योगराज गुग्गुल को आप जानते ही हैं, यह आयुर्वेद की बहुत ही प्रसिद्ध दवाओं में से एक है. आज मैं योगराज गुगुल के बारे में कुछ ऐसे सीक्रेट और ऐसे-ऐसे यूज़ बताने वाला हूँ जिसके अक्सर वैद्यगण छुपाते हैं. तो आईये जानते हैं कि योगराज गुग्गुल क्या है? इसका कम्पोजीशन, इसे बनाने का तरीका और गुण उपयोग के बारे में सबकुछ विस्तार से -
योगराज गुग्गुल
मतलब योगो का राजा, या दुसरे शब्दों में कहूँ तो King of the Ayurvedic Medicine
यह वाकई में किंग है राजा है, बहुत सारी बीमारीओं में आँख मूँद कर यूज़ कर सकते हैं. और लम्बे समय तक भी यूज़ कर सकते हैं, छह महिना से दो-चार साल तक लगातार यूज़ करने से भी कोई प्रॉब्लम नहीं होती बल्कि रोग समूल नष्ट होते हैं.
सबसे जानते हैं योगराज गुग्गुल के घटक या कम्पोजीशन -
इसे टोटल 28 तरह की चीज़ें मिलाकर बनाया जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है-
चित्रकमूल, पीपरामूल, अजवायन, काला जीरा, विडंग, अजमोद, सफ़ेद जीरा, देवदार, चव्य, छोटी इलायची, सेंधा नमक, कूठ, रास्ना, गोखरू, धनियाँ, हर्रे, बहेड़ा, आँवला, नागरमोथा, सोंठ, मिर्च, पीपल, दालचीनी, खस, यवक्षार, तालीसपत्र और तेजपत्र प्रत्येक एक-एक तोला या 10 ग्राम. त्रिफला और गिलोय क्वाथ से शुद्ध किया हुआ शोधित गुग्गुल 270 ग्राम और थोड़ी मात्रा में देशी गाय का घी.
योगराज गुग्गुल निर्माण विधि-
सभी जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण बना लें, इसके बाद शोधित गुग्गुल में चूर्ण मिलाकर इमामदस्ते में डालकर चिपके नहीं इसके लिए थोड़ा-थोड़ा घी मिक्स करते हुए इतना कुटाई करें की गोली बनाने योग्य हो जाये. इसके बाद 500mg की इसकी गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही योगराज गुग्गुल है. पुरे विधि विधान से सही तरीके से शुद्ध किये गए गुग्गुल में प्रोसेस होने से इसकी गोलियां बिल्कुल काले रंग की और सोन्धी खुशबु वाली बनती हैं, जो की असरदार होती हैं. सस्ता बेचने के चक्कर में कुछ कम्पनी सही विधि से नहीं बनाती है और सही रिजल्ट भी नहीं मिलता.
योगराज गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि -
दो से छह गोली रोज़ दो-तीन बार तक आप इसे ले सकते हैं, उचित अनुपान के साथ. बच्चों को कम डोज़ में लेना चाहिए, इसे बच्चे, बड़े,बूढ़े सभी लोग यूज़ कर सकते हैं.
योगराज गुग्गुल के गुण या प्रॉपर्टीज
यह वात नाशक है, वातरोग के लिए इसे सभी लोग जानते हैं. पर असल में यह सभी तरह के रोगों को दूर करता है, क्यूंकि यह त्रिदोष नाशक है. विशेस रूप से वात और आम दोष को नष्ट करता है.
योगवाही है यानी जिस भी दवा के साथ यूज़ करेंगे यह उसकी पॉवर को बढ़ा देता है. रसायन है और धातुओं का पोषण करता है.
योगराज गुग्गुल के फ़ायदे
अगर मैं सीधे तौर पर और आसान भाषा कहूँ तो आपको कोई भी रोग क्यूँ न हो, आप इसका सेवन कर सकते हैं.
इसे हर घर में होना चाहिए, घरेलु दवा के तरह आप इसे यूज़ कर सकते हैं. कहाँ, कब और कैसे इसे यूज़ कर सकते हैं यही सब आगे बताने वाला हूँ -
जोड़ों का दर्द, गठिया, आमवात, कमर दर्द जैसे रोगों के लिए इसे सभी लोग यूज़ करते हैं.
आपको अगर बदन दर्द हो जाये, मसल्स में दर्द हो जाये, थकावट हो जाये तो भी इसे गर्म पानी से ले सकते हैं.
कहीं पर इन्फ्लामेशन हो जाये, सुजन हो जाये तो योगराज गुग्गुल को गर्म पानी से लिजिए.
सर्दी-जुकाम, हो जाये, गला ख़राब हो जाये, ठण्ड लग जाये तो भी योगराज गुग्गुल का सेवन कर सकते हैं.
पेट में गैस बनती हो, गोला बनता हो तो योगराज गुग्गुल का इस्तेमाल किजिए
खाँसी हो तो भी इसे यूज़ करना चाहिए, यह अंग्रेज़ी एन्टी बायोटिक की तरह काम करती है वह भी बिना साइड इफ़ेक्ट के.
महिला पुरुष के Reproductive सिस्टम की कोई भी प्रॉब्लम हो तो इसे यूज़ कर सकते हैं. महिलाओं के पीरियड की प्रॉब्लम, पुरुषों के स्पर्म काउंट की प्रॉब्लम सभी में इसे यूज़ कर सकते हैं. किसी भी कारन से महिलाओं को बाँझपन हो तो उसमे भी यह असरदार है.
क़ब्ज़ या Constipation की समस्या हो तो यूज़ कर सकते हैं.
बवासीर, भगंदर में भी इसे यूज़ करना चाहिए.
पेट के कीड़ों को भी योगराज गुग्गुल दूर करता है.
यह बॉडी से टोक्सिंस या विषैले तत्वों को दूर करता है और शरीर को उचित पोषण भी देता है.
योगराज गुग्गुल बॉडी के एक्स्ट्रा फैट को दूर करता है, मोटापा में इसे अवश्य यूज़ करना चाहिए.
यह आपके मेटाबोलिज्म को सही करता है, इम्युनिटी को बढ़ाता है.
अगर आपके एरिया में वायरल फ्लू, वायरल बुखार चल रहा है तो इस से बचने के लिए भी योगराज गुग्गुल को गुनगुने पानी से यूज़ कर सकते हैं.
ब्रेन के लिए भी अच्छा है, यह ब्रेन के टिशुज़ को ताक़त देता है, नर्व को ताक़त देता है, मेमोरी पॉवर भी दुरुस्त करता है. इसे एक अच्छा Nervine टॉनिक भी कह सकते हैं.
दमा या अस्थमा के रोगियों को भी योगराज गुग्गुल का सेवन करना चाहिए.
बहुमूत्र या बार-बार पेशाब आने की समस्या में भी असरदार है.
यह रस-रक्तादि सभी धातुओं को पुष्टि करता है और शरीर में जमे हुए सभी दोषों को दूर कर देता है.
अब आप समझ गए होंगे कि यह कितने काम की दवा है, ऐसे ही नहीं इसे योगराज यानी योगों का राजा कहा गया है.
किसी भी रोग में, कोई भी बीमारी क्यूँ न हो आप इसे यूज़ कर सकते हैं उचित अनुपान से.
उचित अनुपान क्या है?
उचित अनुपान वह औषधि है जो उस रोग को दूर करने में सहायता करती है. जैसे पित्त विकारों में गिलोय, धनियाँ का काढ़ा, एलो वेरा जूस के साथ. कफ के रोगों में अदरक का रस, तुलसी क्वाथ के साथ. इसी तरह से वात रोगों में लेना है तो दशमूल क्वाथ, रास्ना क्वाथ के साथ.
योगराज गुग्गुल के साइड इफ़ेक्ट
इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है, मैंने एक साल तक रेगुलर लोगों को खिलाकर देखा है, कोई प्रॉब्लम नहीं होती है. इसे दो चार साल तक भी यूज़ कर सकते हैं. पित्त प्रकृति और बहुत गर्म तासीर के लोगों को इसे गिलोय के रस, धनियाँ क्वाथ, एलो वेरा जूस, दूध या अमृतारिष्ट इत्यादि के साथ लेना चाहिए.
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