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30 अगस्त 2020

Krimimudgar Ras | कृमिमुद्गर रस

 

krimimudgar ras

कृमिमुद्गर रस शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जिसका वर्णन 'रसराजसुन्दर' नामक ग्रन्थ में मिलता है. 

कृमिमुद्गर रस  के घटक या कम्पोजीशन - 

शुद्ध पारा एक भाग, शुद्ध गंधक दो भाग, अजमोद तीन भाग, वायविडंग चार भाग, शुद्ध कुचला पाँच भाग और पलाश के बीज छह भाग 

कृमिमुद्गर रस  निर्माण विधि - 

यानी यह बनता कैसे है? इसे बनाने के लिए सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गन्धक को पत्थर के खरल में डालकर इतना खरल किया जाता है कि बिल्कुल काले रंग का काजल की तरह बन जाये. इसके बाद दूसरी सभी चीजों का बारीक पिसा हुआ चूर्ण मिक्स कर रख लें. इसकी गोली या टेबलेट भी बनायी जाती है. 



कृमिमुद्गर रस  की मात्रा और सेवन विधि -

दो से चार रत्ती या 250 mg से 500 mg तक. या यूँ समझ लीजिये की एक से दो गोली तक शहद के साथ खाकर ऊपर से नागरमोथा का क्वाथ पीना चाहिए. नागरमोथा क्वाथ न मिले तो विडंगासव या विडंगारिष्ट ले सकते हैं. 

तीन दिन तक इसे लेने के बाद जुलाब लेना चाहिए. या फिर पेट साफ़ करने वाली औषधि. जुलाब या विरेचन के लिए 'इच्छाभेदी रस' जैसी दवा लेनी चाहिए. या फिर रोगी कमज़ोर हो तो एरण्ड तेल या पंचसकार जैसा सौम्य विरेचन ही लेना चाहिए. 

कृमिमुद्गर रस के फ़ायदे -

कफ़ संचय से होने वाले पेट के कीड़ों के लिए तेज़ी से असर करने वाली दवा है. 

यह कृमिकुठार रस से ज़्यादा तेज़ और पावरफुल है, इस बात का ध्यान रखें.

पेट में कीड़े होने की वजह से होने वाला पेट दर्द, पेट फूलना, अरुचि, उल्टी, भूख नहीं लगना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है इसके सेवन से. 

पेट में कीड़े होने के कारण कई बार शरीर में खुजली और लाल चकत्ते भी हो जाते हैं और लोग इसे एलर्जी समझ बैठते हैं. ऐसी स्थिति में कृमिमुद्गर रस का सेवन करना चाहिए.

कृमिमुद्गर रस न सिर्फ पेट के कीड़े बल्कि शरीर के दुसरे भाग के कृमिजनित रोगों में भी असरदार है. इसीलिए फ़ाइलेरिया की औषधि 'श्लीपदहर योग' का यह एक घटक है. 

कृमिमुद्गर रस के साइड इफ़ेक्ट -

चूँकि यह कुचला प्रधान योग है तो कोमल प्रकृति वालों को सूट नहीं करता और स्वाद में बहुत कड़वी होती है, इस लिए इसका टेबलेट निगलना ही उचित रहता है. हालाँकि इसकी गोली को पीसकर सेवन करना ही उत्तम है. 

कृमिमुद्गर रस मिलेगा कहाँ? यह ऑनलाइन मिलेगा जिसका लिंक दिया गया है-  Krimimudgar Ras 10 gram‎ 

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21 अगस्त 2020

Nagarjunabhra Ras | नागार्जुनाभ्र रस हृदय रोगों की चमत्कारी औषधि

 


नागार्जुनाभ्र रस एक शास्त्रीय औषधि है जो ह्रदय रोगों के अतिरिक्त दुसरे रोगों में भी असरदार है. 

नागार्जुनाभ्र रस के घटक या कम्पोजीशन -

 सहस्रपुटी अभ्रक भस्म और अर्जुन छाल का क्वाथ मात्र दो चीज़ ही इसके घटक हैं. 
उत्तम क्वालिटी के सहस्रपुटी वज्राभ्रक भस्म में अर्जुन छाल के क्वाथ की सात भावना देकर खरलकर एक-एक रत्ती की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें. यही नागार्जुनाभ्र रस है. कुछ वैद्यगण सहस्रपुटी की जगह साधारण अभ्रक भस्म से ही इसे बनाते हैं, यह भी असरदार है बस इसकी गोलियां दो-दो रत्ती की बनानी चाहिए. 

नागार्जुनाभ्र रस गुण या प्रॉपर्टीज- 

यह हृदयशूल या दिल का दर्द दूर करने वाला, त्रिदोष नाशक, बल-वीर्य वर्धक और रसायन जैसे गुणों से भरपूर है.

नागार्जुनाभ्र रस के फ़ायदे- 

किसी भी वजह से होने वाला दिल का दर्द, एनजाइना, वाल्व का दर्द, हार्ट के मसल्स का दर्द, सीने में ज़ोर लगने से होने वाला दर्द को दूर करता है.

हार्ट की सुजन, जकड़न, भारीपन, खून की कमी, हार्ट की कमज़ोरी को दूर करता है. 
धड़कन, हार्ट बीट कम ज्यादा होना में असरदार है. यह हृदय की अनियमित गति को नियमित करने में बेहद असरदार है. 

मतलब आप समझ सकते हैं कि हार्ट की हर तरह की समस्या में यह असरदार है, बल्कि यह हार्ट के अलावा कुछ दूसरी प्रॉब्लम में भी असरदार है जैसे - 

भूख की कमी, एनीमिया, खून की कमी, एसिडिटी, जौंडिस, रक्तपित्त, सुजन, टी. बी., मलेरिया, दस्त, उल्टी और पाचन विकृति में भी इस से लाभ होता है. 

चूँकि अभ्रक भस्म इसका मुख्य घटक है जो अपने आप में योगवाही और रसायन गुणों से भरपूर होता है तो यह बल-वीर्य वर्धक और रसायन औषधि भी है. चेहरे की चमक को बढ़ाकर अन्दर से शक्ति देता है. 

यह न सिर्फ दिल बल्कि दिमाग के लिए भी असरदार है, नर्वस सिस्टम की कमज़ोरी दूर करता है और मेमोरी पॉवर बढ़ाता है. 

नागार्जुनाभ्र रस एक औषधि है जिसे सभी लोग यूज़ कर सकते हैं, हार्ट की दूसरी दवाओं की तरह इसका यूज़ करने के लिए कोई ज्यादा सोच विचार करने की ज़रूरत नहीं होती, क्यूंकि यह बिलकुल सेफ़ दवा है. 

नागार्जुनाभ्र रस की मात्रा और सेवन विधि -

एक-एक गोली सुबह-शाम शहद से 

50 ग्राम की कीमत है सिर्फ़ 300 रुपया जिसका लिंक दिया गया है -  Nagarjunabhra Ras