जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह घृत या घी से बनी हुयी औषधि है जिसे मुख्य रूप से स्नेहकर्म के लिए प्रयोग किया जाता है.
इन्दुकान्त घृत के घटक
पूति करंज छाल 100 ग्राम, देवदार 100 ग्राम, दशमूल 100 ग्राम, गाय का दूध 1200 मिली लीटर और गाय का घी 1200 ग्राम, साथ में प्रक्षेप द्रव्य के रूप में पिप्पली, चव्य, चित्रक, सोंठ, पीपरामूल और सेंधा नमक प्रत्येक 200 ग्राम लेना होता है.
इन्दुकान्त घृत निर्माण विधि
घृत पाक निर्माण विधि के अनुसार सभी क्वाथ द्रव्य को मोटा-मोटा कूटकर 20 लीटर पानी में क्वाथ बनाया जाता है, जब 5 लीटर पानी शेष बचता है तो इसे छानकर घी, गाय का दूध और प्रक्षेप द्रव्य का कल्क मिलाकर घृत सिद्ध कर फिर से छानकर रख लिया जाता है. यही इन्दुकान्त घृत और इन्दुकान्त घृतम के नाम से जानी जाती है.
इन्दुकान्त घृत की मात्रा और सेवन विधि
आधा से एक चम्मच भोजन से पहले दो से तीन बार. इसकी सेवन विधि और आवश्यक मात्रा रोगी के अनुसार ही निर्धारित की जाती है पंचकर्मा और स्नेहन कर्म इत्यादि के लिए
इन्दुकान्त घृत के फ़ायदे
यह पेट दर्द, पेप्टिक अलसर, जीर्ण ज्वर, कमज़ोरी, थकान और पेट के रोगों में प्रयोग की जाती है.
पेप्टिक अल्सर में वैद्यगण इसे कल्प विधान से भी प्रयोग कराते हैं.
इसे स्थानीय वैद्य जी की सलाह से देख रेख में ही यूज़ करना चाहिए.
इसे आप अमेज़न से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं, जिसका लिंक निचे दिया गया है -
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