आज मैं जिस आयुर्वेदिक औषधि की जानकारी देने वाला हूँ इसका नाम है क्षुधासागर रस
यह एक रसायन औषधि है जो अग्नि को बढ़ाकर कड़ाके की भूख लगाती है तो आईये इसके घटक, निर्माण विधि और फ़ायदे के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं -
क्षुधासागर रस के घटक और निर्माण विधि
भैसज्य रत्नावली का यह योग है इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, सोंठ, मिर्च, पीपल, हर्रे, बहेड़ा, आँवला, जवाखार, सज्जीखार, टंकण भस्म, काला नमक, सेंधा नमक, समुद्र लवण, विड लवण, साम्भर लवण प्रत्येक एक-एक भाग और शुद्ध बच्छनाग दो भाग.
निर्माण विधि कुछ इस तरह से है कि सबसे पहले पारा-गंधक को पत्थर के खरल में डालकर कज्जली बना लें इसके बाद दूसरी सभी चीजों का बारीक कपड़छन चूर्ण बनाकर मिलाकर तीन दिन तक पानी के साथ खरल कर एक-एक रत्ती या 125 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही क्षुधासागर रस कहलाता है.
क्षुधासागर रस की मात्रा और सेवन विधि
एक-एक गोली सुबह-शाम लौंग का चूर्ण मिलाकर गर्म पानी के साथ, या रोगानुसार उचित अनुपान से
क्षुधासागर रस के फ़ायदे
यह न सिर्फ़ भूख बढ़ाता है बल्कि पेट की बीमारियों जैसे पेट दर्द, गोला बनना, गैस चढ़ना, पेट फूलना, अपच, दस्त, पेट गुड़-गुड़ करना इत्यादि को दूर करता है.
वात और कफ जनित विकारों में इसका सेवन करना चाहिए. बढ़े हुए पित्त दोष और अल्सर में इसका सेवन न करें.
चूँकि यह रसायन औषधि है तो इसे स्थानीय वैद्य जी की देख रेख में ही लें. मार्किट में यह शायेद ही मिले, सिद्धहस्त वैद्यगण इसका निर्माण कर प्रयोग कराते हैं.
इसी के जैसा काम करने वाली भूख बढ़ाने वाली औषधि 'अग्निवर्द्धक क्षार' आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं जिसका लिंक दिया गया है.
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