आज की जानकारी है आयुर्वेदिक है फलारिष्ट के बारे में. यह मलेरिया, जौंडिस, पाचन की कमजोरी, बवासीर, हृदय रोग, कब्ज़, ग्रहणी और खून की कमी इत्यादि रोगों में प्रयोग की जाती है.
तो आईये जानते हैं फलारिष्ट का कम्पोजीशन, गुण-उपयोग और फ़ायदों के बारे में सबकुछ विस्तार से -
सबसे पहले जानते हैं फलारिष्ट के घटक या कम्पोजीशन
यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ 'चरक संहिता' का योग है
इसे बनाने के लिए चाहिए होता है बड़ी हर्रे और आँवला प्रत्येक 64 तोला, इन्द्रायण के फल, कैथ का गूदा, पाठा और चित्रकमूल प्रत्येक 8-8 तोला लेकर मोटा-मोटा कूटकर 25 लीटर पानी में क्वाथ बनायें, जब 6 लीटर काढ़ा बचे तो ठण्डा होने पर छानकर उसमे 5 किलो गुड़ और 8 तोला धाय के फूल मिलाकर चिकने बर्तन में 15 दिन के लिए सन्धान क्रिया के लिय रख दिया जाता है. इसके बाद छानकर बोतलों में भर लिया जाता है. यही फलारिष्ट कहलाता है.
फलारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि
15 से 30 ML तक भोजन के बाद समान भाग जल मिलाकर लेना चाहिए
फलारिष्ट के गुण
यह दीपन-पाचन, बलवर्द्धक और पुष्टिकारक है.
फलारिष्ट के फ़ायदे
मूल ग्रन्थ के अनुसार इसके सेवन से ग्रहणी, अर्श, पांडू, प्लीहा, कामला, विषम ज्वर, वायु तथा मल-मूत्र का अवरोध, अग्निमान्ध, खाँसी, गुल्म और उदावर्त जैसे रोगों को नष्ट करता है और जठराग्नि को प्रदीप्त करता है.
आसान शब्दों में कहा जाये तो इसके सेवन से क़ब्ज़ दूर होती है और बवासीर में लाभ होता है.
इसके सेवन से पेशाब साफ़ होता है, पेशाब खुलकर होता है इसके मूत्रल गुणों के कारन.
पाचन शक्ति को ठीक करता है, भूख लगती है और इसके सेवन से हाजमा दुरुस्त हो जाता है.
स्प्लीन का बढ़ जाना, जौंडिस, पीलिया, कामला इत्यादि में लाभकारी है.
धड़कन, घबराहट, दिल की कमज़ोरी जैसे हार्ट की प्रॉब्लम में भी फ़ायदा होता है.
क्या आपके घर में एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाया जाता है?
क्या आप एल्युमीनियम या फाइबर के बर्तन में भोजन करते हैं?
यदि हाँ तो आज की जानकारी आप सभी के लिए बहुत ज़रूरी है, क्यूंकि आज मैं बात करने वाला हूँ कि किस चीज़ के बर्तन में भोजन करने या फिर खाना पकाने से क्या-क्या नुकसान और फ़ायदे हैं. तो आइये सबकुछ विस्तार से जानते हैं -
बर्तनों का हमारे जीवन में बड़ा महत्त्व है, इसके बिना जीवन की कल्पना बड़ी ही मुश्किल है.
धातु की बर्तनों के इस्तेमाल से होने वाले फ़ायदे और नुकसान की बात करूँगा पर उस से पहले प्लास्टिक और फाइबर के बर्तन के बारे में जानते हैं.
प्लास्टिक आज हमारे जीवन में हमारी लाइफ स्टाइल में इस क़दर शामिल हो गया है कि इस से छुटकारा पाना असम्भव तो नहीं पर मुश्किल ज़रूर है.
चाय के कप से लेकर टिफ़िन बॉक्स तक हर जगह प्लास्टिक हमारे जीवन इतना घुसा हुआ है कि अब तो खून में भी प्लास्टिक के पार्टिकल्स पाए जा रहे हैं. मॉडर्न रिसर्च से ब्लड टेस्ट में यह साबित हो चूका है, क्यूंकि जाने-अनजाने में हम प्लास्टिक भी खा रहे हैं.
प्लास्टिक और फाइबर के किसी भी तरह के बर्तन में भोजन करने से कैंसर जैसे मारक रोग होते हैं, यह किसी से छुपा नहीं है.
पहले के समय में हमारे घरों में सिर्फ लोहा, पीतल, ताम्बा के बर्तन ही यूज़ होते थे. मिट्टी के बर्तन तो प्राचीन काल से प्रयोग होते रहे हैं. इनके बाद आया एल्युमीनियम, इसके बाद स्टेनलेस स्टील और अब प्लाटिक फाइबर वाला युग है. आईये जानते हैं कि किस बर्तन में भोजन करने या पकाने से क्या फ़ायदे और क्या नुकसान हैं-
मिट्टी के बर्तन
मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं जिस से बीमारी दूर रहती है. मॉडर्न साइंस से भी यह साबित हो गया है कि मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने और खाने से कई सारी बीमारियाँ दूर होती है. आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करने का निर्देश है क्यूंकि इसमें बने भोजन के पोषक तत्व शत प्रतिशत सुरक्षित रहते हैं और इसमें बने भोजन का स्वाद भी अच्छा होता है. कुल्हड़ की चाय और डिस्पोजेबल प्लास्टिक के कप की चाय के स्वाद का अन्तर तो आप बहुत अच्छे से जानते हैं. मिट्टी के बर्तन में आपको फ़ायदा और स्वाद दोनों मिलेगा. नुकसान जीरो, मतलब कोई भी नुकसान नहीं.
लोहे के बर्तन
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है और शरीर से लोहा या आयरन की कमी नहीं होने पाती है. खून की कमी, जौंडिस, सुजन और शरीर का पीलापन इत्यादि रोग दूर होते हैं.
ध्यान रहे, लोहे के बर्तन में खाना पकाने से यह लाभ होते हैं. लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्यूंकि कहा गया है कि लोहे के बर्तन में खाना खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है.
पीतल के बर्तन
पीतल के बर्तनों में भोजन पकाने या भोजन करने से कृमि रोग, वात और कफ़ दोष की बीमारियाँ नहीं होती हैं. पीतल के बर्तन में बने भोजन के सिर्फ़ 7 प्रतिशत पोषक तत्व ही नष्ट होते हैं.
तांबा के बर्तन
तांबे के बर्तन में रखा पानी स्वास्थ के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में पानी पीने से रक्त शुद्ध होता है, यादाश्त बढ़ती है, लिवर हेल्दी रहता है और शरीर से विषैले तत्व दूर होते हैं, यानी बॉडी से Toxins को दूर करता है. ध्यान रहे, तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए, इस से नुकसान होता है.
काँसा के बर्तन
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज़ होती है, रक्त शुद्ध होता है, भूख बढती है और रक्तपित्त दूर होता है. काँसे के बर्तन में भोजन पकाने से सिर्फ 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं.
ध्यान रहे, काँसे के बर्तन में खट्टी चीज़ें नहीं परोसनी चाहिए, इस धातु से खट्टी चीजें रिएक्शन कर विषैली हो जाती हैं जिस से नुकसान होता है.
स्टील के बर्तन
स्टेनलेस स्टील के बर्तन जिसे आम बोलचाल में स्टील का बर्तन कहा जाता है. इसमें भोजन पकाने या खाने से किसी भी तरह की कोई क्रिया-प्रतिक्रिया नहीं होती है. इसलिए स्टील के बर्तन में पकाने या खाने से किसी भी तरह का कोई फ़ायदा या कोई नुकसान नहीं होता है.
सोना के बर्तन
सोने के बर्तन में भोजन पकाने या भोजन करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, मज़बूत और ताक़तवर बनते हैं और आँखों की रौशनी बढ़ती है. सोना एक गर्म तासीर वाला धातु है,इसलिए राजा लोग सोने के बर्तन में खाया करते थे.
चाँदी के बर्तन
जैसा कि आप जानते हैं चाँदी एक ठंडी तासीर की धातु है जो शरीर को अन्दर से ठण्डक पहुँचाती है. चाँदी के बर्तन में भोजन पकाने या भोजन करने से दिमाग तेज़ होता है, आँखों की रौशनी बढती है, दिमाग कूल रहता है, पित्त, कफ़ और वात यानी तीनो दोष नियंत्रित रहते हैं.
जैसा कि आप जानते हैं बोक्स़ाइट नामक खनिज से एल्युमीनियम बनता है. एल्युमीनियम के बर्तन में खाना बनाने या खाने से शरीर को सिर्फ और सिर्फ नुकसान होता है. यह शरीर से आयरन और कैल्शियम को सोख लेता है. एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाने या खाने से हड्डी कमज़ोर होती है, मानसिक रोग होते हैं, नर्वस सिस्टम को नुकसान होता है, लिवर की बीमारी, किडनी फ़ेल होना, टी.बी., अस्थमा, जोड़ों का दर्द, शुगर जैसी अनेकों बीमारी होती है.
एल्युमीनियम के बने प्रेशर कुकर में खाना बनाने से 87 प्रतिशत तक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. तो आप समझ सकते हैं कि एल्युमीनियम के बर्तन हमारे स्वास्थ के लिए कितना ख़तरनाक हैं.
एक पते की बात - प्रेशर कुकर में दाल गलती है, दाल पकती नहीं!
अब आप कहेंगे कि कौन सा बर्तन यूज़ करें?
खाने पीने के लिए आप स्टील का बर्तन यूज़ कीजिये, पकाने में भी, क्यूंकि यह चीप है, सर्वसुलभ भी है. काँच का बर्तन या फिर चीनी मिट्टी के बर्तन भी आप खाने पीने के लिए यूज़ कर सकते हैं.
पकाने के लिए बेस्ट क्या है, वह तो मैं बता ही चूका हूँ. पर अब आपको बताना है कि कौन सा बर्तन आपके घर में यूज़ होता है? कमेंट ज़रूर कीजियेगा.
चक्षुष्य कैप्सूल आँखों की हर तरह की बीमारियों में असरदार है, तो आईये जानते चक्षुष्य कैप्सूल के गुण, उपयोग के बारे में सबकुछ विस्तार से -
चक्षुष्य कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो यह बना होता है त्रिफला घनसत्व, मुलेठी घनसत्व और सप्तामृत लौह के मिश्रण से
इसमें मिली हुयी सभी औषधि उच्च गुणवत्ता वाली होती है. सप्तामृत लौह के बारे में डिटेल्स पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये.
त्रिफला और मुलेठी के फ़ायदे कौन नहीं जानता? इनका आनुपातिक मिश्रण इसे अपने आप में बड़ा यूनिक बना देता है.
चक्षुष्य कैप्सूल के फ़ायदे
नज़र कमज़ोर होना या आँखों की रौशनी कम होना, धुन्धला दिखाई देना, रतौंधी इत्यादि आँखों की समस्त समस्याओं में इसका प्रयोग करना चाहिए.
आजकल छोटे-छोटे बच्चों के आँख पर भी मोटे-मोटे चश्मे चढ़े होते हैं, अगर इसका यूज़ किया जाये तो चश्मा लगने से बचा जा सकता है.
चक्षुष्य कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि
एक-एक कैप्सूल सुबह-शाम पानी से. बच्चों को भी इसे दे सकते हैं, कैप्सूल खोलकर आधी मात्रा में सुबह-शाम.
इसके साथ में लगाने के लिए सुरमा और महा त्रिफला घृत का भी सेवन करने से जल्दी लाभ होता है.
पूरी तरह से सुरक्षित औषधि है, किसी भी उम्र के लोग यूज़ कर सकते हैं. 60 कैप्सूल के एक पैक की क़ीमत है सिर्फ़ 185 रुपया जिसे ऑनलाइन खरीदें का लिंक निचे दिया गया है.