जीरकाद्यरिष्ट क्या है?
यह आयुर्वेद के आसव-अरिष्ट केटेगरी की औषधि है जो तरल या लिक्विड रूप में होती है, जिसमे दुसरे रिष्ट की तरह कुछ मात्रा में सेल्फ़ जनरेटेड अल्कोहल भी होता है.
जीरकाद्यरिष्ट के घटक या कम्पोजीशन
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक जीरा होता है. मूल ग्रन्थ के अनुसार इसके घटक और निर्माण विधि कुछ इस प्रकार से हैं -
10 सेर सफ़ेद जीरा लेकर इसे 2 मन 22 सेर 32 तोला पानी में क्वाथ करें, जब साढ़े 25 सेर 8 तोला पानी बच जाये तो इसमें गुड़ 15 सेर, धायफूल 15 तोला, सोंठ का चूर्ण 8 तोला, लौंग, बड़ी इलायची, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर, जायफल, मोथा और अजवायन प्रत्येक चार-चार तोला लेकर मोटा-मोटा कूटकर काढ़े में मिलाकर मिट्टी के चिकने पात्र या चीनी मिटटी के घड़े में भरकर एक माह के लिए संधान के लिए छोड़ दें, एक माह बाद कपड़े से छानकर काँच के बोतलों में भरकर रख लें.
निर्माण विधि कुछ समझ में आई? सभी को समझ नहीं आयेगी, जाने दिजिए. यह बना हुआ मार्केट में मिल जाता है.
जीरकाद्यरिष्ट की मात्रा और सेवन विधि
15 से 30 ML तक सुबह-शाम भोजन के बाद
जीरकाद्यरिष्ट के फ़ायदे
यह पेट की बीमारियों के लिए फ़ायदेमंद है.
मूल ग्रन्थ के अनुसार यह रुचिकारक, अग्निप्रदीपक, मधुर, शीतल और विष-दोष शामक है.
यह पाचन शक्ति को ठीक करता है, भूख बढ़ाता है और अफारा को दूर करता है.
मन्दाग्नि, संग्रहणी और अतिसार में लाभकारी है.
गर्भाशय की शुद्धि करता है, सुतिकारोग में भी लाभकारी है.
इसे आप आयुर्वेदिक दवा दुकान से ख़रीद सकते हैं, ऑनलाइन खरीदने का लिंक दिया गया है.
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