वैद्य जी की डायरी में जो भी बताया जाता है वह बना बनाया कहीं नहीं मिलता, इसे ख़ुद से तैयार करना होता है. इसका नाम है 'हिंगु वटी'
आज का नुस्खा तैयार करने के लिए चाहिए होगा -
शोधित हीरा हींग 20 ग्राम, कड़वी कूठ, घोड़बच, शुद्ध सुहागा, जावाखार, सोंठ, काली मिर्च और पीपल प्रत्येक 10-10 ग्राम
हिंगु वटी निर्माण विधि
सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और इसे खरल में डालकर अदरक के रस, पान के पत्ते के रस और सहजनमूल छाल के रस की एक-एक दिन एक-एक भावना देकर अच्छी तरह से खरल कर 500 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें.
मात्रा और सेवन विधि
एक से दो गोली दिन में तीन-चार बार तक गोरखमुण्डी अर्क या गर्म पानी से
हिंगु वटी के फ़ायदे
गुल्म या पेट में गोला बनना, पेट दर्द होना, मन्दाग्नि, बहुत डकारें आना, हाथ-पैर की ऐंठन, गैस्ट्रिक, हृदय की धड़कन बढ़ना जैसे रोगों में इसके सेवन से लाभ हो जाता है. वात विकारों में भी इसके सेवन से लाभ होता है.
वैद्य जी की डायरी में आज इतना ही, आज की दी गयी जानकारी के बारे में कोई सवाल हो तो कमेंट कर पूछिये.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें