भारत की सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक हिन्दी वेबसाइट लखैपुर डॉट कॉम पर आपका स्वागत है

06 सितंबर 2020

Tapyadi Lauh Benefits | ताप्यादि लौह के गुण और उपयोग

 


खून की कमी, जौंडिस, लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, पाचन विकृति और कुछ दुसरे रोगों में ताप्यादि लौह का प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं ताप्यादि लौह क्या है? इसके कम्पोजीशन, निर्माण विधि और गुण-उपयोग के बारे में विस्तार से - 

ताप्यादि लौह शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो लौह प्रधान होती है यानि आयरन रिच 

ताप्यादि लौह का कम्पोजीशन 

सभी लौह-मंडूर वाली औषधियों की तरह इसमें त्रिफला तो होता ही है. इसके सही कम्पोजीशन की बात करें तो इसके घटक कुछ इस तरह से होते हैं -

हर्रे, बहेड़ा, आँवला, सोंठ, मिर्च, पीपल, चित्रकमूल और वायविडंग प्रत्येक 25-25 ग्राम, नागरमोथा 15 ग्राम, चव्य, देवदार, पिपरामूल, दालचीनी और दारूहल्दी प्रत्येक 10-10 ग्राम, लौह भस्म, चाँदी भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म और शुद्ध शिलाजीत प्रत्येक 100-100 ग्राम, मंडूर भस्म 200 ग्राम और पीसी हुयी मिश्री 320 ग्राम. यही इसका ओरिजिनल कम्पोजीशन होता है.

 आयुर्वेदिक कंपनियां इसे ताप्यादि लौह नम्बर-1 के नाम से बेचती हैं. चाँदी भस्म महँगी होने की वजह से बिना चाँदी भस्म वाला भी ताप्यादि लौह मिलता है जो महँगा नहीं होता, इसका भी वैसे ही इफेक्टिव है पर चाँदी भस्म मिले हुए ताप्यादि लौह से थोड़ा कम असरदार होता है.

ताप्यादि लौह निर्माण विधि 

सभी जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण बनाकर इसमें भस्में और पीसी मिश्री मिक्स कर एयर टाइट डब्बे में रख लें. 

चूँकि औषध निर्माण का मेरा काफ़ी अनुभव रहा है तो बता दूँ कि चित्रकमूल और दारूहल्दी जैसी काष्ट औषधियों का बारीक चूर्ण बनाना बड़े ही परिश्रम का कार्य है. इनके छोटे-छोटे टुकड़े कर इमामदस्ते में डालकर जौकूट कर लें इसके बाद ही ग्राइंडर में डालकर पीसना चाहिए. हमारे समय में तो इमामदस्ते में ही कुटना पड़ता था, ग्राइंडर तो दूर की बात, गाँव में बिजली ही नहीं थी. 

ताप्यादि लौह की मात्रा और सेवन विधि 

तीन-तीन रत्ती या 375 से 500 mg तक दिन में दो बार मूली के रस या गोमूत्र से. 

ताप्यादि लौह के फ़ायदे

आयुर्वेदानुसार पांडू, कामला, प्रमेह, शोथ या सुजन और यकृत-प्लीहा रोगों को दूर करता है. 

ज़्यादा दिनों तक बुखार रहने से रस, रक्त, धातु और इन्द्री कमज़ोर होने से शारीरिक कमज़ोरी आ जाती है, पाचन ख़राब, खून की कमी, सुजन जैसी प्रॉब्लम होने पर इसके सेवन से लाभ होता है. 

किसी भी कारण से होने वाली खून की कमी, जौंडिस, कामला, लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, आँख, चेहरा, हाथ-पैर की सुजन जैसी समस्या इसके सेवन से दूर होती है. इसके सेवन से हीमोग्लोबिन नार्मल हो जाता है.

प्रमेह, आँतों की कमजोरी, पाचन शक्ति की कमजोरी और शारीरिक कमज़ोरी में भी इस से लाभ होता है. 

महिलाओं के पीरियड रिलेटेड रोगों में भी इसके सेवन से लाभ होता है. 

लौह, मंडूर, शिलाजीत और चाँदी का मिश्रण होने से यह टॉनिक का भी काम करता है. 

इसके घटकों को ध्यान में रखते हुए वैद्यगण अनेकों रोगों  में सफलतापूर्वक प्रयोग करते हैं. 

आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, ऑनलाइन खरीदने का लिंक दिया गया है- 


हमारे विशेषज्ञ आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की टीम की सलाह पाने के लिए यहाँ क्लिक करें
Share This Info इस जानकारी को शेयर कीजिए
loading...

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

 
Blog Widget by LinkWithin