आज की जानकारी है धान्यपंचक के बारे में. इसका क्वाथ बनाकर और रिष्ट बनाकर दोनों तरह से प्रयोग किया जाता है तो आइये धान्यपंचक क्वाथ और धान्यपंचकारिष्ट के गुण, उपयोग और निर्माण विधि के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं-
सबसे पहले जानते हैं धान्यपंचक क्वाथ के बारे में
धान्यपंचक क्वाथ के घटक
इसके लिए पांच चीज़ लेनी होती है धनिया, खस, बेल गिरी, नागरमोथा और सोंठ. सभी को बराबर वज़न में लेकर मोटा-मोटा कूटकर रख लें.
10 ग्राम इसके जौकूट चूर्ण को 100 ml पानी उबालना होता है. जब लगभग 40 ml पानी बचे तो ठण्डा होने पर छानकर रोगी को पीना चाहिए.
इसी तरह से रोज़ इसकी दो से तीन मात्रा तक लेनी चाहिए.
धान्यपंचक क्वाथ के फ़ायदे
अतिसार यानी दस्त या लूज़ मोशन होने पर इसका प्रयोग किया जाता है.
रक्त अतिसार जिसमे दस्त में खून आता हो और पित्तज अतिसार में सोंठ की जगह सौंफ मिलाकर क्वाथ बनाकर सेवन करना चाहिए.
यह दीपन-पाचन और ग्राही गुणों से भरपूर होता है.
धान्यपंचकारिष्ट
धान्यपंचकारिष्ट के घटक भी वही हैं बस इसकी निर्माण विधि अलग होती है.
धान्यपंचकारिष्ट निर्माण विधि
बराबर वज़न में मिली हुयी सभी पाँच चीज़(धनिया, खस, बेल गिरी, नागरमोथा और सोंठ) का जौकूट चूर्ण डेढ़ किलो लेकर 64 लीटर पानी में क्वाथ करें, जब 16 लीटर पानी बचे इसमें 6 किलो गुड़ और आधा किलो धाय फुल मिलाकर चिकने पात्र में एक महिना के लिए संधान के लिए छोड़ दिया जाता है. एक महिना बाद इसे छानकर बोतलों में भरकर रख लिया जाता है. यह सिद्ध योग संग्रह का योग है.
धान्यपंचकारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि
15 से 30 ML तक सुबह-शाम बराबर मात्रा में पानी मिलाकर लेना चाहिए
धान्यपंचकारिष्ट के फ़ायदे
अतिसार, प्रवाहिका और संग्रहणी में इसके सेवन से लाभ होता है.
यह भी दीपन-पाचन और ग्राही है, इसके फ़ायदे भी धान्यपंचक क्वाथ वाले ही हैं बल्कि उस से कहीं बेहतर.
तो दोस्तों, यह थी आज की जानकारी धान्यपंचक क्वाथ और धान्यपंचकारिष्ट के बारे में
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें