बिल्वादि लेह्य को बिल्वा अवलेह, बिल्वादि लेह्यम जैसे नामों से जाना जाता है जिसका विवरण 'सहस्र योग' में मिलता है जिसका मुख्य घटक बिल्व फल मज्जा का कच्चा बेल का गूदा होता है.
बिल्वादि लेह्य के घटक या कम्पोजीशन
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बिल्व फल क्वाथ, गुड़, नागरमोथा, धनियाँ, जीरा, छोटी इलायची, दालचीनी, नागकेशर और त्रिकटु यानि सोंठ, मिर्च और पीपल के मिश्रण से अवलेह-पाक निर्माण विधि से बनाया जाता है.
बिल्वादि लेह्य की मात्रा और सेवन विधि
5 से 10 ग्राम रोज़ दो-तीन बार या वैद्य जी के निर्देशानुसार
बिल्वादि लेह्य के फ़ायदे
उल्टी, दस्त, पेचिश, अरुचि, ग्रहणी या IBS, आँव आना जैसी समस्या होने पर इसका सेवन किया जाता है.
खाना खाते ही दस्त होना और बार-बार दस्त होने में सही डोज़ में इसका सेवन करना चाहिए.
खाँसी और अस्थमा में भी इस से लाभ होता है.
चूँकि यह मल बाँधने वाली ग्राही औषधि है तो अधीक मात्रा में सेवन करने से कब्ज़ हो सकता है, इसका ध्यान रखना चाहिए.
बच्चे-बड़े सभी को इसका सेवन करा सकते हैं, बस इसका डोज़ उम्र के हिसाब से होना चाहिए.
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