आयुर्वेद की यह प्रसिद्ध औषधि है जिसे नवायस मण्डूर और नवायस लौह के नाम से भी जाना जाता है. इन दोनों में बस कम्पोजीशन का थोड़ा फ़र्क होता है, तो आईये इसके बारे में सबकुछ जानते हैं -
नवायस मण्डूर के घटक या कम्पोजीशन
सोंठ, पीपल, काली मिर्च, हर्रे, बहेड़ा, आँवला, नागरमोथा, वायविडंग और चित्रकमूल छाल यह सभी नौ जड़ी-बूटियाँ समान भाग लेकर बारीक कपड़छन चूर्ण बना लिया जाता है. इसके बाद इस चूर्ण के कुल वज़न के बराबर उत्तम क्वालिटी का मण्डूर भस्म मिक्स कर तीन दिनों तक खरल करने से औषधि तैयार हो जाती है.
नवायस मण्डूर की मात्रा और सेवन विधि
एक-एक ग्राम सुबह-शाम घी, शहद, छाछ या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ
नवायस मण्डूर के गुण
आयुर्वेदानुसार यह पाचक, दीपक, शोथनाशक, रसायन और रक्तवर्द्धक जैसे गुणों से भरपूर होता है.
नवायस मण्डूर के फ़ायदे
- एनीमिया या खून की कमी, जौंडिस, लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, लिवर-स्प्लीन की ख़राबी से होने वाले बुखार में इसके सेवन से अच्छा लाभ होता है.
- पाचन शक्ति को ठीक करता है, लिवर की कमजोरी दूर कर भूख बढ़ाता है.
- खून की कमी से होने वाली सुजन को दूर करता है.
- बच्चों के स्प्लीन बढ़ने से होने वाले, बुखार, कमज़ोरी, पेट बाहर निकल जाना और शरीर सूखने जैसे लक्षण में इसके सेवन से लाभ होता है.
- मूल ग्रन्थ के अनुसार पांडू रोग, शोथ, उदररोग, क्रीमी, हृदय रोग, अर्श,भगन्दर इत्यादि में भी इसके सेवन से लाभ होता है.
- खून की कमी और सुजन दूर करने के लिए वैद्यगण इसका प्रमुखता से प्रयोग करते हैं.
नवायस मण्डूर और नवायस लौह में क्या अंतर है?
दोनों के घटक और निर्माण विधि सब एक ही हैं, अंतर बस यह है कि नवायस लौह में
मण्डूर भस्म की जगह लौह भस्म मिलाकर बनाया जाता है.
नवायस मण्डूर और नवायस लौह में कौन बेस्ट है?
नवायस मण्डूर बेस्ट है क्यूंकि मण्डूर भस्म ज्यादा सौम्य होता है, और सभी को सूट करता है. इसे अधीक मात्रा में भी प्रयोग कर सकते हैं.
इसके बारे में यदि आपके मन में कोई सवाल हो तो कमेंट कर पूछिये
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