप्लीमेंट का सेवन करते हुए भी आप इसका यूज़ कर सकते हैं, बस दूसरी दवाओं और इसमें आधा से एक घंटा का गैप रखें.
बसन्त कुसुमाकर मतलब जैसे वसंत का मौसम आने पर कुसुम यानी फूल खिल जाते हैं ठीक उसी तरह इस दवा के इस्तेमाल से शरीर में नयी शक्ति, स्फूर्ति और उर्जा आती है और शरीर खिल उठता है.
इसे कहीं वसन्त कुसुमाकर V या 'व' ले लिखा जाता है
तो कहीं बसन्त कुसुमाकर B या 'ब' से लिखा जाता है. यह सिर्फ़ बोली का फर्क़ है, लिखने का अंतर है. इसके बारे में कभी भी कंफ्यूज़ न हों.
स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस के घटक या कम्पोजीशन
इसके कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसके मुख्य घटक होते हैं -
इसमें अडूसा स्वरस, हल्दी स्वरस, कमल पुष्प स्वरस, मालती पुष्प स्वरस, गाय का दूध, केले के स्तम्भ का रस, चन्दन फांट की प्रत्येक 7-7 भावना दी जाती है.
यह बसन्त कुसुमाकर रस का घटक और प्रोसेस है, इसी प्रोसेस से बना हुआ जेनरली मार्केट में आपको मिलता है.
पर जो स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस है उसमे इन सब के अलावा अलग से शतावर, असगंध, गोक्षुर, कौंच बीज और उटंगन बीज के क्वाथ की एक-एक भावना दी जाती है, इस तरह से यह विशेष प्रभावशाली बन जाता है. और यही है स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस या बसन्त कुसुमाकर रस विशेष
साधारण बसन्त कुसुमाकर रस का 30 गोली का पैक आपको क़रीब 1700 से 1800 में मिलता है, क्यूंकि बड़ी कम्पनी ब्रांडिंग के नाम पर आपके पैसे लूट रही है.
यह वाला स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस 60 गोली का पैक सिर्फ 950 रुपया में मिल रहा है जो ज़्यादा असरदार भी है. इसे ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक निचे दिया गया है.
स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस का डोज़ यानि की मात्रा और सेवन विधि
एक से दो गोली सुबह-शाम रोगानुसार उचित अनुपान से
अब यह भी जान लीजिये कि किस बीमारी में इसे किस अनुपान से लेना चाहिए?
मधुमेह या डायबिटीज में – एक से दो गोली कच्चे दूध में घोलकर सुबह-शाम या फिर जामुन गुठली चूर्ण, शिलाजीत इत्यादि के साथ
काम विकार और यौन रोगों में – एक से दो गोली शहद या मलाई से
वीर्य विकार, नपुँसकता इत्यादि पुरुष यौन रोगों में -
धारोष्ण दूध, शहद, मक्खन या मलाई के साथ
मस्तिष्क या ब्रेन से रिलेटेड रोगों में - आँवला मुरब्बा के साथ
रक्त प्रदर और रक्त पित्त रोग में - वासा के रस और शहद के साथ
खाँसी, अस्थमा, टी.बी. इत्यादि फेफड़े के रोगों में - चौसठ प्रहरी पीपल और शहद के साथ
एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी में - कुष्मांड अवलेह या गुलकन्द के साथ
हृदय रोगों या हार्ट की बीमारियों में - अर्जुन छाल क्वाथ के साथ
प्रमेह रोगों में - गिलोय के रस और शहद से
स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस के गुण या प्रॉपर्टीज
इसके गुणों की बात करूँ तो आयुर्वेदानुसार यह वात और पित्त दोष को बैलेंस करता है. त्रिदोष नाशक गुण भी हैं इसमें.
यह हृद्य है - यानी की हार्ट को ताक़त देता है
बल्य है - बल या शक्ति को बढ़ाता है
उत्तेजक भी है - उत्तेजना बढ़ाता है
वृष्य है - यानी कि आपके अंडकोष, वीर्य, शुक्राणु इत्यादि को पोषण देता है
बाजीकरण और रसायन गुणों से भी भरपूर है.
एन्टी एजिंग, इम्युनिटी बूस्टर, एंटी ऑक्सीडेंट जैसे गुणों से भरपूर है.
आईये अब जानते हैं
स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस के फ़ायदे
इसके फ़ायदों की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है, क्यूंकि यह आयुर्वेद की ऐसी महान दवाओं में से एक है जो बॉडी के सभी एसेंशियल organs को शक्ति देती है.
यानी की सर से पैर तक आपके लिए फ़ायदेमन्द है. ब्रेन, हार्ट, लंग्स, लीवर, किडनी, बोन्स, प्रजनन तंत्र चाहे महिला का हो या पुरुष का सभी के लिए असरदार है.
डायबिटीज और जितने भी प्रकार का प्रमेह या मेह रोग हो सभी के लिए यह अमृत समान गुणकारी है. यह डायबिटीज के लिए ही सबसे ज़्यादा पॉपुलर है.
पुरुष यौन रोग
मर्दों की बीमारी चाहे जो भी हो, मर्दाना कमज़ोरी, वीर्य विकार, नपुँसकता इत्यादि कुछ भी सभी में असरदार है.
आज का नवयुवक कम उम्र में ही ग़लत आदत का शिकार हो जाता है, क्यूंकि इस उम्र उसे पता ही नहीं होता है कि वह जो कर रहा है आगे चलकर उसका क्या असर होगा. तो ऐसे किशोरों के लिए जो अपनी जवानी बर्बाद कर चुके हों, नसें कमज़ोर कर चुके हों, अपने अंग विशेष को बेजान कर चुके हों, उनके लिए यह स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस वरदान साबित होता है.
महिला रोग
महिलाओं के यौन स्वास्थ या reproductive system की कोई भी समस्या हो, सभी में यह लाभकारी है
ब्रेन के लिए
दिमाग की कमज़ोरी, चक्कर आना, मेमोरी लॉस, नींद नहीं आना जैसी प्रॉब्लम में इसका सेवन करना चाहिए
फेफड़ों या लंग्स हेल्थ के लिए
फेफड़ों की कमज़ोरी, खांसी, अस्थमा, टी. बी. इत्यादि फेफड़े की सभी बीमारीओं में यह असरदार है
पाचन तंत्र की बीमारी
जैसे अम्लपित्त, IBS, खून की कमी, लीवर की प्रॉब्लम और नकसीर इत्यादि में असरदार है.
बुढ़ापे के लिए
कम उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण दीखते हों, या फिर बुढ़ापे में भी आप टनाटन दिखना चाहते हैं तो इसका सेवन करें और फिर चमत्कार देखें.
बसन्त कुसुमाकर रस के साइड इफेक्ट्स
इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं, क्यूंकि इसका कम्पोजीशन अपने-आप में बेजोड़ है. इसे लगातार एक से तीन महिना तक यूज़ कर सकते हैं.
अत्यधिक बढ़ी हुयी कमोतेजना में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए.
यदि आप पहले से कोई होम्यो दवा यूज़ कर रहे है तो भी इसे ले सकते हैं.
अंग्रेज़ी दवा लेते हुए भी इसका सेवन कर सकते हैं. बाद दूसरी दवाओं के बीच आधा से एक घंटा का गैप रखें.
कोई विटामिन या हेल्थ सप्लीमेंट लेते हुए भी इसका सेवन कर सकते हैं.
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है अतुल शक्तिदाता योग अर्थात अतुलनिय शक्ति देने वाला नुस्खा
अतुल शक्तिदाता योग क्या है?
अतुल शक्तिदाता योग लौह भस्म का एक स्पेशल फॉर्म है. इसे तीक्ष्ण लौह भस्म में कुछ स्पेशल चीज़ों के मिश्रण से एक बहुत ही स्पेशल विधि से इसकी पावरफुल भस्म बनाई जाती है.
आसान भाषा में कहूँ तो अतुल शक्तिदाता योग एक स्पेशल फ़ौलाद भस्म या लौह भस्म है. फ़ौलाद बुरादा, सफ़ेद संखिया, घृतकुमारी, भीमसेनी कपूर, आँवलासार गन्धक और बीर बहूटी इत्यादि के मिश्रण से इसे बनाया जाता है.
अतुल शक्तिदाता योग निर्माण विधि
शुद्ध किया हुआ असली फ़ौलाद बुरादा 200 ग्राम, सफ़ेद संखिया 10 ग्राम, भीमसेनी कपूर डेढ़ ग्राम सबको मिलाकर घृतकुमारी के रस में 12 घन्टे खरलकर छोटी-छोटी टिकिया बनाकर सुखाकर मिटटी के बर्तन में डालकर कपड़मिट्टी कर पाँच किलो कंडों की अग्नि में फूक दें. ठण्डी होने के बाद भस्म को निकाल कर इसमें 10 ग्राम हरताल और डेढ़ ग्राम भीमसेनी कपूर मिलाकर फिर से घृतकुमारी के रस में घोटकर छोटी-छोटी टिकिया बनाकर सुखाकर सराब सम्पुट में रखकर गजपुट की अग्नि दें.
इसके बाद फिर से निकालकर तीसरी बार में 10 ग्राम आँवलासार गंधक और डेढ़ ग्राम भीमसेनी कपूर मिलाकर उसी तरह से गजपुट की अग्नि दें.
अब चौथी बार इसमें 10 ग्राम शुद्ध पारा और डेढ़ ग्राम भीमसेनी कपूर मिलाकर घृतकुमारी में घोटकर टिकिया बना सुखाकर गजपुट की अग्नि दें. इसी तरह से उपरोक्त दवाओं के साथ पुनः उपरोक्त क्रम से प्रत्येक की 3-3 पुट अग्नि देने से टोटल 16 पुट हो जायेगा.
इसके बाद इस मिश्रण को लोहे की कड़ाही में डालकर समान मात्रा में बीर बहूटी मिलाकर मन्द आंच में जलाएं, जब बीर बहूटी जल जाये तब लोहे के तवे से ढँक कर तीन घंटे तक खूब तेज़ अग्नि दें. इसके बाद ठंडा होने पर भस्म को निकालकर पीसकर रख लें. बस यही अतुल शक्तिदाता योग है.
इसके 5 ग्राम के पैक की क़ीमत है सिर्फ़ 186 रुपया, इसे ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक निचे दिया गया है.
इसकी मूल मात्रा चार चावल से 1 रत्ती बताई गयी है. यानी कि 30 mg से 125 mg तक. बहुत ही कम मात्रा में इसे लेना होता है. मेडियम डोज़ में लेना है तो इसके एक पैक से 80 ख़ुराक बन जायेगा, 40 दिन का डोज़. इसे किसी चूर्ण में मिलाकर ले सकते हैं. इसे मक्खन या मलाई में मिलाकर ऊपर से मिश्री मिला गर्म दूध पीना चाहिए. इसे लगातार दो से तीन महिना तक यूज़ कर सकते हैं.
अतुल शक्तिदाता योग के फ़ायदे
सामान्य कमज़ोरी से लेकर मर्दाना कमजोरी तक दूर करने में यह बेजोड़ है.
इसके इस्तेमाल से शरीर में नया खून बनता है. 21 दिनों तक खाने से चेहरा लाल सुर्ख हो जाता है बिल्कुल सेब की तरह.
यह अत्यन्त कामोद्दीपक है, यौनेक्षा को बढ़ा देता है, जगा देता है. लगातार चालीस दिनों तक सेवन करने से बेजोड़ लाभ हो जाता है.
खून की कमी, जौंडिस और लीवर बढ़ जाने, या लीवर की बीमारियों में लाभकारी है.
मूत्रमेह, प्रमेह में भी इसके सेवन से लाभ होता है. इसके सेवन से कमज़ोर लोगों का वज़न भी बढ़ जाता है.
अब जान लेते हैं-
अतुल शक्तिदाता योग का सेवन करते हुए क्या खाना चाहिए और क्या परहेज़ करना चाहिए?
इसका सेवन करते हुए अनार,अंगूर, सेब, घी, शक्कर, हलवा, दूध, मक्खन- मलाई, रबड़ी इत्यादि तरावट वाले और पौष्टिक भोजन करते रहना चाहिए.
परहेज़
जहाँ तक परहेज़ की बात है तो लाल मिर्च, तेल, फ्राइड फ़ूड, खटाई या आचार और स्त्री प्रसंग से परहेज़ करना होगा तभी इसका पूरा लाभ मिलेगा.
अतुल शक्तिदाता योग के साइड इफेक्ट्स
वैसे तो इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है, कुछ लोगों को आयरन, फोलिक एसिड या लौह भस्म वाली दवा सूट नहीं करती हैं, उन्हें इसे यूज़ नहीं करना चाहिए. याद रखें इसे बहुत कम मात्रा में सेवन करना होता है, इसलिए सही डोज़ में अपने बल के अनुसार या स्थानीय वैद्य जी की सलाह से ही इसका सेवन करें.
यह एक ऐसी रसायन औषधि है जो कामोत्तेजना बढ़ाती है, बल, वीर्य और शक्ति बढ़ाती है और उत्तम बाजीकरण है. धात गिरना, वीर्य-विकार, स्पर्म की कमी से लेकर शीघ्रपतन और नपुंसकता यानि कि Impotency तक में असरदार है. यह महिला-पुरुष दोनों के इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करती है.
सबसे पहले जानते हैं पुष्पधन्वा रस का घटक या कम्पोजीशन
इसमें रस सिन्दूर, नाग भस्म, वंग भस्म, लौह भस्म, अभ्रक भस्म जैसी दवाओं में धतुरा, विजया, शाल्मली, नागबेल और मुलेठी की भावना देकर बनाया जाता है
कई सारे पावरफुल भस्मों और जड़ी-बूटियों के रस की भावना से यह दवा शक्तिशाली बन जाती है. आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली का यह योग है.
इसमें मिलाई जाने वाली चीजों के गुणों के बारे में संक्षिप्त में अगर बताऊँ तो -
रस सिन्दूर-
बलवर्द्धक, उत्तेजक और योगवाही है
नाग भस्म -
स्तम्भन का काम करता है और प्रमेह नाशक है
अभ्रक भस्म-
धातुओं की पुष्टि करने वाला, योगवाही रसायन है, मानसिक स्वास्थ को सही करता है
बंग भस्म-
बल वर्द्धक, प्रमेह नाशक, वृष्य और स्तंभक है
लौह भस्म-
खून बढ़ाने वाला और बल बढ़ाने वाला होता है
और इसमें जिन जड़ी-बूटियों की भावना दी गयी है उनमे सेमल - वीर्य बढ़ाने वाला, स्तम्भक है. नागबेल- उत्तेजक, बल्य है. मुलेठी रसायन है जबकि धतुरा- दर्दनाशक होता है.
तो इस तरह से सभी के गुणों को जमा कर दिया जाये तो यह वीर्य बढ़ाने वाली, स्पर्म काउंट बढ़ाने वाली, शक्ति बढ़ाने वाली, पॉवर-स्टैमिना, सेक्स पॉवर बढ़ाने वाली एक उत्तम रसायन औषधि है.
पुष्पधन्वा रस की मात्रा और सेवन विधि
एक से दो गोली सुबह-शाम शहद, मक्खन-मिश्री, या उबले हुए गर्म दूध से लेना चाहिए.
ज़्यादा सम्भोग करने से हुयी कमज़ोरी, वीर्य का पतलापन, धात की समस्या हो, स्पर्म काउंट की कमी हो गयी हो इसका सेवन करना चाहिए.
यह नसों की कमज़ोरी को दूर करता है, उनमे मज़बूती लाता है और धारण शक्ति बढ़ाता है. पॉवर-स्टैमिना, लिबिडो बढ़ाने वाली सुपर मेडिसिन है.
वीर्य नाश की वजह से हुयी नपुँसकता की यह अव्यर्थ औषधि है, ऐसा ग्रन्थ में कहा गया है. यह आपके अंग विशेष में ब्लड फ्लो बढाकर उसको शक्तिशाली कारगर बनाता है.
किसी शोक, दुर्घटना या मानसिक समस्या से जिनकी यौनेक्षा नहीं हो, रूचि नहीं हो उनके लिए भी असरदार है. क्यूंकि यह मेल हार्मोन Testosterones को बढ़ाता है.
महिलाओं के गर्भाशय सम्बन्धी विकारों से होने वाली फीमेल इनफर्टिलिटी में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
नींद नहीं आना, यादाश्त की कमी, कमजोरी, खून की कमी को दूर करने में असरदार है.
पुष्पधन्वा रस के साइड इफेक्ट्स
यह एक सुरक्षित औषधि है, इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता है. सही मात्रा में और सही समय तक इसका यूज़ करना चाहिए अपने नज़दीकी वैद्य जी की सलाह के अनुसार.
अंग्रेज़ी दवा और होमिओ दवा का सेवन करते हुए भी इसका यूज़ कर सकते हैं. बस दूसरी दवाओं में आधा से एक घंटा का गैप रखें.
ठण्ड का मौसम आ गया है और अभी यानी नवम्बर-दिसम्बर से लेकर फरवरी मार्च तक मकरध्वज सेवन करने का सबसे बेस्ट समय है.
जी हाँ दोस्तों, आज मैं मकरध्वज के बारे में कुछ कमाल की जानकारी देने वाला हूँ.
मकरध्वज आयुर्वेद की एक ऐसी पॉपुलर दवा है जिसके बारे में सभी लोग कुछ न कुछ जानते ही हैं.
मकरध्वज अपने आप में एक बेजोड़ औषधि है जिसे बड़े-बड़े डॉक्टर भी मान चुके हैं. सिद्ध मकरध्वज टॉप क्लास का होता है और इसी के बारे में आज विशेष चर्चा करूँगा.
सिद्ध मकरध्वज पारा गंधक और स्वर्ण का विशेष योग है. यह त्रिदोष नाशक होता है, यानी इसके सेवन से सभी तरह के रोग दूर होते हैं. बस शर्त यह है कि रोगानुसार उचित अनुपान के साथ इसका सेवन किया जाये.
सिद्ध मकरध्वज के सेवन से ताक़त बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है. वैसे तो यह पुरे शरीर के लिए लाभकारी है पर हार्ट, ब्रेन और नर्वस सिस्टम पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है. बच्चे, बड़े, बूढ़े, जवान, महिला और पुरुष सभी के लिए यह फ़ायदेमंद है.
अनुपान भेद से इसे अनेकों रोगों में प्रयोग किया जाता है. किस बीमारी में इसे किस चीज़ के साथ लेना है, आगे सब बताऊंगा. पर उस से पहले ठण्ड के इस मौसम में इसका प्रयोग जान लिजिए-
चूँकि इंडिया में अभी जाड़े का मौसम आ गया है, कई लोगों को ठण्ड बहुत ज़्यादा महसूस होती है उनके लिए सिद्ध मकरध्वज बड़े काम की चीज़ है.
तो भईया, अगर आपको ठण्ड ज़्यादा लगती है और गर्म कपड़ों से दबे रहते हैं तो अभी से सिद्ध मकरध्वज का विधि पूर्वक सेवन शुरू कीजिये और फिर देखिये इसका चमत्कार.
ठण्ड को दूर करने के लिए मकरध्वज का मैं प्रत्यक्ष अनुभव कर देख चूका हूँ. आप भी एक बार ट्राई ज़रूर कीजिये. सिद्ध मकरध्वज ओरिजिनल होना चाहिय तभी पूरा लाभ मिलेगा.
ओरिजिनल सिद्ध मकरध्वज का लिंक दे रहा हूँ, जहाँ से आप ऑनलाइन आर्डर कर सकते हैं.
मकरध्वज को एक विशेष विधि से सेवन करने का विधान है. सही विधि से सेवन करने पर ही इसके सारे गुणों की प्राप्ति होती है.
तो अब सवाल यह उठता है कि इसके सेवन की सही विधि क्या है?
सिद्ध मकरध्वज को शहद के साथ अच्छी तरह से खरल कर सेवन से इसका पूरा लाभ मिलता है. जैसा कि शास्त्रों में भी कहा गया है - 'मर्दनम गुणवर्धनम'
अथार्त- मर्दन करने से इसके गुणों में वृद्धि हो जाती है. जितना पॉसिबल हो इसे शहद के साथ खरल या पेश्टर में डालकर मर्दन कर ही यूज़ करना चाहिए.
125 mg से 375 mg तक आयु के अनुसार इसकी मात्रा लेकर एक स्पून शहद के साथ दस से 15 मिनट तक खरल कर रोज़ दो से तीन बार तक इसका सेवन करें और फिर चमत्कार देखें. अगर किसी ख़ास बीमारी के लिए इसे लेना है तो उस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवा के साथ इसे मिक्स कर लेना चाहिए.
सिद्ध मकरध्वज के गुण या प्रॉपर्टीज
अगर मैं कहूँ कि सिद्ध मकरध्वज गुणों की खान है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. मकरध्वज के जैसी दवा दुनिया की किसी भी पैथी में नहीं है. यह मरणासन्न रोगी को भी बचा देती है.
आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष नाशक है जिस से यह हर तरह की बीमारी में लाभकारी है.
सिद्ध मकरध्वज के फ़ायदे
इसके फ़ायदों की बात करें तो यह ताक़त बढ़ाने वाली बेजोड़ दवा है. यह हार्ट और नर्वस सिस्टम को ताक़त देती है. खून की कमी और कमज़ोरी दूर कर वज़न बढ़ाती है.
शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन,नपुँसकता और वीर्य विकारों के लिए बेजोड़ है. न्युमोनिया, खांसी, दमा, टी. बी., हृदय रोग, हर तरह की बुखार, हर तरह की कमज़ोरी, चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ना इत्यादि अनेकों रोगों में इसका प्रयोग करना चाहिए.
यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. बहुत सारे लोग ठण्ड के मौसम में इसका सेवन कर पुरे साल उर्जावान बने रहते हैं. अभी का मौसम इसके इस्तेमाल के लिए सबसे बेस्ट है.
हाल के दिनों में कई लोगों की मौत हो रही है अचानक से हार्ट फ़ेल होने से, जिनमे अधिकतर संख्या कोरोना वैक्सीन लिए हुए लोगों की है,ऐसा लोगों का कहना है. आपने भी ख़बरों में ऐसा सुना होगा. मकरध्वज के सेवन से हार्ट फ़ेल नहीं होता है और हार्ट फ़ेल होने से यह बचाव करती है.
चूँकि सिद्ध मकरध्वज योगवाही भी है, मतलब जिस किसी भी दवा के साथ मिक्स कर यूज़ करेंगे यह उसके गुणों को बढ़ा देता है. अनुपान भेद से यह अनेकों रोगों में प्रयोग किया जाता है.
तो आईये यह भी जान लेते हैं कि किस बीमारी में इसे किस चीज़ के साथ सेवन करना चाहिएय -
सर्दी खाँसी में - पान के रस, अदरक के रस, मुलेठी चूर्ण, पीपल चूर्ण के साथ इसे लेना चाहिए
साधारण बुखार में - पीपल और अदरक के रस के साथ
मलेरिया में - करंज बीज या सुदर्शन चूर्ण के साथ
टाइफाइड में - मोती पिष्टी के साथ
जीर्ण ज्वर या पुरानी बुखार में - पीपल चूर्ण के साथ
कब्ज़ में - त्रिफला चूर्ण या त्रिफला क्वाथ के साथ
एसिडिटी में - आँवला चूर्ण या गिलोय सत्व के साथ
आँव वाले दस्त में - बेलगिरी चूर्ण या आमपाचक चूर्ण के साथ
बवासीर में - सुरण चूर्ण या कंकायण वटी के साथ
संग्रहणी या आई बी एस में - भुने हुवे जीरा के चूर्ण, शहद और छाछ के साथ
हृदय रोगों में - मोती पिष्टी और अर्जुन की छाल के चूर्ण के साथ
पागलपन में - सर्पगंधा चूर्ण के साथ
मृगी में - बच के चूर्ण के साथ
गैस में - भुनी हींग के साथ
पथरी में - गोक्षुर और कुल्थी के क्वाथ के साथ
धात रोग में - गिलोय के रस के साथ
स्वप्नदोष में - कबाब चीनी चूर्ण के साथ
शीघ्रपतन में - कौंच बीज चूर्ण, बाजीकरण चूर्ण या दिर्घायु चूर्ण के साथ
डायबिटीज में - गुडमार और जामुन गुठली चूर्ण के साथ
एनीमिया या खून की कमी में - लौह भस्म के साथ
ल्यूकोरिया में - तण्डूलोदक के साथ
मकरध्वज के साइड इफेक्ट्स
जेनेरली इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. बस किडनी के रोगियों को लम्बे समय तक इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए. और रोगानुसार उचित अनुपान से ही इसका सेवन करना चाहिए. किसी रोग विशेष के लिए लेना है तो स्थानीय वैद्य जी की सलाह से ही सेवन करना चाहिए.
होम्योपैथिक दवा लेते हुए भी इसका सेवन कर सकते हैं. विटामिन्स और हेल्थ सप्लीमेंट का सेवन करते हुए भी इसका यूज़ कर सकते हैं.
अगर आपकी कोई अंग्रेज़ी दवा चलती है तो इसका सेवन अपने डॉक्टर की सलाह से ही करें.