भाँग को कल्प के रूप में भी प्रयोग किया जाता है जिसे विजया कल्प कहा जाता है. क्यूंकि भाँग का एक नाम विजया भी है.
तंत्रशास्त्र में इसका वर्णन मिलता है जो आयुर्वेद सम्मत भी है, और सिमित मात्रा में इसका सेवन करने से हानि नहीं होती.
विजया कल्प
कल्प को लम्बे समय तक प्रयोग किया जाता है. साल में बारह महीने होते हैं और इन बारह महीनो में भांग को किस तरह से सेवन किया जाता है यही जानते हैं.
1) चैत्र माह में पुरे महीने पान के साथ इसका सेवन करने से इसका प्रभाव बुद्धिवर्द्धक होता है. ध्यान रहे शोधित भाँग को ही कल्प के रूप में प्रयोग करना है.
2) बैशाख के पुरे महीने में इसके सेवन से कोई भी विष प्रभाव नहीं करता है.
3) जेठ के महीने में तेंदू के साथ सेवन करने से शरीर की कान्ति बढ़ती है.
4) आषाढ़ मास में चित्रक के साथ सेवन करने से केश कल्प हो जाता है.
5) सावन में शिवलिंगी के साथ इसका सेवन करने से बल की वृद्धि करता है.
6) भादो के महीने में रूद्रवन्ती के साथ सेवन करने से तन और मन को शान्ति मिलती है.
7) कुआर मास में मालकांगनी के साथ इसका प्रयोग करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ ठीक रहता है.
8) कार्तिक के महीने में बकरी के दूध के साथ भाँग का सेवन करने से काम शक्ति की वृद्धि हो जाती है.
9) अगहन के महीने में गाय के घी के साथ खाने से आँखों की कमज़ोरी दूर होती है.
10) पूस के महीने में काले तिलों के साथ भाँग का सेवन करने से नज़र तेज़ होती है.
11) माघ के महीने में नागरमोथा के साथ भाँग का चूर्ण सेवन करने से शरीर बलवान होता है.
12) फाल्गुन के महीने में आँवला के चूर्ण के साथ भाँग का सेवन किया जाये तो पैरों में हिरण के जैसी कुलांचें भरने की शक्ति प्राप्त होती है. दौड़ने, चलने और कूदने में में व्यक्ति विशेष रूप से लाभ का अनुभव करता है.
इस तरह से भाँग का सेवन करने से आश्चर्यजनक रूप से इसका प्रभाव सुखद होता है. घी, दूध, बादाम, कालीमिर्च, सौंफ़, गुलाब, इलायची इत्यादि के साथ इसका सेवन करने से इसकी मादकता और विषाक्त अंश समाप्त हो जाता है तथा इसका प्रभाव स्मृतिवर्धक, शक्तिदायक और निद्राकारी हो जाता है.
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